रुजुता दिवेकर फूड टिप्स : इंडिया की बेस्ट डायटीशियन रुजुता दिवेकर की फीस सबसे ऊँची है। रुजुता दिवेकर के क्लाइंट देश के रईस लोग और टॉप बॉलीवुड स्टार्स हैं। अनंत अम्बानी ने रुजुता दिवेकर के ही डाइट प्लान को फॉलो करके 108 किलो वजन कम किया है। करीना कपूर की जीरो फिगर का राज भी डायटीशियन रुजुता दिवेकर के Tips थे।
रुजुता जी की खासियत है आधुनिक मेडिकल साइंस को आयुर्वेदिक ज्ञान के साथ मिलाकर बेहतरीन उपाय बताना जोकि भारतीयों के शरीर, सेहत, मौसम, प्रदेश और क्षेत्र के हिसाब से उपयुक्त होती है। रुजुता दिवेकर जी मुंबई में बेस्ड हैं। इस पोस्ट में रुजुता के Best health tips आपके लिए बिना किसी फीस के, जरुर पढ़ें।
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रुजुता दिवेकर डाइट । Rujuta Diwekar Diet
1) कच्ची घानी तेल ही खाएं
खाना बनाने के लिए अपने क्षेत्र के अनुसार तेल का प्रयोग करें। अगर आप उत्तर और उत्तर-पूर्व भारत के निवासी हैं तो सरसों के तेल में खाना बनाएं। मध्य व पश्चिमी भारत के लोग मूंगफली का तेल और दक्षिण में रहने वाले नारियल का तेल प्रयोग करें। ये क्षेत्रीय तेल शरीर को आवश्यक पोषक तत्व और फैटी एसिड्स देने में परफेक्ट होते हैं।
Rujuta Diwekar के अनुसार रिफाइंड आयल के बहकावे में न आयें। राइस ब्रान आयल, सेफ्लावर आयल जैसे तेलों के हार्ट हेल्दी, आयल फ्री, फैट फ्री जैसे वादों में न फंसे।
कच्ची घानी तेल कम तापमान पर निकाले गये होते हैं जिसकी वजह से तेल में विटामिन, न्यूट्रीशन, फैटी एसिड्स सुरक्षित रहते हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए ये पारंपरिक तेल तो बहुत ही जरुरी हैं।
2) सुबह उठते ही 20 मिनट में ये खाएं
a) दिन की शुरुआत एक केला खाने से करें। केला न हो तो कोई भी ताजा फल खाएं या भिगोये हुए बादाम या किशमिश खाएं। सुबह-सुबह खाली पेट चाय, कॉफ़ी न पियें।
b) चाय पीना ही है तो सुबह नाश्ते के 10-15 मिनट बाद पियें. सुबह पहले आहार से पूर्व एक गिलास सादा पानी पियें।
c) जिन्हें पाचन की समस्या हो या खाने के बाद भूख लग जाती हो, वे केला खाएं। अगर आपको दिन भर लो-एनर्जी महसूस होती है तो 8 भिगोये किशमिश खाएं।
d) यदि आप डायबिटीज, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, नींद की समस्या, लो-फर्टिलिटी, इन्सुलिन रेजिस्टेंस से परेशान हैं तो 6 भिगोये बादाम प्रातःकाल खाएं।
e) पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के रोगी पीरियड से 10 दिन पहले से 7-8 किशमिश और 1-2 केशर के धागे भिगोकर खाया करें, बाकी दिन बादाम खाएं।
3) लोहे की कड़ाही का प्रयोग ही सही था, उसे फिर से अपनाएं । Iron kadai benefits
लोहे की कड़ाही भोजन में आयरन का एक अच्छा स्रोत था जिसे हमेशा ही कम आंका गया। अब से लोहे की कड़ाही में पोहा, उपमा जैसे नाश्ते और सब्जियाँ बनायें। देशी घी, शुद्ध तेल और मसालों से युक्त भोजन इस कड़ाही में बनाएं, मैं शर्त लगा सकती हूँ आपके शरीर में आयरन की कमी नहीं होगी।
रुजुता दिवेकर कहती है – टेफ़लोन कोटेड नॉन-स्टिक कड़ाही को टाटा बाय-बाय करें। जिन्होंने ये अफवाह फैला रखी थी कि फैट से बचने में महानता है, अब आप जान चुके हैं ऐसा बिलकुल नहीं है। सही तरह का फैट शरीर के लिए जरूरी है जैसे देसी घी।
एल्युमीनियम के बर्तन कुकर, कड़ाही में खाना बनाना सेहत के लिए नुकसानदायी है क्योंकि एल्युमीनियम के प्रयोग से शरीर में जिंक की मात्रा घटती है जोकि शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व है। जिंक की कमी से दिमाग के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और डायबिटीज होने की सम्भावना बढ़ती है।
जो लोग एल्युमीनियम के बर्तन खरीदते-बेचते हैं उन्हे मालूम है कि एल्युमीनियम के बर्तन का वजन समय के साथ घटता जाता है जो घुलकर आपके खाने में मिलता है। एल्युमीनियम के बर्तन कुकर, कड़ाही में खाना बनाना और एल्युमीनियम शीट्स में खाना पैक करना भी बंद करें। स्टेनलेस स्टील, पीतल, कांसे आदि धातु के बर्तन प्रयोग करें।
4) शाम 4 से 6 के बीच कुछ आहार लें
कार्टिसोल नामक हार्मोन हमारे शरीर में प्रतिदिन एक नियम से घटता-बढ़ता रहता है। सुबह के समय कार्टिसोल बढ़ा हुआ होता है, जिससे हम फ्रेशनेस महसूस होती है और यह पेट साफ करने में भी मदद करता है।
शाम को कार्टिसोल घटता है, जिससे हमें शांतिपूर्ण नींद मिल सके। कार्टिसोल की इस गतिविधि से हमारा मेटाबोलिज्म सही रहता है, रोगप्रतिरोधक क्षमता मेन्टेन रहती है, हार्मोन बैलेंस बना रहता है और स्ट्रेस हावी नही होता।
जब हम शाम को भूख लगने पर कुछ खाने के बजाय चाय-कॉफ़ी पीकर भूख को मार देते हैं तो शाम को कार्टिसोल घटने के बजाय बढ़ने लगता है। जिसका परिणाम ये होता है कि हम डिनर में ओवरईटिंग करते हैं।
नतीजा पाचन धीमे होता है और नींद भी अच्छी नहीं आती। इसके अलावा ये पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम / थाइरोइड समस्या, इन्सुलिन सम्बन्धी बीमारियाँ (डायबिटीज आदि) होने की सम्भावना भी बढ़ाती है।
तो फिर क्या खाएं इस 4-6 के बीच में ? – रुजुता दिवेकर के Tips ये हैं
1) मुठ्ठी भर मूंगफली या चना. इसे डायबिटीज के रोगी भी खा सकते है. जिन्हें दिन में लो-एनर्जी की समस्या हो उनके लिए भी ये बढ़िया उपाय है.
2) रोटी में देशी घी, गुड़ लगाकर खाएं. ये उपाय ऐसे लोगों के लिए परफेक्ट है जिनका हेमोग्लोबिन कम हो, दिन भर सक्रिय रहते हों, रात को 9 बजे के बाद डिनर करते हों, नींद अच्छी न आती हो या कब्ज की समस्या हो.
3) पोहा, उपमा, डोसा, घर की बनी मठरी या बेसन, गोंद के लड्डू, अंडा-टोस्ट, चीज़ सैंडविच आदि खाने से एनर्जी तो मिलती ही है, पैर की ऐंठन, अक्सर होने वाला सरदर्द, लो इम्युनिटी से भी राहत मिलती है.
4) ये हल्के नाश्ता करने से अगले 4-5 दिन आपका डिनर सामान्य से कुछ कम हो सकता है. यह एक सामान्य बात है, इसकी चिंता न करें. ये नियम पालन करने के लिए सप्ताह शुरू होने से पहले ही प्लानिंग कर लें, जिससे हर दिन सोचना न पड़े.
5) खाने में नारियल प्रयोग करें
चाहें चटनी खाएं या खाने में ऊपर से डालें, नारियल खाने में जरुर प्रयोग करें। नारियल पेट के लिए अच्छा होता है. ये पचने में आसान हैं और नर्वस सिस्टम को शीतलता देता हैं।
नारियल एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल होता है। अगर आपको गर्मी के मौसम में अक्सर Urine infection (मूत्र-संस्थान संक्रमण) हो जाता है तो नारियल को अपने खाने में जरुर शामिल करें।
नारियल घिस कर खाने में ऊपर से डालें, नारियल के लड्डू या बर्फी बनाएं, चटनी बनाएं। कुछ नहीं तो सूखा नारियल ही गुड़ के साथ खाएं, पर नारियल के गुणों का लाभ अवश्य उठायें।
6) डिनर में दाल-चावल या खिचड़ी खाएं । What to eat in dinner
रात को खाने में दाल-चावल खाने के फायदे >
– यह पचने में आसान है. इससे लेप्टिन सेंस्टिविटी बढ़ती है, जिससे नींद अच्छी आती है।
– यह प्रीबायोटिक है, जिससे पाचन सही रहता है और कब्ज नहीं होता।
– चावल का BCAA (ब्रांच चेन एमिनो एसिड्स) Muscle sparing effect पैदा करता है, जिससे आप वर्क-आउट करते हुए थकेंगे नहीं।
– वात, कफ, पित्त सभी तरह के प्रवृति के लोग इसे खा सकते हैं।
दाल-चावल में घी डालना न भूलें। इससे Glycaemic Acid index कम रहता है और ब्लड शुगर सामान्य बना रहता है. अतः यह डायबिटिक, प्रेग्नेंट माँ, पतले या मोटे, बच्चे या बूढ़े, एक्टिव या सुस्त सभी के लिए अच्छा आहार है।
यही सारी खासियतें खिचड़ी में भी होती है। दाल-चावल, खिचड़ी हल्का फ्राई करके घी, अचार, पापड़ के साथ खाने से संतुलित आहार हो जाता है।
7) बच्चों के लिए टिप्स । Healthy food tips for kids
– बच्चे कभी खाली पेट स्कूल न जाएँ. उन्हें सुबह सबसे पहले सूखे मेवे खाने को दें. स्टील के डिब्बे में टिफिन दें और ये घर का बना खाना ही हों.
– प्लास्टिक का टिफ़िन न प्रयोग करें, किशोरावस्था के उम्र के बच्चे तो प्लास्टिक के टिफ़िन में भूल कर भी न खायें.
– रोटी में देशी घी और गुड़ लगाकर बच्चो को हर रोज खाने को दें, ये उन्हें बदलते मौसम के सर्दी-जुकाम से बचाता है और शरीर मजबूत करता है.
– बच्चो को जंक फ़ूड न दें. 30 मिनट से ज्यादा टीवी बच्चों को न देखने दें. ये उनके शारीरिक विकास, फुर्ती, स्वास्थ्य और लम्बाई बढ़ाने में बाधक है.
8) काजू का सेवन । Cashew benefits
काजू गर्मियों में भी खाया जा सकता है, यह विटामिन C से भी भरपूर है। काजू दिन में कभी भी खाएं या रात में दूध के साथ सोने से पहले लें।
काजू मिनरल्स, एमिनो एसिड्स, विटामिन और अच्छे फैट का स्रोत है। एमिनो एसिड्स के बहुत से फायदों में एक है कि ये सेरोटोनिन नामक हार्मोन बनाते है। सेरोटोनिन अच्छी नींद लाने में सहायक होते हैं, जिससे आप अगले दिन फ्रेश उठते हैं और मूड बढ़िया रहता है।
काजू में पाए जाने वाला मैग्नीशियम तंत्रिका तन्त्र को रिलैक्स रखता है। इस मेवे में पाए जाने वाला ट्रिपटोफान एमिनो एसिड्स और विटामिन B मिलकर एक अच्छा प्राकृतिक एंटी-डिप्रेशंट बनाते हैं।
रुजुता दिवेकर कहती हैं – काजू में पाए जाने वाले फैट से घबराएँ नहीं। शरीर को अच्छे फैट की भी बराबर जरुरत होती है। अगर शरीर को सही फैट की अच्छी मात्रा न मिले तो ये समस्याएँ हो सकती है –
a) हमारा शरीर भोजन से मिनरल्स, विटामिन्स जैसे विटामिन D और आवश्यक पोषक तत्व का अवशोषण नहीं कर पायेगा।
b) शरीर में आवश्यक हार्मोन का निर्माण नहीं होगा, जिसका परिणाम कमजोर जोड़ और तंत्रिका तन्त्र. बच्चों पर इसका और भी बुरा असर हो सकता है।
c) ब्लड शुगर अनियंत्रित रहेगा, खाने के बाद मीठे की इच्छा होने लगेगी।
d) स्किन पर समय से पहले बढ़ती उम्र के असर दिखने लगेंगे, जिसका कारण है खाने से सही पोषण न मिलना. अतः काजू, देशी घी जैसे अच्छे फैट के स्रोत को खान-पान में शामिल करें।
9) सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करें । Surya Namaskar benefits
रुजुता दिवेकर के अनुसार सूर्य नमस्कार करने के 3 बड़े लाभ हैं जिसकी वजह से हर व्यक्ति को यह योग प्रतिदिन करना चाहिए।
– गलत पोस्चर, आरामतलब लाइफस्टाइल की वजह से पीठ के दर्द जैसी समस्याएँ होने लगी हैं। सूर्य नमस्कार पीठ, मेरुदंड को मजबूत बनाता है, जिससे ये समस्याएँ दूर होती हैं साथ ही मस्तिष्क शांत, स्थिर होता है।
– सूर्य नमस्कार करने से अच्छी, साफ़, चमकती त्वचा मिलती है। अच्छी स्किन इस बात का प्रूफ होता है कि किडनी, लिवर, हार्ट आदि अंग का स्वास्थ्य सही है और उन्हें सही पोषण मिल रहा है।
– सूर्य नमस्कार सभी हार्मोन ग्लैंड्स पर अपना असर डालती है, चाहे थाइरोइड हो, एड्रेनल या पिट्यूटरी हो। इसका फायदा यह है कि मेटाबोलिज्म बढ़िया होता है, विटामिन D का स्तर सही रहता है, दर्द रहित पीरियड, अच्छा स्वास्थ्य आदि।
10) प्लास्टिक टिफिन, बोतल या बर्तन का उपयोग रोकने का कारण
ये सबको पता है कि प्लास्टिक प्रदूषण का बड़ा कारण तो है लेकिन इसके अलावा ये शरीर के हार्मोन बैलन्स को भी प्रभावित करता है। प्लास्टिक एस्ट्रोजेनिक केमिकल्स का स्राव करता है जोकि मेल-फीमेल हार्मोन के अनुपात (Ratio) को डिस्टर्ब करता है।
किशोरावस्था (Teenage) की लड़कियों, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की रोगी, एक्ने से परेशान लोगों को खासकर प्लास्टिक के दुष्प्रभाव से बचना चाहिए। इन उपायों को अपनाएं।
– प्लास्टिक के टिफ़िन न प्रयोग करें, खासकर गर्म खाने के लिए तो बिलकुल नहीं। प्लास्टिक कटलरी भी प्रयोग न करें, हाथ से खाइए।
– फल और खाने को प्लास्टिक या मेटल शीट से पैक न करें। स्टील का टिफिन बॉक्स प्रयोग करें और रोटी को मलमल के कपड़े (Muslin cloth) में पैक करें।
– प्लास्टिक बोतल से पानी पीना बंद करें. स्टील या ताम्बे के बोतल से पानी पियें।
– फल, सब्जी खरीदने जाएँ तो कपडे के बैग ले कर जाएँ. प्लास्टिक बंद सब्जी, फल न खरीदें।
11) खाना गर्म करें, माइक्रोवेव नहीं
खाना माइक्रोवेव करने से ओवरकुक होता है। यह भोजन गर्म करने का गलत तरीका है। खाना गर्म करने के लिए धीमी आंच पर रखकर गर्म करें।
माइक्रोवेव करने से भोजन के माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स तेजी से उच्च-तापमान पर गर्म हो जाते हैं जिससे उनके एटॉमिक बांड्स टूट जाते हैं। इससे माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स ऑक्सीडाइज्ड हो जाते हैं और शरीर के लिए नुकसानदायक बन जाते हैं। इसलिए रुजुता दिवेकर माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग सही नहीं मानती।
रुजुता दिवेकर ने मोटापा कम करने, अच्छे स्वास्थ्य, प्रेगनेंसी, फिटनेस और भारतीय खाने की महानता पर बेस्टसेलर किताबें लिखी हैं जिन्हें लाखों लोग पढ़ते और पसंद करते हैं। रुजुता दिवेकर की बेस्टसेलर books हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, मराठी भाषा में उपलब्ध हैं।
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