मधुमालती की लता कैसे लगायें, देखभाल का तरीका | Madhumalti Bel in hindi

मधुमालती मुख्यतः एशियाई देशों में पाए जाने वाली फूलों की लता है। अंग्रेजी में इसे रंगून क्रीपर (Rangoon creeper) या चायनीज हनीसकल (Chinese honeysuckle) भी कहते है। बंगाली में इसे मधुमंजरी, तेलुगु में राधामनोहरम, आसामी में मालती, झुमका बेल कहा जाता है। मधुमालती का बोटैनिकल नाम Combretum Indicum है।

इस लेख में हम मधुमालती का पौधा लगाने और देखभाल का तरीका जानेंगे यानि मधुमालती के पौधे को कितना पानी, धूप, खाद की जरूरत होती है इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा आप मधुमालती के फूल, पत्ती, फल, जड़ से रोगों के उपचार का आयुर्वेदिक लाभ भी जानेंगे।

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मधुमालती बेल का पौधा कैसा होता है – Rangoon Creeper in hindi | Malti ka Phool – Madhumalti Bel

मधुमालती की लता 2.5 से 8 मीटर ऊंचाई तक फैलती देखी गयी है। इसके पत्ते 4-5 इंच बड़े होते हैं। मधुमालती के फूल लाल, गुलाबी, सफ़ेद रंग के गुच्छों में खिलते हैं। इसके फूल देखने में तो सुन्दर लगते ही हैं, बढ़िया खुशबू से घर-आंगन महकाते भी रहते हैं। यह लता आसानी से लग जाती है और इसे खास देखभाल की जरुरत भी नहीं होती।

मधुमालती का पौधा बड़ा होने पर आसपास सहारा पकड़कर तेजी से ऊपर बढ़ता है और कुछ ही दिनों में फैलकर छा जाता है। गर्मियों में यह घनी छाया देते हैं और घर को कड़ी धूप से भी बचाते हैं। इसमें सफ़ेद रंग के छोटे फल भी लगते हैं जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं।

Madhumalti ki Bel kaise lagaye
Madhumalti Flower

लगभग पूरे साल बेल पर मालती का फूल लगते रहते हैं। यह बालकनी, गेटपोस्ट, बाड़, छत, खम्बे, दीवार को कवर करने के लिए बेहतरीन लता है। इसके जड़, बीज, पत्तियों और फूल का कई रोगों के उपचार में उपयोग होता है।

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मधुमालती के फूल – Madhumalti flower in hindi | Malti ka Phool

इसके फूल की एक रोचक बात जानिए। ये फूल रंग बदलते हैं. पहले दिन सूर्योदय जब इसके फूल खिलते हैं तो ये सफ़ेद रंग के होते हैं। दूसरे दिन वही फूल गुलाबी रंग में बदल जाते हैं और तीसरे दिन गाढ़े लाल रंग में।

फूलों का यह रंग बदलना ज्यादा से ज्यादा परागण (Pollination) के लिए विभिन्न प्रकार के कीटों को अपनी ओर आकर्षित करने की रणनीति होती है। वैसे तो गर्मियों के मौसम में बहुत से पौधे फूल नहीं देते, मगर ये बेल फूलों से भरी होती है।

मधुमालती का पौधा कैसे लगाएं, कटिंग कैसे लगाएं | How to grow Rangoon creeper in hindi 

आइए जाने मधुमालती की बेल कैसे लगाएं। आसानी और तेजी से बढ़ने वाली मधुमालती बेल किसी भी प्रकार की मिटटी में लग जाता है। मिट्टी में थोड़ा नमी हो लेकिन पानी रुकना नहीं चाहिए।

नया पौधा तैयार करने के लिए इसकी कलम लगाना आसान तरीका है. 3-4 इंच लम्बी कलम लें, जिसमें 2-3 पत्तियाँ हों. इस कलम का 1 इंच हिस्सा मिट्टी में दबा दें. इसे थोड़ी छाया वाली जगह रखें या फिर इसके ऊपर एक पॉलिथीन बैग लगा दें।

दिन में दो बार थोड़ा पानी देते रहें. 1 महीने में इसकी जड़ें निकल आयेंगी और नयी पत्ती निकलती भी दिखाई देगी. इसे बहुत महंगी खाद की जरूरत नहीं है. कोई भी आर्गेनिक खाद जैसे गोबर या सूखे पत्तियों की बनी खाद इसके लिए परफेक्ट है.

मधुमालती की देखभाल | Madhumalti plant care in hindi 

– मधुमालती बड़े गमले या जमीन पर लगायें. एक बार अच्छे से जम जाने के बाद यह जल्दी मरता नहीं है. अगर खाद न भी मिले तो भी खास फर्क नहीं पड़ता.

– इसके आसपास कोई सहारा जरुर हो जिसकी मदद से यह ऊपर बढ़ सके. दिन भर में इसे कम से कम 4 घंटे की धूप की जरुरत होती है.

– पौधे के शुरुआती सालों में कम से कम सप्ताह में 2 बार पानी जरुर दें। जाड़ों में एक बार या जब जड़ें सूखी दिखें तो पानी डालें. बड़ा हो जाने पर कभी-कभार पानी देने से भी काम चल जाता है।

– मधुमालती की बेल ज्यादा बढ़ने पर थोड़ा छांट दें, जिससे यह सही दिशा में फैले और फूल आयें। इसके पौधे को बहुत ज्यादा कांट-छांट पसंद नहीं, यह खुलकर बढ़ना और फैलना पसंद करता है।

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मधुमालती के फायदे – मालती के फूल के फायदे | Madhumalti Plant benefits in hindi 

मधुमालती के औषधीय गुण – मधुमालती के पेड़ के लगभग हर भाग का आयुर्वेदिक उपचार में प्रयोग होता है।

सर्दी-जुकाम और कफ की दिक्कत – 1 ग्राम तुलसी के पत्ते, 2-3 लौंग, 1 ग्राम मधुमालती के फूल, पत्ते का काढ़ा बनायें,  ये काढ़ा दिन में 2-3 बार पियें, लाभ होगा।

डायबिटीज की समस्या –  मधुमालती के 5-6 पत्तों या फूल का रस निकालकर पियें. करीब 4 ml रस दोनों टाइम पियें।

ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर – इसके इलाज के लिए मधुमालती की पत्ती और फूल का रस पियें।

इसकी पत्तियों को पानी में उबाल कर पीने से बुखार से उठे दर्द में आराम मिलता है।

पेट अगर भरा-भरा और फूला हुआ लगे तो इसकी पत्ती उबालकर वो पानी पीने से राहत मिलती है।

मधुमालती के फलों का काढ़ा दांतदर्द ठीक करता है।

इसकी पत्तियों और फल से किडनी की सूजन और जलन का उपचार किया जाता है।

इसकी जड़ो का काढ़ा पेट के कीड़े निकालने और डायरिया के इलाज में फायदा करता है। इस काढ़े से गठिया रोग में भी आराम मिलता है।

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