खस की खेती – Khus ki kheti in hindi :
– खस की खेती एक बढ़िया फसल है, जिससे कई किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. इसकी खेती सरल है और मार्केट में अच्छी डिमांड भी है. खस की फसल से आप कितनी कमाई कर सकते हैं और इसकी फसल कैसे लगायें, आगे पढ़ें पूरी जानकरी.
– खस के पौधे (Vetiver plants) करीब 2 मीटर ऊँचे होते हैं. इनके पत्ते 1-2 फुट लम्बे, 3 इंच तक चौड़े होते हैं. खस की पीली-भूरी जड़ जमीन में 2 फुट गहराई तक जाती है. हर तरह की मिट्टी में पैदा हो जाने वाली इस घास की बुवाई मई से अगस्त तक होती है.
– इसे बोने के लिए घास के जड़ सहित उखाड़े गये पौधे प्रयोग किये जाते हैं. वर्षा के बाद गहरी जुताई करके एक-एक जड़ 50 सेंटीमीटर के अंतर पर 15 सेंटीमीटर ऊँची, 50 सेंटीमीटर चौड़ी क्यारियों में बोया जाता है.
– बोने के एक महीने बाद कम्पोस्ट खाद, राख आदि डालने से अच्छी वृद्धि होती है. साल भर बाद से घास की कटाई करके बेचा जा सकता है. जड़ों से तेल निकालने के लिए खुदाई का उपयुक्त समय बुवाई के 15-18 महीने बाद का होता है.
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– खस के पौधे एक बार लगा देने पर 5 साल तक दुबारा बोना नहीं पड़ता. खस का एक पौधा भी काफी जगह में फ़ैल जाता है. जड़ के पास यह करीब 1 मीटर व्यास तक फ़ैल सकता है. एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोई फसल से करीब 4 से 6 क्विंटल जड़ें प्राप्त होती है.
– खस की खेती में बारिश की बहुत जरुरत नहीं होती. 1-2 बारिश भी इसके लिए पर्याप्त है. बारिश अगर ज्यादा हो तो भी कोई नुकसान नहीं. 10-15 दिन पानी से भरे खेत में भी खस की फसल गलती या खराब नहीं होती. बाढ़ग्रस्त हो या सूखाग्रस्त दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह एक एकदम उपयुक्त फसल है.
– सम्भव हो तो बारिश के मौसम के अलावा 15-20 दिनों में सिंचाई कर देनी चाहिए, इससे जड़ों में तेल की मात्रा बढ़ जाती है. बहुत ठंडी या गर्मी का भी खस की फसल पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता. खस की खेती अन्य फसलों के साथ भी की जा सकती है.
– खस की फसल को स्टोर रखना भी आसान है क्योंकि ये सड़ती-गलती नहीं और न ही खराब होती है.
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खस की खेती में फायदा :
– खस के एक लीटर तेल (Vetiver Oil) की कीमत 20,000-22,000 रुपये होती है. कम लागत अधिक फायदा वाली इस फसल से किसान डेढ़ साल में प्रति हेक्टेयर औसतन 5,00,000/-रुपये कमा रहे हैं.
– खस का उपयोग बहुत से रसायनों, दवाइयां, इत्र-सेंट, साबुन, सौन्दर्य प्रसाधन आदि बनाने में किया जाता है. खस का इत्र मुस्लिम देशों में तो बहुत डिमांड किया जाता है. दुनिया के कई अन्य देशों में भी दवाइयाँ, परफ्यूम बनाने वाली कम्पनियों को इसका निर्यात होता है.

– जैसा कि आप लोग जानते ही है आजकल लोग आयुर्वेदिक दवाइयों, औषधियों के उपयोग को प्राथमिकता देने लगे हैं. बाबा रामदेव के पतंजलि ब्रांड खस शर्बत व अन्य दवाइयों में भी खस का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा भारत की कई आयुर्वेदिक, फ़ूड, कॉस्मेटिक कम्पनियाँ खस का तेल खरीदती हैं.
– उत्तर प्रदेश के रायबरेली, गोंडा, सीतापुर, बाराबंकी आदि जिलों व बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों के किसान खस की खेती (Vetiver Cultivation) करके अच्छी कमाई कर रहे हैं.
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