अपराजिता की बेल देखने में सुंदर लगती है और इसके ढेरों आयुर्वेदिक फायदे हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में अपराजिता का प्लांट लगाना लाभदायक होता है और घर से निगेटिविटी दूर होती है। आगे अपराजिता का पौधा लगाने की दिशा, तरीका और केयर करने का तरीका जानेंगे।
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अपराजिता बेल का पौधा कैसा होता है | Aparajita ka plant, Aprajita ka phool
अपराजिता बेल की ऊंचाई 5-10 फुट तक और फैलाव 2-5 फुट तक हो सकता है। अपराजिता के फूल 1-3 इंच बड़े आकार के होते हैं और छोटी अंडाकार पत्तियाँ करीब 2-3 इंच की होती हैं। तेजी से बढ़ने वाली अपराजिता बेल सालभर चलने वाला पौधा है।
अपराजिता के अन्य नाम नीलकंठ का पौधा, विष्णुकांता का पौधा है। अपराजिता की लता को इंग्लिश में Blue Pea, Butterfly Pea, Asian pigeonwings, Darwin Pea, Gokarna भी कहते हैं। इसका बोटैनिकल नाम Clitoria ternatea है।
अपराजिता की मुख्यतः 3 प्रजातियाँ पाई जाती हैं :
- नीले-बैंगनी (indigo blue or purple) फूल वाली
- सफेद फूल वाली अपराजिता
- गुलाबी फूल वाली अपराजिता
ज्यादातर नीले फूल वाली अपराजिता बेल ही देखने मिलती है, इसके गोल फूल के बीच का कुछ भाग पीला-सफेद सा होता है। गरमी से लेकर ठंड शुरू होने तक अपराजिता की बेल में फूल आते हैं। अपराजिता के फूलों में कोई सुगंध, स्वाद नहीं होता है। अपराजिता की बेल में 5-7 सेंटीमीटर लंबी फली लगती है जिसमें काले-भूरे रंग के बीज होते हैं।
यह घर की बाउन्ड्री, छत, बालकनी, बाड़ पर चढ़ाने के लिए अच्छी बेल (Ornamental plant) है। यह मुख्यतः अफ्रीका और साउथ एशिया में पाया जाता है लेकिन भारत सहित पूरी दुनिया भर में उगाया जाता है। भारत व दुनिया के कुछ भागों में इसकी कच्ची फली खाई जाती है। अपराजिता बेल पशुओं के चारे के लिए भी बोई जाती है क्योंकि ये प्रोटीन से भरपूर होती है व इसे उगाने में कम मेहनत भी लगती है।
A: अपराजिता को गुरुवार या शुक्रवार के दिन शुभ चौघड़िया में लगाना चाहिए।
A: वास्तुशास्त्र के अनुसार अपराजिता का पौधा पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। उत्तर-पूर्व को ईशान कोण कहते हैं, इसे देवताओं की दिशा माना गया है।
A: अपराजिता को मुख्य गेट या दरवाजे के दाहिने ओर लगा सकते हैं या गमला रख सकते हैं। इसे ऐसे रखे कि घर से निकलते समय दाहिने तरफ रहे।
A: अपराजिता के फूल माँ दुर्गा, शनिदेव, विष्णु भगवान की पूजा में प्रयोग किये जाते हैं। सफेद अपरजिता का फूल भगवान शिव को चढ़ाया जाता है।
A: बिल्कुल लगा सकते हैं। इसके कई सेहत संबंधी फायदे हैं व वास्तु के अनुसार भी अपराजिता को शुभ माना गया है।
अपराजिता प्लांट को लगाना और देखभाल करना आसान है क्योंकि इसे कोई खास केयर की जरूरत नहीं होती है। अपराजिता की जड़ों में पाए जाने वाले Rhizobia बैक्टीरिया वायुमंडल की नाइट्रोजन को जमीन में सोखने का काम करता है, इस प्रकार अपराजिता की लता मिट्टी का उपजाऊपन (उर्वरा शक्ति) भी बढ़ाता है।
अपराजिता की चाय पीने के फायदे | Aparajita tea benefits
1 गिलास पानी में अपराजिता के 2-3 फूल डालकर 5 मिनट उबाल लें। फिर गैस बंद करके इसे छान लें। अपराजिता की चाय तैयार है, स्वाद के लिए इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदे और 1-2 चम्मच शहद भी मिला सकते हैं। इसे पीने का सही समय सुबह नाश्ते के साथ, दोपहर या रात के खाने के बाद है।
अपराजिता की चाय का रंग नीला होता है लेकिन इसमें नींबू रस डालने से ये बैंगनी रंग की हो जाती है। अपराजिता के फूल सुखाकर किसी कांच के बर्तन या बोतल में रखकर कभी भी उपयोग किया जा सकता है।
अपराजिता की चाय के 15 आयुर्वेदिक फायदे | Aparajita ki chai ke fayde
- अपराजिता की चाय पीने से याददाश्त (मेमोरी) तेज होती है।
- इस चाय में Nootropic गुण होते हैं यानि दिमाग के कार्य करने की क्षमता, सोचने-समझने की शक्ति, Concentration का विकास करती है।
- अपराजिता टी स्किन, बाल, आँख, सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए गुणकारी है और इम्यूनिटी (रोगप्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने मे असरदार है।
- रिसर्च में पता चला है कि अपराजिता चाय या ब्लू टी में ग्रीन टी से ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।
- एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर यह चाय शरीर और स्किन पर बढ़ती उम्र के लक्षण व असर कम करे।
- खाली पेट अपराजिता की चाय पीने से शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं।
- अपराजिता टी दिमागी टेंशन, स्ट्रेस, डिप्रेशन, बेचैनी से राहत दिलाती है क्योंकि इसमें Anti-stress, Antidepressant, Anxiolytic गुण होते हैं।
- ये चाय डाइबीटीज़ के रोगियों के लिए भी लाभदायक है क्योंकि इसमें Anti-diabetic गुण होते हैं।
- अपराजिता में Anti-asthmatic असर होता है इसलिए इसे पीना अस्थमा, साँस के रोग में आराम दिलाता है।
- वजन कम करने में भी अपराजिता टी फायदेमंद मानी गई है।
- यह चाय अच्छी नींद लाने में मददगार है क्योंकि इसमें Sedative गुण होते हैं।
- खाना खाने के बाद अपराजिता की चाय पीने से पाचन ठीक होता है और नींद भी सही आती है।
- फैटी लिवर की समस्या में ये ब्लू टी पीना फायदा करता है।
- ये चाय कोलेस्टेरॉल कम करती है, हार्ट की आर्टरीज को साफ करती है और ब्लड सरक्युलेशन ठीक करती है।
- इस चाय को पीने से फीवर में आराम मिलता है, जिससे शरीर दर्द व बॉडी टेम्परचर कम होता है।
अपराजिता का पौधा कैसे लगाएं – Aparajita plant | Aprajita ki bel
ये पौधे हर तरह की मिट्टी, मौसम, भूमि में पानी की उपलब्धता में बोए जा सकते हैं। अपराजिता के बीज बोकर या कटिंग लगाकर अपराजिता प्लांट उगाए जा सकते हैं। बीज लगाने पर 6-7 महीने में और कलम लगाने पर 3-6 महीने में पौधा परिपक्व (mature) होकर पूरी ऊंचाई प्राप्त कर लेता है।
इसे उगाने के लिए सामान्य मिट्टी + जैविक खाद + बालू या कोकोपीट, बराबर मिक्स करके गमले, जमीन, हैंगिंग बास्केट मे लगाना चाहिए। पौधा लगाने के 2-3 महीने बाद फूल आने लगते हैं। पौधे को बड़ा होने पर सहारे की आवश्यकता होती है, जैसे डोरी से बांधकर या डंडी लगाकर।
अपराजिता के बीज बोने से पहले 4-5 घंटे भिगोकर रखने से बीज जल्दी अंकुरित होते है, वैसे इसे सीधे भी बोया जा सकता है। इन बीजों को गमले में 2-3 इंच की दूरी पर 1 इंच गड्ढा करके बो दीजिए और मिट्टी से ढककर पानी का छिड़काव कर दें। हर 1-2 दिन में मिट्टी न सूखे बस इतना पानी देते रहें व गमले को किसी semi-shade वाली जगह (छाँव वाली जगह जहाँ कुछ प्रकाश/धूप आए) पर रख दें। 7-10 दिन में बीज अंकुरित होकर निकल आते हैं। इसके करीब 1 महीने बाद जब पौधे 6 इंच ऊंचे हो जाएं तो हर पौधे को अलग-अलग गमले या जमीन में लगा सकते हैं।
अपराजिता की कटिंग कैसे लगाए
कलम लगाने के लिए 4-6 इंच लंबी अपराजिता की शाखा काट लीजिए, ध्यान रखें बहुत नर्म शाखा नहीं होनी चाहिए। कलम विधि से तैयार पौधे जल्दी बड़े हो जाते हैं। काटी गई कलम में ऊपर की 2-3 पत्तियाँ छोड़कर बाकी हटा दीजिए। कलम के काटे हुए सिरे को मिट्टी में 2-3 इंच गहरा गड्ढा करके लगा दें।
इसमें पानी देते समय ध्यान रखे कि पानी का छिड़काव (स्प्रे) करना है, सीधे नहीं डालना है। इसे किसी छाँव (semi-shade) जगह पर रखें। 10-15 दिन में कलम से जड़ें निकल आती है। कलम (कटिंग) के कटे भाग को किसी रूटिंग हार्मोन में डुबोकर लगाने से कटिंग में जड़ें जल्दी निकल आती हैं। कलम लगाने के 30-45 दिन बाद इसे किसी बड़े गमले या जमीन मे ट्रांसफ़र कर सकते हैं।
अपराजिता के पौधे की केयर कैसे करे | Aparajita plant care
- एक बार अच्छी तरह बढ़ जाने के बाद अपराजिता बेल को कोई खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है। कभी-कभार पौधे के फैलाव को नियंत्रित करने के लिए छँटाई कर सकते हैं।
- बढ़ती हुई नयी बेलों के शीर्ष (top) तोड़ने से अपराजिता में फूल बढ़ते हैं और पौधा घना होता है।
- सूखे फूल, शाखा व सूखी पत्तियों को तोड़ देना चाहिए, इससे नए फूल-पत्तियाँ निकलने में मदद मिलती है। अगर आपको बीज चाहिए तो कुछ सूखे फूल पौधे पर लगे रहने दीजिए क्योंकि सूखे फूल ही फलियाँ बन जाती हैं।
धूप – अपराजिता खुली धूप में अच्छी तरह से बढ़ता और ग्रोथ करता है। हालांकि अगर दिन के कुछ घंटे धूप मिल जाए तो भी इसका काम चल जाता है।
पानी – गर्मियों के मौसम में लगभग रोज ही और जाड़ों में हफ्ते में 2-3 बार पानी देना चाहिए। छोटे पौधों को नियमित पानी की जरूरत होती है, बड़े पौधों को पानी की कम आवश्यकता होती है। पानी जड़ों में रुकना नहीं चाहिए, गमले या जमीन में सही ड्रेनेज होना चाहिए।
खाद – अपराजिता की बेल में खाद डालने से फूलों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है। आप इसमें बैलेन्स्ड NPK खाद या कोई भी जैविक खाद जैसे नीम की खली, गोबर खाद या वर्मी काम्पोस्ट, सीवीड खाद आदि महीने में 1 बार डाल सकते हैं।
रोग या कीट – इसमें जल्दी कोई बीमारी या कीड़े नहीं लगते हैं। केवल ज्यादा पानी देने से जड़ों के सड़ने, फंगस लगने की संभावना होती है, इसलिए पानी न रुके इसका ध्यान रखें।
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sources :
https://homeguides.sfgate.com/make-blue-pea-vines-bloom-55943.html
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6545798/
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