माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने के फायदे और 3 पावरफुल माइंडफुलनेस मेडिटेशन तकनीक की जानकारी पढ़ें। यह ध्यान का सरल तरीका है जिसे करना आसान है और दिन में भर में कभी भी किया जा सकता है।
Table of Contents
माइंडफुलनेस क्या है | What is Mindfulness Meditation | Mindfulness ke fayde
माइंडफुलनेस ध्यान करने का एक तरीका है जिसमें ध्यान को वर्तमान क्षण (The Now) में केंद्रित करते हैं। जहां सामान्यतः ध्यान करने के तरीके में मन को बाहरी अवरोधों से हटाकर एक बिन्दु पर केंद्रित करते हैं, माइंडफुलनेस मेडिटेशन में ध्यान को किसी एक अनुभूति या इंद्रिय अनुभव पर फोकस करते हैं। मन (चित्त) को किसी फीलिंग के प्रति पूर्ण ध्यान से सचेत होकर लगाने से मन शांत होता है। आपके दिनभर के कार्यकलाप (Activities) में कोई भी गतिविधि आपके लिए माइंडफुलनेस का अभ्यास बन सकती है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन बहुत सरल लग सकता है लेकिन ध्यान खुद में ही एक सरल प्रक्रिया है। शुरू में ध्यान लगाने का अभ्यास करना पड़ता है लेकिन फिर ध्यान लगने लगता है। ध्यान जब लगने लगता है तो सहज हो जाता है। हमें जब जो काम कर रहे हैं बस उसी में अपने पूरे ध्यान-मन को फोकस करना है और दिमाग को अपने समक्ष और वर्तमान में रखना है। आपको बस दिमाग की अनावश्यक दौड़ को कंट्रोल करना है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन के फायदे | Mindfulness meditation benefits
माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने के कई शारीरिक-मानसिक फायदे हैं।
- विचारों की गति शांत होती है, निगेटिविटी दूर होती है
- इस मेडिटेशन से स्ट्रेस, टेंशन, बेचैनी दूर होती है
- हार्ट रेट रिलैक्स होती है
- ब्लड प्रेशर बैलन्स रहता है
- पुराने दर्द ठीक होते हैं
- नींद अच्छी आती है
- पेट संबंधी समस्याओं में भी आराम मिलता है
- ध्यान केंद्रित होता है, सोच-समझ की शक्ति का विकास होता है
- भावनाओं को कंट्रोल करना आसान बनता है
माइंडफुलनेस मेडिटेशन कैसे करे, करने का 3 तरीका | How to Mindfulness meditation technique
इस ध्यान को करने के लिए कोई विशेष वस्तु की जरूरत नहीं पड़ती, बस आपको एक शांत जगह चाहिए जहां आप आराम से बैठ सकें। इसे करने के लिए आपको सीधे बैठना है जिससे आपकी पीठ, गला, सिर, बैकबोन सीधे रहे। आपको टाइट होकर बैठने की जरूरत नहीं है, सीधे बैठे लेकिन रिलैक्स रहें। शुरुआत में कम से कम 5 मिनट इसे करें, बाद में जब आपको इसके लाभ अनुभव होने लगेंगे तो यह समय भी बढ़ने लगेगा।
हमारे दिमाग की यह प्रकृति बन गई है कि हम भले ही थककर बैठ जाएं, लेकिन यह लगातार विचारों का जाल बुनता रहता है। एक विचार खत्म होते ही नया विचार पैदा हो जाता है, एक विचार सौ नए विचार पैदा करते जाता है। इससे कई बार हम कोई काम करते हुए भी उस काम से एकदम अलग प्रकार के विचारों में उलझे होते हैं। जैसे कि पढ़ाई के समय खेल की सोचना, ड्राइविंग करते समय ऑफिस-घर की कोई समस्या पर विचार, सोते वक्त कोई पुरानी घटना याद करना आदि। हमारे दिमाग की इस आदत की वजह से हम वर्तमान समय (present moment) से कट जाते हैं और दिमागी जाल में उलझते चले जाते हैं।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस कहते हैं – जीवन का अधिक विश्लेषण (Analysis) मत करो, यह इसे और जटिल बना देता है। जीवन को बस जियो। माइंडफुलनेस मेडिटेशन भी इसी गूढ आध्यात्मिक सिद्धांत के समान है, जोकि हमारी मन की उथल-पुथल में शांति लाता है। मन शांत होने से हम अपनी ऊर्जा और फोकस को उचित कार्यों में लगाने से मानसिक शांति, सफलता पाने की ओर बढ़ते जाते हैं।
1) अपनी सांस (Breathing) को देखें –
अपने ध्यान को सांस लेने की पूरी प्रक्रिया अनुभव करने पर लगाएं। देखें कि कैसे हवा धीरे-धीरे आपकी नाक से अंदर आ रही है, हवा का नाक में प्रवेश करने की फीलिंग महसूस करें। हवा भरने से फेफड़ों और पेट के फूलने का एहसास और सांस छोड़ने पर फेफड़ों के खाली होने की फीलिंग को फ़ील करें। हर सांस की गति और लय देखें, आप पाएंगे कि हर सांस की गहराई में कुछ अंतर होता है।
सांस को इस तरह से अब्ज़र्व करने से सांसें गहरी होती जाती है। गहरी सांस शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है जिससे नई ऊर्जा, फोकस करने की क्षमता बढ़ती है। गहरी सांस लेने से विचार गति भी धीमी होती है। जब हम नियमित रूप से इस प्रकार सांस पर Mindfulness meditation करते हैं तो शरीर में कई पाज़िटिव शारीरिक-मानसिक बदलाव होने लगते हैं।
2) डेली रूटीन के किसी काम से माइंडफुलनेस मेडिटेशन –
इस माइंडफुलनेस मेडिटेशन तकनीक में हम अपनी दिनचर्या (Daily routine) के किसी भी छोटी-बड़ी गतिविधि को अपने ध्यान और अनुभव का केंद्र बनाते हैं।
a) जैसेकि नहाते समय शरीर पर पानी गिरने से शरीर का क्या रिएक्शन होता है ? साबुन लगाने के बाद धोने से स्किन साफ होने पर कैसा अनुभव हो रहा है। क्या नहाने से आपका मन हल्का हो रहा है ? क्या नहाना आपको अच्छा लगता है ? आदि।
b) अगर आप मंजन कर रहे हैं तो हाथों की मूवमेंट को फ़ील करें, क्या आपने ब्रश बहुत टाइट पकड़ रखा है ? आपके हाथ तो ब्रश करने में बिजी हैं लेकिन क्या आपका बाकी शरीर भी टाइट (stiff) है या रिलैक्स है आदि।
c) एक्सर्साइज़ करते समय अपने साँसों की गति और शरीर की गति को देखें, क्या कसरत करने से शरीर के अंदर कुछ महसूस होता है ? क्या फ़ील होता है ? दर्द या एनर्जी पैदा होना या जो भी आप महसूस कर रहे हों, बस उसी अनुभव के बारे में सोचें।
d) अगर आप बाइक चला रहे हैं तो देखें कि कैसे स्पीड के बढ़ने-घटने से चेहरे पर लगने वाली हवा की फीलिंग में अंतर आता है। आपके हाथों की हैन्डल पर पकड़ कैसे कभी टाइट होती तो कभी रिलैक्स होती है, इंजन की आवाज और कंपन को फ़ील करें आदि।
e) सोते समय अपने शरीर के अंगों को एकदम ढीला छोड़ दें। अब हर एक अंग को महसूस करें कि क्या वो आराम से है या उसमें टाइटनेस है, अपने एक पैर की उंगलियों से शुरू करें, फिर पंजे, पिंडली (Shin), घुटने, जांघ, कमर, पेट, सीना, कंधे, हाथ की उँगलियाँ, हथेली, कोहनी, हाथ, गला, एक तरफ का गाल, नाक, एक तरफ की आँख, कान, माथा, सर के ऊपर और पीछे का भाग। इसके बाद इसी तरफ शरीर की दाई या बाईं ओर के पैर की उंगली से शुरू करते हुए ऊपर सर तक आयें। इससे आपका मन और दिमाग बहुत शांति का अनुभव करेगा और संभवतः आपको नींद भी आने लगे जोकि एक अच्छा लक्षण है।
3) शरीर की इंद्रियों के अनुभव को फ़ील करना –
इस मेडिटेशन टेकनीक में हम अपनी इंद्रियों के अनुभव एक जगह बैठकर देखते हैं। अपनी चेतना और ध्यान को वर्तमान में हो रही क्रिया पर ही रखें, उससे जुड़े पुराने विचारों और यादों से न जुड़ें। बस अभी और आज में रहें।
जैसे कि हम अपनी देखने की इंद्रिय (आँख) के कार्य पर ध्यान फोकस करते हैं। हम कोई वस्तु हाथ में लेते हैं जैसे फूल। हम फूल के रंग को देखते हैं, क्या फूल का रंग हर जगह समान है ? फूल की बनावट कैसी है ? फूल का हर हिस्सा देखने में कैसा है आदि। हो सकता है कि इस प्रकार फूल को देखते समय आपके दिमाग में फूल से जुड़ी कोई बात, घटना याद आने लगे या आप इस अनुभव से किसी पुरानी याद की तुलना करने लगें – ध्यान दें आपको यह नहीं करना है। अगर आपके मन में विचार चलने लगे तो उसे सोचने की बजाय आपको फिर से अपने आँखों की अनुभूति पर ध्यान लगाना है।
इसी तरह आप कोई सुगंध को हाथ पर लगा कर उसे सूंघें। उस खुशबू को सूंघने से आपको कैसा अनुभव हुआ ? धीरे-धीरे सांस लेते हुए महक को फ़ील करें। क्या हर बार सूंघने से खुशबू में कुछ अंतर है या वो समान ही है।
हम सुनने के अनुभव से भी माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास कर सकते हैं। बैठकर सुनें कि कौन-कौन सी आवाजें आपके कानों में आ रही हैं। अक्सर हम तेज आने वाली आवाजें तो सुन लेते हैं लेकिन अगर हम ध्यान दें तो हमारे आस-पास बहुत सी ऐसी धीमी साउन्ड भी होती हैं। जैसे कि फैन चलने की आवाज, दूर जाती किसी गाड़ी की आवाज, हवा के चलने से चीजों के हिलने की आवाज आदि। आप कान में ईयर-प्लग लगा कर कानों में एकांत की आवाज पर भी ध्यान को लगाने का अभ्यास कर सकते हैं।
हम अपने मन के किसी भाव (emotion) को भी देख सकते हैं जैसे खुशी-आनंद, गुस्सा, पश्चाताप, निराशा आदि। हमें देखना कि मन में उठ रहे ईमोशन को किस केटेगरी में रख सकते हैं। जो भी भाव उठे उसे एक नाम दें, उस भाव की उपस्थिति को स्वीकार करें और उसे मन से निकल जाने दें। उस ईमोशन से खुद को जोड़कर न देखें, मन के भाव हमेशा बदलते रहते हैं। मन के भाव हमारे दिमाग के बस में होते हैं, हमें यह मानना होगा तभी हम धीरे-धीरे भावों के बंधन से मुक्त होकर शांति (Peace) प्राप्त कर पाएंगे।
माइंडफुलनेस के बारे में जानकारी (Mindfulness in hindi) और माइंडफुलनेस मेडिटेशन के तरीके पर यह लेख अपने मित्रों, परिचितों के साथ व्हाट्सप्प शेयर जरूर करें जिससे कि अन्य लोग भी इस ध्यान की इस तकनीक का लाभ और उपयोग ले सकें। source > https://greatergood.berkeley.edu/topic/mindfulness/definition
ये भी पढ़ें>
ध्यान योग करने की विधि और ध्यान के फायदे
मन को काबू करने के 3 सरल तरीके
मेडिटेशन सीखने के 7 बेस्ट एप्स जानें
नींद नहीं आ रही तो ये 5 घरेलू उपाय करें
अच्छी नींद पाने और सुबह फ्रेश उठने के सरल उपाय
Very nice views.
Nice