Ashwagandha ka Paudha : जाने फायदेमंद अश्वगंधा का पौधा कैसे लगाये और अश्वगंधा की जड़ से बने अश्वगंधा पाउडर के फायदे क्या हैं जिसका उपयोग करके कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों ने फायदा उठाया है। बहुत से रोगों में अश्वगंधा रामबाण औषधि का काम करती है।
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अश्वगंधा का पौधा कैसा होता है | Ashwagandha Plant
अश्वगंधा एक बहुत असरदार जड़ी-बूटी का पौधा है जोकि कई रोगों में लाभ देता है। अश्वगंधा को असगंध, नागोरी असगंध, Indian Ginseng, Winter cherry भी कहते हैं। अश्वगंधा का पौधा 3-4.5 फीट तक ऊंचा हो सकता है। इसकी पत्तियों का रंग हल्का हरा होता है और 10-12 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। अश्वगंधा के पौधे में हरे रंगे के छोटे फूल निकलते हैं। अश्वगंधा के फल का रंग चटक लाल-नारंगी होता है जोकि पतले सफेद-भूरे छिलके के अंदर होता है। अश्वगंधा के फल में छोटे-छोटे, चपटे, सफेद ब्राउन रंग के अश्वगंधा के बीज होते है।
आयुर्वेद में अश्वगंधा के बहुत से फायदे बताए हैं। अश्वगंधा के सेवन से शारीरिक-मानसिक कमजोरी, नपुंसकता, जोड़ों का दर्द, थकान, स्ट्रेस-टेंशन आदि रोग ठीक होते हैं। अश्वगंधा के पौधे की जड़ से अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधा कैप्सूल, अश्वगंधा जूस जैसी कई दवाइयाँ बनती हैं।
अश्वगंधा के फायदे | Ashwagandha root benefits
- यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- इसका सेवन मसल्स बढ़ाने और ताकत लाने में फायदेमंद है।
- शरीर में एनर्जी लेवल (ऊर्जा) और शक्ति लाता है।
- अश्वगंधा पुरुषों की यौन-शक्ति बढ़ाए, वीर्य, शुक्राणु बढ़ाए।
- स्त्री-पुरुष के यौन अंगों (Reproductive system) को स्वस्थ रखे।
- याददाश्त तेज करे, सोच-समझ का विकास करे।
- आँखों की रोशनी तेज करे और आँखें स्वस्थ रखता है।
- हृदय (हार्ट) को मजबूत करता है।
- बढ़ती उम्र के असर को कम करे।
- दिमागी उलझन, बेचैनी, डिप्रेशन, चिंता-तनाव से राहत, अच्छी नींद देता है।
- सुस्त थाइरॉइड ग्लैन्ड को ऐक्टिव करता है।
- कमर-घुटने व जोड़ों का दर्द, गठिया, आर्थ्राइटिस का दर्द दूर करे।
- थकान, कमजोरी, खून की कमी ठीक करता है।
- अश्वगंधा कैंसर रोग की कोशिकाएं बढ़ने से रोकता है।
- कोलेस्टेरॉल कम करे, ब्लड शुगर कंट्रोल करता है।
अश्वगंधा का पौधा लगाने का तरीका | Ashwagandha ka paudha kaise lagaye
यह एक मजबूत पौधा है जिसे बहुत केयर की जरूरत नहीं होती है। यह पौधा कम पानी वाली जगह और सूखे मौसम (Drought tolerant) में भी चल जाता है। भारत में इसे कहीं भी लगाया जा सकता है। अश्वगंधा की एक अच्छी किस्म ‘जवाहर’ है जोकि बहुत ऊंची नहीं होती और 6 महीने में तैयार हो जाती है। यह कम उपजाऊ और सूखी जमीनों में लग जाता है।
मिट्टी और मौसम – अश्वगंधा का पौधा गर्म और Subtropical स्थानों पर अच्छे से बढ़ता है। अश्वगंधा के पौधे के लिए चिकनी बलुई मिट्टी, लाल मिट्टी बेस्ट हैं लेकिन यह साधारण मिट्टी में भी लगाया जा सकता है। इसके बीज गर्मियों के मौसम में मानसून (वर्षा) आने से पहले जून-जुलाई में लगा दें। यह पौधा गर्मी में सही से बढ़ता है। अगर गमले में अश्वगंधा का पौधा लगाना है तो 50% मिट्टी + 25% गोबर खाद या वर्मी काम्पोस्ट + 25% बालू मिलाकर भरें। अश्वगंधा में कोई केमिकल खाद, NPK खाद न डालें।
बीज से अश्वगंधा का पौधा तैयार करना –
ऊपर बताए गए तरीके मिट्टी तैयार करके गमले में भर दें और हल्का पानी छिड़क दें। अब उंगली या लकड़ी से मिट्टी में छेद जैसा छोटा गड्ढा करें। करीब 1-3 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा हो। इसमें बीज डाल दें। जमीन में लगा रहे हैं तो 10-15 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज लगाएं। अब मिट्टी फैलाकर हल्के से बीज के गड्ढों को ढक दें। थोड़ा सा पानी छिड़क दें। करीब 1 हफ्ते में बीज अंकुरित होकर बाहर दिखने लगेंगे। अगले 35-40 दिन में पौधे इतने बड़े हो जाएंगे कि आप इसे किसी मीडियम साइज़ के गमले या जमीन में ट्रांसफ़र कर सकते हैं।
अश्वगंधा की जड़ कब निकालें –
करीब 6 महीने (160-180) दिन में अश्वगंधा के पौधे की जड़ निकालने के लिए तैयार हो जाती है। जब इसके फल, पत्तियां पीली दिखने लगे तो मतलब जड़ निकाली जा सकती है। इसके लिए अश्वगंधा का पूरा पौधा जमीन खोदकर जड़ सहित निकाल लिया जाता है। अश्वगंधा की जड़ निकालकर, मिट्टी हटाकर 10-12 सेंटीमीटर के टुकड़ों में काटकर सुखाने के लिए डाल दी जाती है। अश्वगंधा की सूखी जड़ को कूट-पीसकर चूर्ण, दवाएं आदि बनती हैं।
सिंचाई – अश्वगंधा में पानी तभी देना चाहिए जब मिट्टी एकदम सूखी दिखने लगे। रोज-रोज पानी देना या ज्यादा पानी नहीं देना है। बीज लगने के दिनों में थोड़ा-थोड़ा पानी देना चाहिए। पौधा बढ़ जाने के बाद हफ्ते में 1 बार पानी देना पर्याप्त है। ज्यादा पानी देने और जड़ों में पानी रुकने से अश्वगंधा के पौधे को नुकसान होता है।
रोग और कीट का इलाज – इसमें जल्दी कोई कीड़ा-रोग नहीं लगते हैं। बीज बोने से पहले Thiram fungicide और पानी के घोल में डालकर निकालें फिर लगाएं, इससे बीज, अंकुर रोग मुक्त रहते हैं। इसके पौधे को रोगों से सुरक्षित रखने के लिए गौमूत्र, नीम की खली आदि से बनी जैविक कीटनाशक डालें। ज्यादा पानी और नमी न रहे तो इसमें कोई खास रोग नहीं लगते।
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source : https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19633611/
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