लेमनग्रास कैसे उगाए, लेमनग्रास का उपयोग और स्वास्थ्यवर्धक फायदे की जानकारी – इस पौधे की पत्तियों से नींबू जैसी सुगंध आती है, इसीलिए यह लेमनग्रास या नींबूघास कही जाती है। दुनिया में सबसे ज्यादा लेमनग्रास की खेती भारत में ही होती है।
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लेमनग्रास की पहचान और लेमनग्रास के उपयोग | Lemongrass plant
लेमनग्रास पतली-लंबी घास वाला पौधा है जोकि मूलतः भारत से ही दुनिया में फैला है। लेमन ग्रास का वैज्ञानिक नाम Cymbopogon है। लेमनग्रास का पौधा 2-5 फुट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। लेमनग्रास की पत्तियों, तने के आसवन (distillation) से सुगंधित तेल निकाला जाता है। इस तेल की खुशबू नींबू के जैसी होती है। लेमनग्रास की पहचान यह है कि इसकी पत्तियों को लेकर हाथ में मसलने पर नींबू जैसी महक (Citrus flavor) आएगी। इस पौधे पर फूल नहीं निकलते हैं।
लेमनग्रास की ताजी पत्ती या सूखी पत्ती से मिलने वाले लेमनग्रास पाउडर से लेमनग्रास टी, हर्बल चाय बनती है और सूप आदि डिश में भी डाला जाता है। लेमनग्रास टी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेमनग्रास के नर्म तने का भी कई डिश बनाने में उपयोग होता है और भारत के नॉर्थ-ईस्ट प्रदेशों के भोजन में उपयोग होता है। लेमनग्रास आयल का उपयोग अगरबत्ती, साबुन, परफ्यूम, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट, अरोमा ऑयल बनाने में किया जाता है।
आजकल लेमनग्रास की खेती का प्रचलन भारत में काफी बढ़ रहा है क्योंकि लेमनग्रास की खेती में बहुत देखभाल की जरूरत नहीं होती और लेमनग्रास आयल की अच्छी कीमत मिलती है। भारत में क्वालिटी के अनुसार लेमनग्रास ऑयल का प्राइस 1000-4000 रुपये प्रति लीटर हो सकता है।
लेमनग्रास के फायदे और औषधीय गुण | Lemongrass benefits
1) लेमनग्रास का सेवन पाचन सुधारने में मदद करता है। इससे पेट की सूजन, पेट फूलना, पेट में ऐंठन, अपच, कब्ज, दस्त, उल्टी और ऐंठन जैसी पाचन संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है।
2) नींबूघास की चाय पीने से मेटाबोलिज़्म तेज होता है जिससे Fat Burn होता है और मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
3) लेमनग्रास में एंटी-अमीबिक, एंटी-बैक्टिरियल, एंटी-डायरियल, एंटी-फंगल, एंटी-फाइलेरियल, एंटी-इंफलेमेटोरी गुण होते हैं।
4) अरोमाथेरेपी यानि खुशबू से उपचार विधि में लेमनग्रास एसेंशियल आयल के उपयोग से मसल्स (मांसपेशी) के दर्द, स्ट्रेस, बेचैनी, डिप्रेशन, से राहत मिलती है।
5) लेमनग्रास में विटामिन A, विटामिन C होता है। Lemongrass Tea पीने से स्वस्थ बाल, सुंदर स्किन का फायदा मिलता है और ये दिमाग के लिए भी फायदेमंद है।
6) लेमनग्रास की पत्तियों की चाय पीने से इम्यूनिटी मजबूत होती है जिससे सर्दी-खांसी, जुकाम, बलगम, फीवर, स्ट्रेस (तनाव) में आराम मिलता है। इस चाय में तुलसी, इलायची, अदरक मिलाने से ये और भी फायदेमंद बन जाती है।
7) इस लेमनग्रास टी पीने से हाई ब्लड प्रेशर घटता है, कोलेस्टेरॉल कम होता है और शरीर के टॉक्सिन तत्व दूर होते हैं।
8) एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर यह चाय पीने से शरीर में जमे टॉक्सिन (जहरीले तत्व) बाहर निकलते हैं। यह चाय पीने से पाचन तंत्र (Digestive system) भी सही रहता है। लंच/डिनर खाने के बाद लेमनग्रास टी पी सकते हैं।
9) लेमनग्रास से किड्नी, लिवर, ब्लैडर की सफाई हो जाती है।
10) Lemongrass चाय लड़कियों, स्त्रियों को पीरियड के दर्द, पेट में ऐंठन की समस्या में आराम दिलाता है और ऐक्ने-पिम्पल ठीक करने में मदद करता है।
11) नींबूघास या लेमनग्रास में एंटी-कैंसर होते हैं जिससे यह कैंसर रोग की संभावना कम करता है।
12) नींबूघास की चाय ब्लड शुगर लेवल कम करती है, इसलिए डायबिटीज के रोगी को डॉक्टर की सलाह से पीना चाहिए। इसी तरह प्रेगनेन्ट औरत या दूध पिलाने वाली माँओं को भी यह चाय नहीं पीना चाहिए।
लेमनग्रास टी कैसे बनाए | How to Make Lemon grass tea
लेमनग्रास टी बनाने के 2 प्रचलित तरीके हैं, आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी तरीका अपना सकते हैं। लेमनग्रास टी बनाने के लिए लेमनग्रास की ताजी पत्तियाँ चाहिए, ताजी न मिले तो सूखी पत्तियाँ भी डाल सकते हैं लेकिन ताजी पत्तियों की चाय का फ्लेवर तेज और अधिक खुशबूदार होता है। ताजी पत्तियों को छोटे टुकड़े में तोड़कर डालें।
1) देसी भारतीय चाय में लेमनग्रास डालें – आप जैसे दूध और चायपत्ती डालकर अपने घर में चाय बनाते हैं वैसे ही बनायें लेकिन सबसे पहले पानी में लेमनग्रास की पत्ती डालकर उबालें। 5-7 मिनट बाद चायपत्ती, चीनी, दूध डालकर चाय बना लें।
2) लेमनग्रास, पुदीना, गुड़ या शहद डालें – सबसे पहले पानी में लेमनग्रास पत्तियाँ और कुछ पुदीने की पत्ती डालकर ढककर उबालें। जब पानी उबलने लगे तो गैस धीमी कर दें और 5-7 मिनट धीमी आंच पर उबलने दें। इसके बाद चाय के बर्तन को गैस से उतार कर रख लें। चाय छानकर पीने के लिए तैयार है। अगर आप इस चाय में कुछ मीठापन चाहते हैं तो उबालते समय आप थोड़ा सा गुड़ स्वाद के लिए डाल सकते हैं या चाय छानने के बाद कप में 1-2 चम्मच शहद डालकर मिला सकते है।
आप चाहें गैस से बर्तन उतारने के बाद इसमें थोड़ी सी चायपत्ती डाल सकते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है। अगर चायपत्ती डाली है तो 2-3 मिनट रुकें जिससे चाय का स्वाद आ जाए, फिर इसे छानकर पी सकते हैं। ध्यान रखें शहद को उबलते पानी में नहीं डालना है। बाजार में लेमनग्रास टीबैग, लेमनग्रास पाउडर, सूखी लेमनग्रास पत्तियाँ मिलती हैं जिसका आप यह चाय बनाने में उपयोग कर सकते हैं। अगर आप इसे ऑनलाइन खरीदना चाहें तो यह लिंक देख सकते हैं >
लेमनग्रास कैसे लगाएं | Grow Lemongrass plant
भारत में लेमनग्रास की 2 प्रजातियाँ Cymbopogon flexuosus और Cymbopogon citratus होते हैं, जिसमें Cymbopogon flexuosus का तेल ज्यादा अच्छा होता है और व्यवसायिक खेती के लिए सही होता है। वैसे तो यह पौधा साल भर उगाया जा सकता है लेकिन इसे लगाने का बेस्ट समय फरवरी-मार्च और जुलाई-अगस्त है।
यह पौधा लगाने के 4-6 महीने में पूरी तरह से बढ़ जाता है। एक बार लगाने के बाद करीब 5 साल तक इसकी कटाई करके पत्तियाँ उपयोग की जा सकती है। लेमनग्रास की पत्तियों को काटने के बाद उसके तने से फिर से नई पत्तियाँ निकलने लगती हैं। जमीन से कम से कम 10-15 सेंटीमीटर तना छोड़कर पत्तियाँ काटी जा सकती हैं।
नींबूघास या लेमनग्रास लगाने के 3 तरीके हैं –
- लेमनग्रास के पुराने पौधे से 1 (Bulb) कंदयुक्त तना लेकर लगाएं
- लेमनग्रास के बीज बोए
- बाजार से लेमनग्रास का तना लाकर लगाएं
1) लेमनग्रास के पुराने पौधे से 1 कंदयुक्त तना लेकर लगाएं –
जब लेमनग्रास का पौधा पुराना हो जाता है तो मुख्य तने के आस-पास कई नए तने तैयार हो जाते हैं और पौधे का फैलाव बढ़ जाता है। लेमनग्रास के पुराने पौधे की जड़ में कई छोटे-छोटे बल्ब (कंद) होते हैं। ये सारे कंद जुड़े हुए होते हैं और हर कंद के ऊपर से 1-2 तने निकले होते हैं। यह कंद आसानी से अलग हो जाते हैं और हर कंद से जड़ें भी निकली होती हैं।
इसमें 5-6 जुड़ी हुई कंद वाले भाग को अलग करके लगाने पर नया पौधा बन जाता है। आप चाहें तो इसमें से किसी एक कंद को अलग करके लगाने से भी लेमनग्रास का नया पौधा तैयार हो जाता है। कंद को सावधानीपूर्वक अलग करें जिससे कि जड़ें न टूटें।
2) लेमनग्रास के बीज बोए –
लेमनग्रास के बीज को गमले में पानी छिड़ककर, छोटा गड्ढा (करीब 1 सेंटीमीटर गहरा) करके लगा दें। अब मिट्टी से ढककर गमले में पानी छिड़ककर किसी छाया वाली जगह पर रख दें, जो बहुत ठंडी जगह न हो। हल्का पानी रोज छिड़क दें जिससे मिट्टी की नमी बनी रहे, ज्यादा पानी नहीं देना है। लगभग 7-10 दिन में बीज से अंकुर निकलने लगेंगे। जब अंकुर से पौधा बनने लगे तो गमला किसी धूप वाली जगह रख दें जिससे कि पौधे तेजी से बढ़ सके। जब करीब 6 इंच के पौधे बन जाएं तो हर पौधे को अलग-अलग गमले या जमीन में लगा दें।
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3) बाजार से लेमनग्रास का तना लाकर लगाएं –
आजकल सब्जी मंडियों में लेमनग्रास का तना मिलने लगा है जोकि कई फूड आइटम बनाने में उपयोग होता है। ऐसा तना चुने जिसके नीचे कंद (Rhizome) वाला भाग भी हो। ऊपर की पत्तियाँ 5-6 सेंटीमीटर तोड़ दें जो सूखी लगें। ऐसा तना लाकर किसी कांच के गिलास में 2-3 इंच पानी भरकर डाल दें और हर रोज पानी बदलते रहें। इसे किसी रोशनी वाली जगह रखें या खिड़की पर जहाँ कुछ घंटे धूप आए। इस उपाय से करीब 10-14 दिन में पौधे से करीब 2-3 इंच लंबी जड़ें निकल आयेंगी। इसके बाद आप इस तने को किसी गमले में लगा सकते हैं।
लेमनग्रास की केयर कैसे करें | Lemongrass plant Care –
रोग – इसमें जल्दी कोई रोग या कीट नहीं लगते। अगर लेमनग्रास की पत्ती पीली या भूरी दिखे तो यह पानी की कमी या गमले से फालतू पानी न निकलने की वजह से होता है।
धूप – लेमनग्रास या नींबूघास के पौधे खुली धूप में अच्छे से बढ़ते हैं। छाया में लगे हुए इस लेमनग्रास के पौधे का सही विकास नहीं होता और रोग लगने की संभावना होती है।
पानी – इस पौधे को बढ़ते समय खूब पानी की जरूरत होती है (हफ्ते में 3-4 बार) जिससे कि खूब तने और पत्तियाँ बन सके। पूरा बढ़ जाने के बाद पानी कम देना होता है (हफ्ते में 1 बार या जब मिट्टी सूखी लगे)।
खाद – गमले में लेमनग्रास बोते समय डाली गई जैविक खाद से इसका काम चल जाता है। इसके अलावा बैलेन्स्ड NPK खाद या सीवीड खाद डालने से अधिक विकास देखने मिलता है।
छँटाई – लेमनग्रास का पौधा लगाने पर धीरे-धीरे फैलता जाता है और कई सारे तने तैयार हो जाते हैं। इसलिए समय-समय पर पौधे की छँटाई कर दें, छँटाई से पौधे को नुकसान नहीं होता और कुछ समय बाद फिर से पत्तियाँ बढ़ जाती है।
नोट – लेमनग्रास के जैसी ही दिखने वाली एक घास Citronella होती है जोकि लेमनग्रास से अलग है। कई बार Citronella को भी Lemongrass कह दिया जाता है क्योंकि सिट्रोनेला में भी नींबू सी महक (lemony scent) आती है। सिट्रोनेला के तने में लाल सा शेड होता है जबकि लेमनग्रास का तना पूरा हरा होता है।
अब आप जान गए होंगे कि लेमनग्रास का पौधा कैसे लगाए और लेमनग्रास के फायदे क्या हैं। लेमनग्रास के बारे में जानकारी अपने मित्र, परिचितों के साथ व्हाट्सप्प शेयर, फॉरवर्ड करें जिससे कि अन्य लोग भी इस बेहतरीन घास के उपयोग का लाभ उठा सके।
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source : https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3217679/
बहुत उपयोगी जानकारियों के साथ महत्वपूर्ण लेख।
Muje pori jankari chahiye
Me apne khet me plantation please sir
सर लेमग्ग्राश के बिज कहा मिलते हे इसे किसको बेच सकते हे इसकी pdf भेजना धन्यवाद
बीज ऑनलाइन इंटरनेट से खरीद सकते हैं। पौधे की कलम किसी बड़ी नर्सरी या नजदीकी सरकारी कृषि संस्थान से संपर्क करें
लेमन ग्रास के फूल निकलते हैं तब बीज निकलते हैं।इसके फूल बांस के फूलों की तरह होती हैं।आकवन विधि से तेल निकाला जाता है।
बहुत सुंदर जानकारी पूर्ण आलेख
Nice information