नील क्रांति – Indigo Revolt in hindi :
– नील क्रांति का सम्बन्ध नील की खेती से जुड़ा हुआ है. यूरोपीय देश नील की खेती में अग्रणी थे. अंग्रेज और जमीदार भारतीय किसानो पर सिर्फ नील की खेती करने और उसे कौड़ियो के भाव उनसे खरीदने के लिए बड़ा ही जुल्म ढाते थे.
पूरे भारत में यही हाल था. सबसे पहले सन 1859-60 में बंगाल के किसानो ने नील क्रांति शुरू करके इसके खिलाफ आवाज़ उठाई.
– नील क्रांति (Indigo Revolt) पर बंगाली लेखक ‘दीनबन्धु मित्र’ ने नील दर्पण नामक एक नाटक लिखा, जिसमें उन्होंने अंग्रेजो की ज्यादतियां और शोषित किसानो का बड़ा ही मार्मिक दृश्य प्रस्तुत किया.
ये नाटक इतना प्रभावकारी था कि देखने वाली जनता, जुल्म करते हुए अंग्रेज का रोल निभाने वाले कलाकार को पकड़ के मारने लगी.
फोटो स्रोत : अंग्रेजो के ज़माने में इलाहाबाद में नील उत्पादन
धीरे धीरे नील आन्दोलन (Indigo Revolution) पूरे देश में फैला और 1866-68 में बिहार के चंपारण और दरभंगा के किसानो ने भी खुले तौर पर विरोध किया. बंगाल के किसानो द्वारा किया हुआ नील क्रांति आन्दोलन इतिहास में सबसे बड़े किसानी आन्दोलनों में एक माना जाता है.
नील – Indigo powder in hindi :
आजकल नील (Indigo in hindi) डालने का प्रचलन ख़त्म सा हो गया है. पुराने ज़माने में सफ़ेद कपड़ो में तो नील (Indigo powder) डालना ही होता था. गौर करने पे याद आता है, पहले लोग सफ़ेद कपडे ज्यादा पहनते भी थे. कुरते पायजामे, धोती, शर्ट, अंगोछे, रुमाल सफ़ेद ही होते थे ज्यादातर.
एक बात ये भी है कि पानी का अंतर भी होता था. कठोर जल (Hard water) में कपडे जल्दी ही पीले पड़ने लगते थे, इसलिए नील आवश्यक सामग्री थी.
लोग नदी के किनारे की मिटटी जिसे रेह कहते थे लाकर कपडे धोते थे और नील डाल के चमका लेते थे. नील चूने से होने वाली पुताई में भी प्रयोग होता है, जोकि एक बढ़िया आसमानी सा मन को शांत करने वाला रंग देता है. ये हल्का नीला रंग (Indigo blue color) ठंडक सी देता महसूस होता है.
नील का पौधा
– आजकल बहुत तरह के केमिकल पेंट्स प्रयोग होने लगा है, पर फिर भी कई लोग नील चूने की पुताई (Indigo paint) करवाते है. भारत जैसे गर्म देश के हिसाब से ये केमिकल पेंट्स अच्छे नहीं माने जाते है क्यूकी इन रंगों में प्रयोग होने वाले केमिकल कमरे की हवा में केमिकल के अंश फैलाते रहते है.
नयी होने वाली रिसर्च में पता चला है कि ये चूने वाली पुताई हमारे स्वास्थ्य के लिए ज्यादा अच्छी होती है.
– जैसे जैसे प्रगति हो रही है अब लोग जान समझ रहे है कि जैविक खेती (Organic farming) मतलब केमिकल वाली खाद के बिना होने वाली खेती और घर के निर्माण में जैविक तरीका अपनाना सेहत के साथ मन और मष्तिष्क पर बड़ा ही पॉजिटिव प्रभाव डालता है.
अतः हम सबको प्रयास करना चाहिए कि ये तरीके अपना के हम भी अपने आस पास को प्रदूषण रहित बनाएं.
फोटो स्रोत : जोधपुर (राजस्थान) के नील चूने से पुते मकान
नील या नीला (Indigo color) एक शांत रंग है. ये रंग तनाव दूर करता है. देखा जाये तो नीले आसमान के रूप में, ये हमारे द्वारा सबसे ज्यादा देखे जाने वाला रंग है.
हमारा जीवन यादों और बातों का एक तानाबाना सा है. सुबह से ही इतनी बातें नील (Indigo in hindi) को लेकर मन में आने लगी कि बिना लिखे मन नहीं माना. आपकी भी कई यादें ताज़ा हुई होंगी. जरुर बताइयेगा.
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फोटो स्रोत : नील के पौधे से नील बनाना
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