दूरदर्शन सीरियल लिस्ट व पुराने दूरदर्शन टीवी शोज – केबल टीवी से पहले दूरदर्शन धारावाहिक ने टीवी पर राज किया. दूरदर्शन के पुराने सीरियल्स हर उम्र के लोगों का मनोरंजन करते थे। आज टीवी पर देखने के लिए चैनल तो बहुत बढ़ गये है पर हम कितने चैनल देखते है ? कितनी देर देखते है ? देखते क्या हैं…बस चैनल बदलते रहते हैं. चलिए थोडा सा दूरदर्शन के सुनहरे दिनों को याद करते हैं.
मनोरंजन, ज्ञान, समाचार, संस्कृति-इतिहास आदि सभी आवश्यक विषयों पर रोचक प्रोग्राम प्रसारित किए जाते थे। तब टीवी पर ads भी नहीं आते थे। दूरदर्शन के कार्यक्रमों की कहानियाँ और मनोरंजन स्तर इतना अच्छा था कि आज के कोई भी टीवी सीरियल उसके बराबर नहीं लगते हैं।
दूरदर्शन के यादगार पुराने सीरियल, कार्यक्रम | Old serials of Doordarshan in hindi
Contents
- दूरदर्शन के यादगार पुराने सीरियल, कार्यक्रम | Old serials of Doordarshan in hindi
- दूरदर्शन पर बच्चो के टीवी शो | Old Doordarshan program for kids
- दूरदर्शन पर फिल्में देखना –
- बोरिंग कृषि दर्शन का पॉवरफुल असर | about Krishi Darshan in hindi
- चित्रहार और रंगोली के जलवे | Doordarshan Chitrahaar and Rangoli
- रामानंद सागर के ओल्ड सीरियल कैसे भुला सकता है कोई | Ramanand Sagar Serial list
- ज्ञान-विज्ञान से भरपूर दूरदर्शन के दिखाए गए टीवी शो
अब बात करते हैं कुछ यादगार पुराने दूरदर्शन धारावाहिकों के नाम.
धार्मिक – रामायण, महाभारत, जय हनुमान, श्री कृष्णा, ॐ नमः शिवाय, जय गंगा मैया आदि।
ऐतिहासिक दूरदर्शन धारावाहिक – टीपू सुल्तान, अकबर द ग्रेट, द ग्रेट मराठा, भारत एक खोज, चाणक्य आदि।
पुराने धारावाहिक या टीवी सीरियल – स्वाभिमान, अंजुमन, संसार, बुनियाद, हम लोग, कशिश, फ़र्ज़, वक़्त की रफ़्तार, अपराजिता, इतिहास, शांति, औरत, फरमान, इंतज़ार और सही, हम पंछी एक डाल आदि।
कॉमेडी व मनोरंजन – ये जो है जिंदगी, मुंगेरीलाल के हसीं सपने, विक्रम-बेताल, सुराग, मालगुडी डेज, तेनालीराम, व्योमकेश बक्शी, कैप्टेन व्योम, चंद्रकांता, शक्तिमान, आपबीती, फ्लॉप शो, अलिफ़ लैला, आँखें, देख भाई देख, एक से बढ़कर एक, ट्रक धिना धिन, तहकीकात आदि ने हमारा मनोरंजन किया.
दूरदर्शन पर बच्चो के टीवी शो | Old Doordarshan program for kids
दूरदर्शन पर सिर्फ रविवार को कार्टून आते थे. चूँकि भारत की Animation industry उस समय विकसित नहीं थी इसलिए डिज्नी के कार्टून हिंदी में डब करके दिखाए जाते थे. जैसे मोगली जंगल बुक, टेलस्पिन, डक टेल्स, अलादीन, ऐलिस इन वंडरलैंड, गायब आया आदि.
टर रम टू एक मजेदार कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य मनोरंजन के साथ शिक्षा देने का था. टर रम टू का शुरुआती गाना बहुत मजेदार था. पोटली बाबा की कार्यक्रम में एक बूढा बाबा कहानियां सुनाते थे.

– मेरे सबसे प्रिय कार्टूनों में से एक का नाम था वर्तमान, जोकि दोपहर में आया करता था. इस कार्टून में एनीमेशन बहुत औसत स्तर का हुआ करता था परन्तु कहानी, पात्र और शिक्षा बेहतरीन होती थी. अब आप YouTube पर वर्तमान कार्टून के सभी एपिसोड देख सकते हैं।
– बच्चों के लिए रोचक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम तरंग आता था जोकि सीआईईटी की तरफ से प्रायोजित हुआ करता था. लाल बुझक्कड़ चाचा, गोपू और गीतू के किरदार और उनकी सरल बातें हम मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों से मिलती हुई लगती थी.
तरंग का शुरुआती गाना हुआ करता था – सीआईईटी ले कर आया तरंग तरंग, उमंग है तरंग, पहेली पहली पहली है तरंग, मज़ा मज़ा मज़ा है तरंग.
– गर्मी की छुट्टियों में छुट्टी-छुट्टी आया करता था. छुट्टी-छुट्टी के लिए हम लोगों में बड़ा उत्साह रहता था पर ज्यादा नही, क्योंकि छुट्टी-छुट्टी में आने वाले कार्यक्रम के सारे एपिसोड बार-बार साल दरसाल वही दिखाए जाते थे. कुछ नहीं से कुछ सही. गर्मी के लम्बे दिन और धूप में खेलना भी नहीं होता था सो टीवी ही सही. उसका शुरुआती गाना था –
अ आ इ ई हो गयी छुट्टी अ आ इ ई हो गयी छुट्टी
हो गयी छुट्टी…
बंद पुस्तकें कापी बस्ते अब दिन बीते हसते हसते
रंग जमेगा आई छुट्टी धूम मचेगा आई छुट्टी
अ आ इ ई हो गयी छुट्टी अ आ इ ई हो गयी छुट्टी
हो गयी छुट्टी…
दूरदर्शन पर फिल्में देखना –
चूंकि घरवाले रात की फिल्म देखने नहीं देते थे, सो मै सबके सोने का इंतज़ार करता, फिर टीवी चला के वॉल्यूम बटन एकदम धीमे करके….पूरी फिल्म खड़े-खड़े स्पीकर से कान सटाए ही देख डालता था.
पकड़े जाना तो स्वाभाविक था पर फिर भी बहुत फिल्मे देखी मैंने ऐसे ही…वो जमाना ही था टीवी की दीवानगी का.

स्वतंत्रता दिवस, गाँधी जयंती पर रिचर्ड एटनबरो की बनाई हुई और बेन किंग्सले अभिनीत फिल्म गाँधी जरुर दिखाई जाती थी. यह एक आश्चर्य वाली बात है की गाँधी जी के ऊपर सबसे अच्छी फिल्म एक विदेशी ने बनायीं.
गाँधी बने बेन किंग्सले मूलतः गुजराती पिता की संतान हैं और बेन का असली नाम कृष्ण पंडित भान जी है. शायद गाँधी जी की तरह एक गुजराती होने की वजह से वो यह किरदार परदे पर जीवंत करने में कामयाब रहे.
शनिवार या रविवार को दोपहर में क्षेत्रीय भाषा में फिल्मे आती थी। ज्यादातर दक्षिण भारत की फिल्में दिखाई जाती थीं. फिल्म में स्क्रीन के नीचे इंग्लिश में सबटाइटल होते थे और कभी कभार हिंदी में भी. मैंने तो कई साउथ फ़िल्में देखी। कुछ आर्टिस्टिक और हट-के टाइप की होती थी ये फ़िल्में. बॉलीवुड की फिल्मों से अलग ज्यादा सरल और असल जिन्दगी से मिलती हुई सी.
– रात में आने वाली हिंदी फिल्मों में पहले बस 1 बार प्रचार आते थे परन्तु बाद में इतने ज्यादा आने लगे कि कितनों ने ही रात की फ़िल्में देखना छोड़ दिया. जीत फिल्म अक्सर आती थी जिसमे सलमान खान, करिश्मा कपूर, सनी देओल थे.
Ads डालने के चक्कर में फिल्म को इतना काटा जाता था कि अंत में जा के समझ ही नहीं आता था कि हो क्या रहा है. जीत फिल्म इस चक्कर में मैंने कई बार देखी और हर बार मुझे नए-नए सीन देखने मिलते थे क्यूंकि कमर्शिअल एड हर बार अलग अलग जगह जोड़े जाते थे. जीत के अलावा जिद्दी, घायल, घातक, बिच्छू, बरसात, जंजीर फिल्म भी कईयों बार दिखाई गयी थी.
बोरिंग कृषि दर्शन का पॉवरफुल असर | about Krishi Darshan in hindi
दूरदर्शन पर हर रोज शाम की शुरुआत कृषि दर्शन कार्यक्रम से होती थी। कृषि दर्शन किसानो के लिए ज्ञान और मार्गदर्शन का प्रोग्राम था। भले ही हम शहरी लोगों को इस सीरियल ने बोर किया हो परन्तु यह दूरदर्शन के सबसे सफल कार्यक्रमों में से एक था। कृषि दर्शन से हजारों गांवों के लाखों किसानो का भला हुआ। इस कार्यक्रम के अंत में लोकगीत आते थे, जब वो आने लगता था तब मै राहत की सांस लेता था कि चलो ! अब ख़तम होने वाला है।

चित्रहार और रंगोली के जलवे | Doordarshan Chitrahaar and Rangoli
फ़िल्मी गाने देखने के ये एकमात्र स्रोत थे. मजे बात ये थी कि इनमे कभी भी एकदम नए रिलीज़ गाने और वो भी पूरे, कभी नहीं दिखाये जाते थे.
शुरुआत में ब्लैक एंड वाइट गाने आते थे (जोकि बोझ लगते थे पर बड़ों की पसंद की वजह से पूरे चलते थे) और जब हम बच्चों का उत्साह चरम पर होता कि अंत के नए गाने देखे, कोई न कोई बड़ा अवश्य टीवी बंद कर देता था.
कितनी बार होता कि टीवी चल रही होती, कोई बड़ा आस-पास न होता, हम इंतज़ार कर रहे होते कि नया गाना बस आने वाला है कि अचानक कही से मम्मी या पापा आ कर टीवी बंद कर देते .
– कसम से मेरी आँखों में तो आंसू आ जाते थे और मै जानता हूँ कि ये असम्भव है कि आप भी कभी रोये न हो. ‘मोहरा’ फिल्म के तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त गाने को देख कर शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसने सर पर रुमाल, अंगोछा आदि बांध कर खुद को शीशे में न देखा हो और डांस स्टेप की नक़ल न की हो.
– साजन का गाना बहोत प्यार करते हैं तुमको सनम शायद कुछ ज्यादा ही आता था. मेरा बचपना था तब, और कोई ऐसा अरमान कतई नहीं था सो मै बहुत ही पकता था इस गाने से .
रामानंद सागर के ओल्ड सीरियल कैसे भुला सकता है कोई | Ramanand Sagar Serial list
रामायण उनका सबसे बेहतरीन कार्यक्रम था जिसने टीवी-भक्ति लोगो में पैदा की. इसके अतिरिक्त ऑंखें, जय गंगा मैया, अलिफ़ लैला, जय श्री कृष्णा, तिलिस्म-ए-होशरुबा, हातिमताई आदि कार्यक्रम भी रामानंद सागर जी के प्रोडक्शन में बने थे.
मजेदार बात यह होती थी कि रामानंद सागर के सभी कार्यक्रमों में ज्यादातर वही कलाकार होते थे. हर कार्यक्रम में उन्हें ही लिया जाता था. कई बार वही कलाकार किसी सीरियल में कोई मुस्लिम शेख तो किसी में महामंत्री बन कर एक ही दिन में दो बार दिखता था.
रामानंद सागर के कार्यक्रमों के ज्यादातर सेट, कपडे, हथियार, सामान भी वही होते थे. स्पेशल इफेक्ट्स भी बहुत सामान्य स्तर का होता था.
उनके सीरियल के किसी सीन में, कलाकार के चेहरे के भावो को बार-बार दिखाना, आती-जाती सेना को आगे से, पीछे से, बीच से बार-बार दिखाकर एपिसोड को खीचना आदि बहुत से उबाऊ सीनों की शुरुआत शायद रामानंद सागर के सीरियल से ही शुरू हुई थी.

ज्ञान-विज्ञान से भरपूर दूरदर्शन के दिखाए गए टीवी शो
– टर्निंग पॉइंट ज्ञान-विज्ञान से भरपूर कार्यक्रम होता था जिसमे गिरीश कर्नाड एंकर हुआ करते थे. पर्यावरण से सम्बंधित माइक पाण्डेय का कार्यक्रम अर्थ मैटर्स आता था.
– शनिवार सुबह 10 बजे के लगभग द ओपन फ्रेम डॉक्युमेंट्री का कार्यक्रम आता था, जिसमे भारत की बेहतरीन पुरस्कृत डाक्युमेंट्रीज़ दिखाई जाती थी.
– सिद्धार्थ काक और रेणुका शहाने सुरभि में आते थे और एक साथ नमस्कार बोल कर कार्यक्रम शुरू करते थे. भारत की विभिन्न विविधताओं और अजब-अनोखे किस्सों को प्रदर्शित करने वाला यह कार्यक्रम बड़े-बच्चों सभी का स्वस्थ मनोरंजन करता था.
मेरे ख्याल में सुरभि पहला कार्यक्रम था जिसमे नियमित इनामी प्रतियोगिता होती थी. भारत की संस्कृति और सामान्य ज्ञान से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते थे. इनाम में भारत के विभिन्न राज्यों के टूर-पैकेज दिए जाते थे.
एक एपिसोड में खेत सी जगह दिखाई गयी, जहा मचान बाँध कर पौधे लगाये गए थे. उन मचानो से बेलें लटक रही थी. पूछा गया कि ये किस चीज़ की खेती है, जो असल में पान की थी. उस एपिसोड में लाखों लोगों ने उत्तर भेजे, जिनके पोस्टकार्ड अगले एपिसोड में दिखाए गये थे. लाखों पोस्टकार्ड देखकर मुझे पहली बार अंदाजा हुआ कि सुरभि (Surabhi) कितना लोकप्रिय सीरियल था.
– दूरदर्शन में कभी-कभी नए प्रयोग भी देखने को मिलते थे. सन 2001 में मैं 12वीं कक्षा में था और बोर्ड के एग्जाम चल रहे थे. उन दिनों दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक डिस्कवरी चैनल के आधे-आधे घंटे के 2 कार्यक्रम दिखाये जाते थे. वो 1 घंटे का प्रोग्राम मैं रोज़ देखता था और देखने के बाद अपने एग्जाम सेंटर जाता था, जहाँ पर 2 बजे से मेरे बोर्ड एग्जाम होते थे.
दूरदर्शन के बारे में 7 रोचक जानकारी और बातें
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वर्षा उसगावकर का झासी की रानी मै दिल्ली हूँ इन सीरियल के भी कोई लिंक नहीं हैं
सर जी आप पुराने सीरीयल दूरदर्शन चैनल पर प्रसारित करे जेसे। रामायण ।अलीफ लेला ।महाभारत ।राजा रेनचो ।शक्तिमान ।जूनियर जी ।आखे।कयामत ।शक्ति ।चंद्रकांता ।चंद्रमुखी ।एक थी गुल एक थी बुलबुल ।आप बीती ।या सर नया चैनल एड करे नाम जैसे ।दूरदर्शन दृश्य ।दूरदर्शन
Kai program you tube par aagaye hi
‘Plz koi muhje bbatyega ek serial aata tha 2pm something DD 1 Pe, ek chota jinny tha jo baacho koi story baata tha uss serail ka name kya hai
Aap shayad ‘Gayab Aaya’ ki bat kar rahi hain. Iske episodes YouTube par hain. Ye youtube video dekhiye – https://www.youtube.com/watch?v=hCbYTUWPxeI
Yes, mujhe yaad hai wo serial usme jo jinn tha wo ek diwal ghadi me rhata tha aur baccho ko khaniya sunata tha……. but mujhe bhi uska name nhi yad aa rha hai.
Comment me naam bata diya gaya hai, Dhyan se comments padhe
Jabardast…. Sirji, kuch pal ke liye to mai apni bachpan ki yadon me kho gaya tha…
” Wo Bhi Kya Din The Jab Hum Chhote Bachche The,
Jane kyu Hum Bade Ho Gaye Hum Chhote Hi Achche The.”
क्या बात है सर
एक दूरदर्शन था
हर दिल दीवाना था
क्या ट्रोफी क्या रिकॉर्ड
क्या जमाना था
आपका जितना धन्यवाद करे उतना काम, आप तो फिर से मुझे बचपन में ले गए । गोल्डन डेज:)
धन्यवाद आपका भी ! वो दिन वाकई बेहतरीन थे.
Samander Ke Lootere
Ghar Ka Chirag
Yah serial ke bare mein Jankari chahie
Sir, me delhi se hun. Durdarshan pe der rat ko A movies ane lagi thi. Unme regional movies bhi hiti thi subtitles ke sath. Usi me ek baal film bhi ayi thi girish karnad dwara direct ki hui. Bahut simple si film thi. Uska nam yad nahi, per kuch jankari mil jaye to apka dhanyavad. Bache kisi qile tapu pe khelte the aur so gaye the. Ghar nahi laute. Esa kich tha.
जी हाँ ! मैंने भी दूसरी भाषाओं की खूब सारी मूवीज देखी थीं। एकदम अलग हटके टाइप की मूवीज आती थीं। आप जिस मूवी की बात कर रही हैं उसका नाम तो काफी खोजने पर भी नहीं मिला मुझे।
सर
हर ड्राइवर अपनी अपनी देवता की पूजा करके ही गाड़ी बाहर निकालता है
देवताका फोटो ड्राइवर सीट के सामने होता
हर ड्राइवर विविध धर्म, पंथ का होता है
परिस्थिति ऐसी होती है की पूजा स्थल छोड़ के पूरी गाड़ी भंगार होती हैं
इस सीरियल का नाम याद नही आ रहा है
कृपया नाम अवगत करे
Sir diksha ke bare me bataye
Morning me 10 per aata tha
Study ke uper tha
Please my past day looked I am very excited but no lossing but I am very excited my past day I am crying
Sir ji chandrakanta ek baar phir dene ka mera agrah swikar kare