Mokshagundam Visvesvaraya in hindi : सर एम विश्वेश्वरैया एक तेज दिमाग इंजीनियर, राजनेता और मैसूर के दीवान थे। भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित M. Visvesvaraya के जीवन से जुड़ी यह रोचक घटना पढ़िए।
आधी रात का समय था। रात्रि के शांत अँधेरे में शोर मचाती हुई एक Train अपने गन्तव्य की ओर चली जा रही थी। एक व्यक्ति ट्रेन के डिब्बे में खिड़की से सिर टिकाकर सो रहा था। अचानक उसकी नींद खुल गयी।
वो एकदम से उछलकर अपनी सीट से उठा और सर के ऊपर लटक रही खतरे की जंजीर खींच दी। चेन खींचते ही Train धीमी होने लगी और थोड़ी दूर चल कर रुक गयी। ट्रेन के कर्मचारी, सहयात्री और अन्य डिब्बों के लोग उस डिब्बे में यह जानने के लिए गये कि क्या हुआ।
कुछ लोगों को ये लगा कि शायद इस आदमी ने नींद के झोंके में चेन खींची होगी। ये सोचकर वो गुस्से में भी आ गये। आखिर सभी लोगों ने उस आदमी को घेरकर पूंछा कि आखिर उसने ट्रेन क्यूँ खींची।
उस व्यक्ति ने आराम से जवाब दिया – Train track में कुछ मीटर आगे एक क्रैक है। अगर ट्रेन उसके ऊपर से गुजरती तो अनहोनी घट सकती थी।
लोग इस बात से चौंक पड़े, वो बोले – क्या बात कर रहे हो। इस अंधेरी रात में, ट्रेन में बैठे बैठे आपको कैसा पता चल गया कि ट्रेन के आगे पटरी में क्रैक है ? क्या मजाक कर रहे हो !
चेन खींचने वाला आदमी बोला – जी नहीं. मुझे चेन खींचने और सबको परेशान करने का कोई इरादा नहीं है। आप लोग जाकर ट्रैक चेक करिए, उसके बाद मुझे बताइयेगा।
रेलवे के कर्मचारी ट्रेन से उतर कर टॉर्च लेकर Train Track चेक करने लगे। सभी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने देखा कि वाकई ट्रेन जहाँ रुकी थी, उससे थोड़ी ही दूर पर ट्रैक में (Deep Crack) गहरा क्रैक था। अगर ट्रेन क्रैक के ऊपर से गुजरती तो उस अँधेरे, सूनसान इलाके में अवश्य ही बड़ी दुर्घटना घट जाती।
सभी लोग फिर से वापस उसी आदमी के पास पहुंचे जिसने इस बात की पूर्वसूचना दी थी। लोगों के पूछा कि आखिर आपको यह बात पहले ही कैसे पता चल गयी।
– उस व्यक्ति ने बताया उसे सोते हुए ट्रेन और ट्रैक की आवाज़ सुनाई दे रही थी मगर अचानक ही वह आवाज़ बदल गयी थी. पटरी और ट्रेन के पहिये के कम्पन से होने वाली आवाज़ में अचानक आये बड़े बदलाव से उसे पता चल गया कि ट्रैक में आगे अवश्य ही बड़ा क्रैक है।
आश्चर्यजनक रूप से Train accident रोकने वाला यह व्यक्ति कोई और नहीं महान सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ही थे।
एम विश्वेश्वरैया की जीवनी | Information & Biography of Sir M. Visvesvaraya
15 सितंबर को भारत में अभियंता दिवस यानि इंजीनियर्स डे मनाया जाता है क्योंकि 15 सितंबर 1860 को ही एम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। सर एम विश्वेश्वरैया का जन्म कर्नाटक के कोलार जिले में हुआ था। उनके पिता श्री निवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान थे।
1883 में पुणे के साइंस कॉलेज से विश्वेश्वरैया ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की जिसमें उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया। इससे प्रभावित होकर महाराष्ट्र सरकार ने उन्हे नासिक में ‘असिस्टन्ट इंजीनियर’ पद पर नियुक्त कर दिया।
सर विश्वेश्वरैया को ‘कर्नाटक का भागीरथ’ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने आजादी के पहले ही ऐसे-ऐसे Engineering Projects और उद्यम लगवाने का काम किया जोकि विकास की दृष्टि से उत्कृष्ट थे।
अपनी कड़ी मेहनत और अटूट लगन से डॉ विश्वेश्वरैया ने मैसूर में –
- कृष्णराजसागर बांध
- भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स
- मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी
- मैसूर विश्वविद्यालय
- महारानी कॉलेज
- बैंक ऑफ मैसूर
- भारत की एक बड़ी चीनी मिल स्थापित करवाने जैसे ढेरों अन्य कार्य किये।
एम विश्वेश्वरैया ने ही सबसे पहली बार बांध से पानी के बहाव को कंट्रोल करने के लिए स्टील के दरवाजे लगवाकर एक नए ब्लॉक सिस्टम का आविष्कार किया जोकि आज पूरे दुनिया भर के Dam Projects में प्रयोग होता है।
बंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और मुंबई में प्रिमियर ऑटमोबाईल फैक्ट्री भी मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया जी के प्रयास का ही नतीजा थी।
1912 में M. Visvesvaraya को मैसूर के महाराज ने अपना मुख्यमंत्री घोषित किया। विश्वेश्वरैया ने शिक्षा जगत में सुधार का बीड़ा उठाया और मैसूर राज्य में स्कूलों की संख्या 4,500 से बढ़वाकर 10,500 तक पहुंचा दिया।
डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने कई बेहतरीन किताबों का भी लेखन किया। ये इस प्रकार हैं।
- Constructing India, 1920.
- Rural Industrialization in India, 1931.
- Unemployment in India : it’s causes and cure, 1932.
- Planned Economy for India, 1934
- Nation Building: a five year plan for the provinces, 1937.
- District Development Scheme, 1939.
- Prosperity through Industry, 1942.
- Village industrialization, 1945.
एम विश्वेश्वरैया का निधन 101 साल की दीर्घायु में 14 अप्रैल 1962 को हुआ।
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source : https://hi.wikipedia.org/wiki/मोक्षगुंडम_विश्वेश्वरय्या