ऑयल पुलिंग क्या है | Oil Pulling Ayurveda : ऑयल पुलिंग (गंदुश क्रिया) आयुर्वेद की 3000 वर्ष प्राचीन तकनीक है जिसे संस्कृत में कवल ग्रह, स्निग्ध गंडूष कहा गया है। ऑयल पुलिंग यानि तेल का कुल्ला करने से शरीर के विषैले तत्व (Toxins) निकल जाते हैं जिससे कई सारे रोग ठीक होते हैं और मोटापा भी कम होता है। दुनिया भर में Oil Pulling काफी प्रचलन में आ रहा है और विदेशी लोग भी इसके गुणगान कर रहे हैं।
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ऑयल पुलिंग के फायदे | Oil Pulling Benefits
1) ऑयल पुलिंग करने से मुंह के बहुत सारे रोग जैसे दांतों के रोग, मसूढ़ों में सूजन, साँस की दुर्गन्ध ठीक होते हैं। इसके साथ ही सिरदर्द, माईग्रेन, साइनस, अनिद्रा, त्वचा रोग, लीवर रोग, हार्मोन अस्थिरता जैसी समस्याएँ दूर होती हैं।
2) आजकल की लाइफस्टाइल, खानपान और प्रदूषण की वजह से हमारी बॉडी में बहुत से टॉक्सिन तत्व जमा हो जाते हैं। ब्लड सरक्युलेशन के दौरान ये तत्व हमारे जिस अंग में फंस जाते हैं वहाँ रोग पैदा करने लगते हैं। इसके अलावा ये टॉक्सिन बॉडी में थकान, सुस्ती, आलस, दर्द पैदा करते हैं और सेहत के लिए समस्या बनाते हैं। ऑइल पुलिंग इन गंदगियों (Toxins) को खींचकर शरीर से बाहर करने का काम करता है जिससे कई रोग ठीक होते हैं, साथ ही एक ताजगी, फुर्ती और फ्रेशनेस का एहसास भी आपको महसूस होगा।
3) इससे बॉडी का कोलेस्टेरॉल लेवल कम भी होता है जोकि हार्ट रोग और ब्लड प्रेशर मरीज के लिए फायदेमंद है। यह क्रिया मोटापा घटाने में भी मदद करती है।
आयल पुल्लिंग कैसे करे, कब करे, जरूरी नियम | How to do Oil Pulling
1) आयल पुलिंग करने के लिए हम कोई भी वेजिटेबल आयल ले सकते हैं जैसे नारियल तेल (Coconut oil), तिल, सरसों, मूंगफली, सूर्यमुखी, जैतून आदि। अगर आप इस क्रिया के लिए कोल्ड प्रेस्ड तरीके से बना तेल प्रयोग करते हैं तो और भी अच्छा है।
2) सुबह उठने पर बिना ब्रश किये, बिना कुछ खाए-पिए सबसे पहले अपने मुंह में 1-2 चम्मच तेल डाल लें. अब मुंह बंद करके तेल को आपको जीभ की सहायता से पूरे मुंह में, दांतों और मसूढ़ों के चारों ओर फिराना है। इसके बाद मुंह में बने तेल और लार के मिश्रण को 5 से 15 मिनट तक मुंह बंद करके धीरे-धीरे कुल्ला करने जैसी क्रिया करना है। दांतों को बंद रखे और आराम से कुल्ला करते रहे। 5-15 मिनट करने के बाद आपको यह मिश्रण थूक देना है. ये मिक्स्चर देखने में दूधिया सफेद और एकदम पानी जैसा पतला होगा।
3) ध्यान रखें कि आपको यह मिश्रण निगलना बिलकुल नहीं है। इसके बाद साफ पानी से 2-3 कुल्ला करिये जिससे मुंह का सारा मिक्स्चर साफ हो जाए। कुल्ला करने के बाद आप ब्रश करें जैसा आप रोज ही करते हैं। बस इतना आसान है आयल पुलिंग करना। अच्छे परिणाम के लिए हफ्ते में इसे 4-5 दिन करें. फर्क आप खुद महसूस करेंगे।
4) Oil Pulling में तेल का कुल्ला आपको धीरे-धीरे करना है, जिससे 5 -15 मिनट तक करने से आपका मुंह न दर्द करने लगे. बीच-बीच में जीभ की मदद से मुंह में इसे घुमाते भी रहें।
5) ऑइल पुलिंग करते समय एक जगह पर बैठना जरूरी नहीं है। आप इस दौरान न्यूजपेपर पढ़ सकते हैं, मोबाईल चेक कर सकते हैं, वॉक कर सकते हैं आदि। ये एक Basic hygiene habit है जैसे हम रोज ब्रश करते हैं। इसलिए चाहे तो आप इसे रोजाना करें या हफ्ते में 4-5 दिन तो जरूर करें।
तिल के तेल से कुल्ला करने के फायदे
आयुर्वेद के अनुसार तिल के तेल का प्रयोग आयल पुलिंग के लिए सबसे अच्छा माना गया है लेकिन आजकल ज्यादातर लोग नारियल तेल से ऑयल पुलिंग करना पसंद करते हैं क्योंकि इसका स्वाद अच्छा होता है, आसानी से मिल जाता है और इसमें एंटीबैक्टिरीअल, एंटीवाइरल, एंटीफंगल गुण होते हैं।
गंडूष क्रिया या कवल ग्रह के लाभ | Gandusha Kriya Benefits
आयुर्वेद के अनुसार जब आप मुंह में तेल-लार के मिश्रण को कुल्ला करते हुए दांतों, मसूढ़ों, मुंह के अंदर की त्वचा पर घुमाते हैं तो आमा नामक विषैला तत्व आपके मुंह व त्वचा से निकल जाता है। ये आयुर्वेद में बताया गया है कि आमा शरीर में बहुत से रोगों को जन्म देता है।
इसके साथ ही गंडूष क्रिया में तिल, नारियल तेल में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक गुणों की वजह से दांतों व मुख की समस्याओं का निदान होता है।
बाज़ार में मिलने वाले केमिकल माउथवाश मुंह के कीटाणु कम करते हैं लेकिन साथ ही शरीर के लिए फायदेमंद कई अच्छे बैक्टीरिया भी नष्ट कर देते हैं। Oil Pulling तकनीक में यह दोष नहीं होता है। आयल पुल्लिंग में तेल अच्छी क्वालिटी का ही प्रयोग करें जिससे आपको पूरा फायदा मिल सके।
A: सप्ताह में 4-5 बार करना चाहिए। दिन में 1 या 2 बार कर सकते हैं।
A: सही समय सुबह मंजन करने से पहले है या फिर खाली पेट करें, जब आपने 2-3 घंटे से कुछ खाया न हो।
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