Sare tirath baar baar ganga sagar ek baar : गंगासागर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है जिसका पौराणिक काल से बहुत महत्व है। गंगासागर कैसे जाएं, गंगासागर की कहानी, महत्व और यात्रा की पूरी जानकारी।
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सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार क्यों | Gangasagar Kahan hai ?
गंगासागर वो स्थान है जहां गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में समुद्र से मिलती हैं। कहा जाता है कि सभी तीर्थों की यात्रा का फल तब तक नहीं मिलता जब तक आप गंगासागर नहीं जाते। मकर सक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान, दान का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार कहावत के पीछे 2 कारण बताये जाते हैं : –
पहला कारण : गंगासागर को महातीर्थ कहा गया है क्योंकि माना गया है कि सारे तीर्थों का फल गंगासागर आने से मिल जाता है। ये वो स्थान है जहां पर गंगा नदी के स्पर्श से राजा सगर के 60,000 पुत्रों को मुक्ति मिली थी, इसीलिए कई श्रद्धालु लोग यहाँ आकर अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण व पिण्डदान करते है और पूर्वजों की मुक्ति की कामना करते हैं। इस कारण से लोग एक बार तो गंगासागर की यात्रा जरूर करना चाहते हैं, अतः कहा गया – सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार। पुराणों में भी गंगासागर में दान और स्नान को धार्मिक, आध्यात्मिक दृष्टि काफी से महत्वपूर्ण बताया गया है।
दूसरा कारण : कोलकाता से गंगासागर जाने के लिए पहले 86 किलोमीटर दूर काकद्वीप जाना होता है, जहां हारवूड पॉइंट से 3.5 किमी स्टीमर, नाव के जरिए सागर द्वीप (Sagar Island) पहुंचते हैं। इसके बाद सागर द्वीप पर 32 किलोमीटर यात्रा करने के बाद गंगासागर तीर्थ आता है। पुराने समय में ये यात्रा काफी दुष्कर और कठिन थी, कई दिन की यात्रा करने के बाद लोग गंगासागर पहुँच पाते थे इसीलिए लोग दोबारा जाने की सोचते भी नहीं थे। इसीलिए लोग कहने लगे सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार।
FAQ –
A: अक्टूबर से फरवरी तक
A: गंगासागर तीर्थ कोलकाता से 110 किलोमीटर दूर सागर द्वीप पर स्थित है।
A: कपिल मुनि
A: काकद्वीप और नामखाना रेलवे स्टेशन
A: हाँ, एक दिन में दर्शन करके वापस कोलकाता आ सकते हैं।
गंगासागर की कहानी क्या है | Gangasagar History
रामायण की एक कथा के अनुसार अयोध्या के राजा सागर अश्वमेध यज्ञ कर करे थे। उनके प्रताप से डरकर देवताओं के राजा इन्द्र ने उनके यज्ञ का घोड़ा चुरा लिया और कपिल मुनि के आश्रम में जाकर बांध दिया।
राजा सागर की 2 रानियाँ थीं, केशिनी और सुमति। केशिनी का 1 पुत्र था जिसका नाम असमंजस था और सुमति के 60, 000 पुत्र पैदा हुय थे। असमंजस बहुत उद्दंड था और प्रजा के लोगों को बहुत कष्ट देता था, इसलिए राजा सगर ने उसे अयोध्या राज्य से निकाल दिया।
अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चोरी हो जाने से राजा सगर बहुत चिंतित हुए क्योंकि यज्ञ पूरा होने के लिए घोड़ा मिलना जरूरी था। राजा सगर ने अपने 60,000 पुत्रों को घोड़ा खोजने के लिए भेजा। घोड़ा खोजते हुए राजा सगर के वे सभी पुत्र कपिल मुनि के आश्रम पहुँच गए और घोड़े को वहाँ बंधा देखकर उन्होंने कपिल मुनि को चोर समझा।
कपिल मुनि भगवान विष्णु का अंश अवतार थे, जिन्होंने कर्दम ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। राजा सगर के पुत्र कपिल मुनि के बारे में नहीं जानते थे और उन्होंने मुनि का काफी अपमान कर दिया। इस अपमान से क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के पुत्रों को श्राप दिया – अभी भस्म हो जाओ।
मुनि के श्राप देते ही तुरंत राजा सगर के 60,000 पुत्र वहीं भस्म हो गए। जब काफी समय बाद राजा सगर के पुत्र वापस नहीं आए तो उन्होंने अपने पौत्र अंशुमान जोकि असमंजस का पुत्र था, अपने चाचाओं का पता लगाने के लिए भेजा।
अंशुमान भी खोजते-खोजते कपिल मुनि के आश्रम पहुँच गया। वहाँ उसने यज्ञ का घोड़ा और हजारों की संख्या में अस्थि-पिंजर और राख देखी तो वो समझ गया क्या हुआ होगा।
अंशुमान ने कपिल मुनि की स्तुति की और कृपा की प्रार्थना की। कपिल मुनि ने प्रसन्न होकर आँखें खोली। उन्होंने अंशुमान को अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा ले जाने दिया और बताया – अगर राजा सगर का कोई वंशज उस स्थान पर गंगा जी को ले आए तो उसके चाचाओं को मोक्ष मिल जाएगा। अंशुमान घोड़ा लेकर अयोध्या वापस आ गया और राजा सगर ने यज्ञ पूरा किया।
राजा सगर ने अगले 30,000 वर्षों तक राज्य किया, फिर वे अंशुमान को राज्य सौंपकर स्वर्ग सिधार गए। अंशुमान ने गंगा जी को पृथ्वी पर लाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वो अपने जीवन में सफल नहीं हो पाया। अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी काफी तप किया लेकिन वो भी गंगा को लाने में असफल रहे। राजा दिलीप के बाद उनके पुत्र भागीरथ अपने अथक प्रयास और घोर तप से गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफल हुए।
गंगा जी ने आश्वासन दिया कि मैं पृथ्वी पर जरूर आऊंगी, परंतु जिस समय मैं स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आऊंगी, उस समय मेरे प्रवाह को रोकने के लिए कोई उपस्थित होना चाहिए। इसके लिए भागीरथ ने भगवान शिव को तप करके प्रसन्न किया, भगवान शिव ने स्वर्ग से आती हुई गंगा को अपने जटाओं में धारण कर लिया और वहाँ से गंगा 7 धाराओं में भूमि पर उतरीं।
पहली 3 धारायें ह्लादिनी, पावनी, नलिनी पूर्व की दिशा में बह चलीं और 3 धारायें सुचक्षु, सीता और सिंधु पश्चिम की ओर प्रवाह कीं। सातवाँ प्रवाह भागीरथ के बताए रास्ते पर बढ़ चला और आगे-आगे भागीरथ रथ से बढ़ चले।
भागीरथ उस स्थान पर पहुंचे जहां उनके प्रपितामह भस्म हो गए थे। माँ गंगा उनके अवशेषों के ऊपर से बहते हुए राजा सागर के 60,000 पुत्रों का उद्धार करते हुए जाकर सागर में मिल गयीं। राजा भागीरथ ने गंगा जी को पृथ्वी पर लाया इसलिए गंगा का एक नाम भागीरथी भी है।
गंगासागर का मेला | About Gangasagar Mela (Festival)
जिस स्थान अपर राजा सगर के पुत्रों को मुक्ति मिली, ‘गंगासागर’ वही स्थान है। यहाँ पर कपिल मुनि का मंदिर है, जहां लोग दर्शन के लिए जाते हैं। गंगा जी जिस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुईं वो ‘मकर संक्रांति’ का दिन था। संक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान का बहुत महत्व है इसलिए हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में विशाल मेला लगता है, जहां लाखों लोग स्नान और दान के लिए आते हैं।
गंगासागर का मेला 5 दिन तक चलता है, इस दौरान तीर्थयात्री लोग मुंडन, श्राद्ध, पिण्डदान और समुद्र में पितरों को जल अर्पित करते हैं। गंगासागर में कपिल मुनि का प्राचीन मंदिर था जोकि समुद्र में समा गया। 1973 में यहाँ कपिल मुनि का नया मंदिर बना, जहां श्रद्धालु और तीर्थयात्री दर्शन के लिए जाते हैं।
गंगासागर एक छोटा गंगा नदी का एक डेल्टा द्वीप है जिसकी आबादी करीब 2 लाख और क्षेत्रफल 282 वर्ग किमी है। सागर द्वीप के एक ओर बंगाल की खाड़ी और दूसरी ओर बांग्लादेश है। इस सुंदर द्वीप के ज्यादातर क्षेत्र में घने जंगल है। कपिल मुनि के मंदिर, आश्रम के अलावा यहाँ महादेव मंदिर, शिव शक्ति-महानिर्वाण आश्रम, भारत सेवाश्रम संघ का मंदिर, धर्मशालायें भी है।
कोलकाता से गंगासागर कैसे जाएं | Gangasagar Yatra | Gangasagar Kitni dur hai
कोलकाता से गंगासागर आने-जाने में सुबह से शाम तक का वक्त लग जाता है। यहाँ जाने के 4 मुख्य तरीके हैं। इनके अलावा अगर आप बड़ी स्टीमर या नाव से यात्रा करते हैं तो अपनी गाड़ी भी ले जा सकते हैं।
1) बस से : पहले आपको कोलकाता से 92 किमी दूर काकद्वीप या फिर 104 किमी नामखाना जाना होगा। इन दोनों जगह से सागर द्वीप के लिए फेरी बोट और नावें जाती हैं। काकद्वीप से चलने वाली नावें काचुबेरिया और नामखाना से जाने वाली नावें बेनुबन नामक जगह पर लगती हैं। इसके बाद आप बस या अपने वाहन से 32 किमी का सीधा सफर करके गंगासागर पहुँच जाते हैं।
2) गंगासागर जाने के लिए ट्रेन : आप रेलगाड़ी से जाना चाहते हैं तो आप काकद्वीप या नामखाना के लिए लोकल ट्रेन पकड़ कर जा सकते हैं, जहां से फेरी बोट मिलती हैं।
3) स्टीमर : हावड़ा से गंगासागर के लिए फेरी बोट, स्टीमर चलते हैं जोकि 4-5 घंटे में सागर द्वीप पहुंचा देते हैं।
4) हवाई जहाज से : कोलकाता के दमदम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है जोकि देश के सभी बड़े नगरों और महानगरों से जुड़ा हुआ है। यह गंगासागर जाने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा है।
A: 110 किलोमीटर
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Source : https://en.wikipedia.org/wiki/Gangasagar , https://wbtourism.gov.in/destination/place/gangasagar
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