पौधे के लिए नीम की खली एक बढ़िया जैविक खाद (Bio-fertilizer) और कीटनाशक है जिसे डालने से पौधों में अच्छा विकास, रोगों से सुरक्षा मिलती है। भारत सरकार भी नीम की खली युक्त खाद को बढ़ावा दे रही है क्योंकि यह प्राकृतिक खाद हमारे पर्यावरण पर कोई बुरा असर भी नहीं डालती। आइए जानते हैं कि नीम खली क्या है, नीम खली के फायदे व पौधों में डालने का सही तरीका।
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नीम की खली क्या होती है | नीम खली कैसे बनाई जाती है | Neem ki khali ke fayde
नीम के पेड़ पर साल में 1-2 बार फल आते हैं। नीम के फल अंगूर के साइज़ के होते हैं। इन फलों के अंदर कड़ा बीज होता है। नीम के फल को बीज सहित सुखाकर, मशीन में पेराई करने से नीम का तेल निकलता है। तेल निकालने के बाद नीम के बीजों का बचा हुआ अंश ही नीम की खली कही जाती है।
- नीम की खली एक जैविक खाद (Organic Fertilizer) है जोकि हर तरह की फसल और पेड़ों के लिए फायदेमंद है। यह खाद पौधे के लिए सबसे जरूरी तत्व NPK ( नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम), जैविक कार्बन आदि तत्वों से भरपूर होती है।
- भारत सरकार की मानक संस्था BIS (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स) ने नीम की खली को पौधों के लिए एक असरदार खाद घोषित किया है।
नीम की खली के फायदे | नीम खली में पाए जाने वाले तत्व – Neem Khali benefits
नीम की खली में पौधे की बढ़त के लिए जरूरी NPK यानि नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम पूर्णतः प्राकृतिक रूप में मिलता है। नीम की खली में पाए जाने वाले लाभदायक तत्व और माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स इस प्रकार हैं –
- नाइट्रोजन (2.0% to 5.0%)
- फॉस्फोरस (0.5% to 1.0%)
- पोटैशियम (1.0% to 2.0%)
- कैल्शियम (0.5% to 3.0%)
- मैग्नीशियम (0.3% to 1.0%)
- सल्फर (0.2% to 3.0%)
- जिंक (15 ppm से 60 ppm)
- कॉपर (4 ppm से 20 ppm)
- आयरन (500 ppm से 1200 ppm)
- मैंगनीज (20 ppm से 60 ppm)
- इसके अलावा सल्फर कम्पाउन्ड और कड़वे लिमोनॉयड्स (Bitter limonoids) से भरपूर है।
1) कीट व रोगों से बचाव –
पौधे में नीम की खली डालने से जड़े सफेद चींटियों (White ants), दीमक, फफूंद, जड़ नष्ट करने वाले छोटे कीट (Soil grubs), लार्वा या इल्ली जैसे दिखने वाले Nematodes, Threadworms, आदि कीटों से जड़ों की सुरक्षा करती हैं। नीम की खली में करीब 8-10% नीम के तेल के अंश होते हैं। नीम का तेल एक प्राकृतिक पेस्टिसाइड है जिससे कीट दूर भागते हैं।
2) मिट्टी उर्वर बनाए –
रिसर्च में पता चला है कि मिट्टी में नीम की खली डालने से मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाती है। इसका कारण ये है कि नीम की खली में एक ऐसा तत्व होता है जोकि मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजनस कम्पाउन्ड्स को नाइट्रोजन गैस में बदलने वाले बैक्टीरिया को रोकता है। इससे मिट्टी में पौधे के लिए जरूरी नाइट्रोजन की उपलब्धता बनी रहती है।
3) नीम की खली डालने से पौधों हरे-भरे बनते हैं क्योंकि ये क्लोरोफिल बढ़ाता है। इससे पौधों के तने व जड़ मजबूत बनता हैं जिससे स्वस्थ पौधे तैयार होते हैं। यह रोग-कीट से सुरक्षा करके पौधों का जीवनकाल बढ़ाता है।
4) जल्दी-जल्दी डालने की जरूरत नहीं –
खाद एक slow release manure है यानि मिट्टी में इसे मिलाने पर यह लंबे समय तक धीरे-धीरे पोषक तत्व मिट्टी में छोड़ता रहता है। इससे पौधे की अच्छी वृद्धि दर (growth rate) लगातार बनी रहती है। यह खाद जल्दी-जल्दी और बार-बार डालने की जरूरत नहीं पड़ती।
5) सस्ती और असरदार –
नीम की खली एक किफायती (low budget) खाद है क्योंकि इसमें मौजूद माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रीशंस, ऑर्गैनिक फर्टिलाइजर कम्पाउन्ड्स एक बार फसल में डालने पर पूरा सीजन चलते हैं। लंबे समय तक मिट्टी में बने रहने की वजह से अलग से पोषण देने के लिए कुछ नहीं मिलाना पड़ता है।
6) डबल इफेक्ट –
अन्य खादों से अलग नीम की खली पौधे और फसलों पर दोहरा प्रभाव डालती है। एक तरफ तो यह पौधे के लिए जरूरी पोषक तत्व देती है, वहीं दूसरी तरफ पौधे को रोगों-कीटों से बचाकर उनकी बढ़त में आने वाली रुकावट को रोकती है। इससे फसल की पैदावार 20 से 25% बढ़ जाती है, पौधा स्वस्थ रहता है, अच्छे फल-फूल निकलते हैं। नीम की खली डालने से उत्पन्न अनाज में भी घुन, कीट लगने की संभावना कम होती है।
7) मिट्टी की क्षारीयता कम करे
मिट्टी में नीम की खली मिलाने से यह मिट्टी की क्षारीयता (Alkalinity) कम करता है क्योंकि नीम खली मिट्टी में डालने से ऑर्गैनिक ऐसिड्स बनाता है। इसके अलावा यह फैटी एसिड्स, एल्डिहाइड्स, केटोन्स, अमीनो ऐसिड्स, कार्बोहाइड्रेट्स, मुक्त सल्फर भी मिट्टी में पहुँचाता है जोकि पौधे के जीवन विकास के लिए लाभदायक है।
8) मिट्टी खराब होने से बचाए –
नीम खली को यूरिया से बेहतर बताया गया है क्योंकि यूरिया मिट्टी से पोषक तत्वों को खींचने का काम करता है, इससे कुछ समय बाद मिट्टी की क्वालिटी खराब होने लगती है। वहीं नीम की खली ऐसी खाद है जोकि खुद ही पोषक तत्वों से भरपूर है, इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और मेन्टेन रहती है।
9) नीम की खली कैसे काम करती है –
केमिकल कीटनाशक कीटों के नर्वस सिस्टम पर असर डालते हैं लेकिन लगातार से इस्तेमाल से कीटों की नस्ल में इसके प्रतिरोधी गुण आ जाते हैं, जिससे एक समय बाद केमिकल कीटनाशक बेअसर होने लगते हैं। जबकि नीम खली कीटों पर हार्मोनल इफेक्ट डालता है जिससे कीटों का पौधों को खाना, प्रजनन करना रुक जाता है, साथ ही कीटों के अंदर इसके प्रतिरोधी गुण नहीं बनते हैं।
10) नीम खली मिट्टी की क्वालिटी बढ़ाए
नीम की खली मिलाने से मिट्टी में पानी को रोकने की क्षमता बढ़ती है। इससे मिट्टी की संरचना की क्वालिटी (soil structure) बढ़ती है जोकि पौधे के उचित विकास के लिए लाभदायक होती है। इससे मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले जीव जैसे केंचुए आदि भी उत्पन्न होते हैं।
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पौधों में नीम की खली कैसे डालें –
- नीम की खली पट्टी (neem cake) या पाउडर रूप में मिलती है। इसे खाद (Fertilizer) और कीटनाशक (Pesticide) दोनों रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- इसे संतुलित मात्रा में प्रयोग करें, बहुत ज्यादा डालने की आवश्यकता नहीं है।
- इसे गमले में पौधे लगाते समय मिट्टी में मिक्स किया जा सकता है या बाद में ऊपर से डाला जा सकता है।
- गमले में डालने के लिए महीने में 1 बार डालें।
नीम की खली डालने के 2 तरीके हैं –
1) खाद के रूप में – मिट्टी की गुड़ाई करके यानि मिट्टी की ऊपरी परत को खोदकर नीम की खली चूर-चूर करके मिक्स कर दीजिए। फसल में डालना है तो कम से कम 6 इंच गहरी गुड़ाई करके नीम खली फैला दें जिससे मिट्टी की गहराई तक खाद पहुँच जाए। 1 एकड़ जमीन के लिए करीब 100-200 किलो नीम की खली डालें। क्यारी या जमीन में डालना है तो 25-30 वर्ग फुट के लिए आधा किलो नीम खली पर्याप्त है। एक गमले में 50-100 ग्राम नीम की खली मिलाना चाहिए।
2) कीटनाशक के रूप में – नीम की खली को पानी में घोलकर पौधे पर छिड़काव करें। पौधे को रोग और कीट से बचाने के लिए नीम खली मिला पानी स्प्रे करने से पौधों को रोग नहीं लगते, बीमारी का संक्रमण नहीं फैलता और कीट आदि नष्ट होते हैं। 1 लिटर पानी में करीब 50-100 ग्राम नीम की खली घोल लें, इसे पूरे पौधे-पत्तियों पर महीने में 1 बार स्प्रे कर दें।
अब आप जान गए होंगे कि नीम खली के फायदे पौधे के लिए कितना लाभदायक है। नीम खली एक बायोडिग्रेडेबल खाद है जोकि पर्यावरण और फसल, फल-फूल को भी केमिकल रहित करती है। आप अपने मित्र-परिचितों को भी यह लेख व्हाट्सप्प शेयर करें जिससे वो भी इस जानकारी को पढ़ सकें।
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sources : https://en.wikipedia.org/wiki/Neem_cake
Good info
धान की फसल में नीम की खली का उपयोग कब कितना और कैसे करना चाहिए।
नीम की खली धान की फसल के अलावा गन्ने व सभी प्रकार की सब्जियों की खेती में भी काफी कारगर जैविक खाद है। रासायनिक उर्वरकों का प्रभाव फसल पर छिड़काव करने से 15 से 20 दिन तक रहता है, लेकिन नीम की खली खाद का असर फसल पर पकने तक रहता है। नीम की खली में दूसरी फसलों की खलियों की तुलना में सल्फर और आर्गनिक नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। नीम की खली को अगर किसान यूरिया के साथ धान के खेत में डाले तो, यह एक अच्छे नाइट्रेजेनस उर्वरक के रूप में काम करता है। 1 हेक्टेयर खेत में 20-30 किलोग्राम नीम की खली डालनी चाहिए।
1 हेक्टर केलिए 20, 30 किलो मात्रा बहुत कम है
Very useful tips
Angoor ke plant main kaise neem khali use kare mera plant abhi naya hai aur 15 din huye groth ke abhi mere plant ko 5-6 pattiyo huye hai bus maine nursari se mitti lakar lagaya tha lekin neem khali nahi dali usme kya karu please reply
करीब 1 मुट्ठी नीम की खली पौधे की जड़ के पास डालकर, गुड़ाई करके पानी डाल दें।