ध्यान में मन को केंद्रित करने का तरीका : ध्यान केंद्रित करने के लिए मेडिटेशन करना एक अच्छा उपाय है। ये मन को शांत करता हैऔर मन न लगने की समस्या सही करता है। रोज 5-10 मिनट ध्यान करने का अभ्यास बनायें।
Table of Contents
1) सही सोच और धैर्य रखें
मन लगना या ध्यान (Meditation) एक सहज क्रिया है। ध्यान योग के लिए बैठते समय अगर आप बस ये सोचें कि मेरा ध्यान बट जाता है, तो आपका ध्यान इसी बात पर रहेगा। यह सोचते रहने से आपके न चाहते हुए भी ध्यान भंग होगा। धैर्य के साथ मन को शांत रखें, नियमित रूप से थोड़ा-थोड़ा प्रयास करने से मन लगने लगता है।
2) नियमित ध्यान करें
रोज 5-10 मिनट ध्यान करने का अभ्यास करें। गहरी सांस लें और आँखें खुली या आधी बंद करके अपनी साँसों की आने-जाने की क्रिया पर मन को केंद्रित करें। नियमित ध्यान करें जिससे कि यह एक आदत बन जाय। आदत एक आटोमेटिक सिस्टम है। आदत वाले कार्य करने के लिए सोचना नहीं पड़ता।
हम में से हर कोई जब अपना इच्छित कार्य या शौक पूरा कर रहा होता है तो एक तरह से ध्यान की मुद्रा में होता है। रोज-रोज ध्यान करने से यह स्वभाव का हिस्सा बन जायेगा और आपका मन ध्यान के पूर्वाग्रह (Prejudice) से बचेगा।
3) मन को दिशा दें
मन को किसी एक बात पर केन्द्रित किया जाये। अपनी सांस-प्रक्रिया, कोई पॉजिटिव विचार, कोई मंत्र, किसी महान व्यक्तित्व, देवी-देवता के उन गुणों पर केन्द्रित करें, जिसे हम खुद में देखना चाहते है। इससे विचारों की गति पर उसे वश में करना या इच्छित वस्तु पर मन केन्द्रित करना सीखते है। धीरे धीरे हम इस गति को धीमा कर सकते है और रोक भी सकते है।
4) विचार प्रवाह देखें
ध्यान करते समय मन में विचारो के कड़ी चलती रहती है। एक विचार सौ नए विचारो को जन्म देता है. मन लगतार इसमें डूबता-उतराता रहता है। तरीका यह है की आप इन विचारो में खोये नही। मान ले कि मन में आते-जाते विचार एक स्क्रीन पर चल रहे है और आप एक दर्शक हैं। बस विचार-प्रवाह को देखें। उन्हें आने जाने दे। किसी विचार में उतर कर उसे बढ़ाएं नहीं।
जब आप किसी विचार पर ध्यान देते है तभी वह शक्तिशाली बनता है। आप खुद उसे खुद पर हावी होने की शक्ति देते है। जब आप उसे बल नहीं देंगे तो दूसरा विचार आएगा फिर तीसरा। कुछ दिनों तक इसी प्रकार प्रयास के द्वारा अगर आप लगातार उन्हें नज़रन्दाज करते है तो धीरे धीरे यह विचार-श्रृंखला (Thought Chain) बंद हो जाएगी।
5) कल्पनाशीलता
इस में कुछ विचारो की कल्पना की जाती है। इसका तरीका यह है कि स्थिर होकर बैठे। सांस धीमी और लम्बी हो पर सामान्य हो। कल्पना करें हम शरीर है जो कि एक बर्तन जैसा है जिसमे आत्मा एक द्रव जैसे भरी है। यह हमारे अंगो में लगातार बहती हुई नदी जैसे है। स्थिर बैठ के कल्पना करें, यह प्रवाह आपके अंगो से सिमटता हुआ आपके सर की तरफ आ रहा है।
जैसे जैसे यह प्रवाह आपके अंगो से निकल रहा है, वो अंग एकदम शांत होता जा रहा है जैसे उसमे जान ही न हो। धीरे यह कम होता हुआ आपके सर में आ जाता है। फिर दोनों भौं के बीच के बिंदु पर बंद आँखों में ही देखते हुए कल्पना करें कि यह द्रव अब सिमटता हुआ उसी एक बिंदु पर केन्द्रित हो रहा है, और अंत में यह एक प्रकाशित बिंदु के जैसे चमक रहा है। इसी बिंदु को देखते रहें और बाकि शरीर के बारें में एकदम भूल जाएँ।
लेख अच्छा लगा तो Share और Forward अवश्य करें, जिससे अन्य लोग भी ये जानकारी पढ़ सकें।
यह भी पढ़ें >
ध्यान कैसे करें | ध्यान की विधि, ध्यान के फायदे
7 बेस्ट मोटिवेशनल किताबें जो हर किसी को पढ़नी चाहिए
सपने में पैर छूने का क्या मतलब है और पैर छूने के फायदे
Superb and thanks for this