जनरल नाथू सिंह राठौड़ आजाद भारत के पहले Lieutenant General of Indian Army थे। नाथू सिंह राठौर और नेहरू जी की ये रोचक घटना 1947 में हुई थी जब भारत अंग्रेजों के शासन आजाद हो गया था। जनरल नाथू सिंह राठौर की वजह से ही भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास की एक सुखद शुरुआत हुई थी।
जनरल नाथूसिंह राठौर और नेहरु जी | Nathu Singh Rathore
भारत के पहले Prime Minister श्री जवाहर लाल नेहरु Indian Army के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ Meeting कर रहे थे. मीटिंग का उद्देश्य था कि भारतीय सेना का प्रथम आर्मी जनरल किसे बनाया जाये ?
नेहरु जी ने प्रस्ताव रखा – मैं सोचता हूँ कि एक ब्रिटिश ऑफिसर को भारतीय सेना का General बना देना चाहिए, क्योंकि हमारे पास ऐसे अनुभवी लोग नहीं हैं जो एक देश की Army का नेतृत्व कर सके !
यह बात सुनकर मीटिंग में बैठे सभी आला अफसर और आर्मी ऑफीसर ने सहमति जताते हुए सिर हिलाया. यह नए-नए आजाद हुए लोगों का समूह था, जिनके मन से गुलामी नहीं निकल पाई थी। अंग्रेजों के राज ने उन्हें यही सिखाया था कि चुपचाप आदेश का पालन करो, अतः उनमें नेतृत्व की भावना कहाँ से आती ?
कुछ ऑफिसर को यह बात बुरी लगी पर कोई कुछ बोला नहीं. लेकिन एक सीनियर Army officer नाथू सिंह राठौर को यह नागवार गुजरा। उन्होंने हाथ खड़ाकर कुछ बोलने की अनुमति मांगी।
सबकी निगाहें नाथू सिंह राठौर की ओर घूम गयीं। नेहरु जी भी थोड़ा चौंके पर उन्होंने कहा कि वो खुलकर अपनी बात रखें।
आर्मी ऑफिसर नाथू सिंह राठौर बोले – देखिए सर ! हमें एक देश को चलाने का अनुभव भी तो नहीं है, अतः होना यह चाहिए कि एक ब्रिटिश व्यक्ति को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया जाये !
लोगों को काटो तो खून नहीं, सुई-पटक सन्नाटा छा गया। लेकिन सांच को आंच क्या, राठौर जी ने बात 16 आने सच्ची कही थी।
थोड़ी देर तक छाई इस गंभीर ख़ामोशी के बाद नेहरु जी आर्मी ऑफिसर राठौर से बोले – क्या आप भारतीय सेना के पहले आर्मी जनरल बनने के लिए तैयार हैं ?
नाथू सिंह राठौर जी इस प्रस्ताव को मना करते हुए बोले – सर हमारे बीच में एक बहुत ही प्रतिभाशाली Army Officer मौजूद हैं मेरे सीनियर जनरल करिअप्पा, वो इस पद के लिए हम सबसे अधिक उपयुक्त हैं।
तो इस प्रकार जनरल करियप्पा भारत के प्रथम Commander in-chief बने और नाथू सिंह राठौड़ लेफ्टिनेंट जनरल ऑफ़ इंडियन आर्मी के पद पर नियुक्त हुए।
Nathu Singh Rathore की निडरता और सच्चाई से ही हमें हमारा पहला भारतीय Army Chief मिला, हम भारतीय सदैव उनके शुक्रगुजार रहेंगे। नाथू सिंह राठौर जी की कहानी अच्छी लगी तो दोस्तों के लिए व्हाट्सप्प, फ़ेसबुक पर शेयर जरूर करें जिससे कई लोग इसे पढ़ सकें।
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