9 सूर्य मंत्र के प्रयोग से सदा सफल समृद्ध बनें | Surya Mantra in Sanskrit

सूर्य मंत्र के जाप से जीवन व करियर में सफलता, समृद्धि, स्वस्थ रहने का लाभ मिलता है। सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है। सूर्य देवता आदिकाल से विश्व की सभी घटनाओं के साक्षी और पृथ्वी पर जीवन के स्रोत हैं। बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार कई सालों से रोज सुबह सूर्य का दर्शन और गायत्री मन्त्र जप करते आये हैं। अक्षय कुमार की सफलता और नाम-यश के बारे में सब जानते ही हैं।

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सूर्यदेव के प्रभावशाली सूर्य मंत्र के लाभ | Surya Mantra Sanskrit

रोजाना सूर्यमन्त्र पढ़ने से आत्मविश्वास में गजब की वृद्धि होती है और दुनिया में आपके नाम का यश और प्रसिद्धि फैलती है।आगे 9 सूर्यमंत्र और उनके जप का लाभ जानें और अंत में सूर्य नमस्कार मन्त्र के फायदे पढ़ें। 

सूर्य अर्घ्य मंत्र संस्कृत | सूर्य मंत्र जल चढ़ाते समय

ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।

ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।

सुबह के समय तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर उसमें रोली, अक्षत, फूल डालकर सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। सूर्य को जल चढ़ाते समय ऊपर दिए गए सूर्य अर्घ्य मंत्र पढ़ना चाहिए।

1) सूर्य बीज मंत्र | Surya Beej Mantra in hindi 

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः “Om Hraam Hreem Hraum Sah Suryay Namah:”

इस मंत्र के जाप की शुरुआत किसी भी रविवार से कर सकते हैं। जल्दी और मनचाहे परिणाम के लिए 41 दिन तक रोज 6 माला सूर्य बीज मंत्र का जाप करें। 

सूर्य बीज मंत्र के लाभ | Surya beej mantra benefits

एक खुशहाल जीवन के लिए जरुरी धन-धान्य, मानसिक शांति, आरोग्य और सत्बुद्धि का प्रसाद भी सूर्य बीज मन्त्र जाप से प्राप्त होता है। सेहत में आँखों के रोग, ह्रदय रोग (Heart problem), स्किन समस्या व असाध्य रोग से राहत पाने, नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए सूर्य बीज मंत्र का जप खास प्रभावी माना गया है। 

अगर कुंडली में सूर्य की दशा खराब हो, सेहत की दिक्कत या नकारात्मकता (Negativity) के शिकार हों तो यह सूर्य बीज मंत्र आपको निश्चित रूप से लाभ दिला सकता है।

सूर्य बीज मंत्र के प्रकार और उनके लाभ 

1. नौकरी पाने के लिए | Om hram hrim hraum sah suryaya namah lyrics : ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

2. रोग मुक्ति के लिए – ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः 

3. शत्रुओं के नाश के लिए – शत्रु नाशाय ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः

4. सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए | Surya Mantra for Success in hindi : ऊँ ह्रां ह्रीं सः

5. बुरे ग्रहों की दशा के निवारण के लिए – ऊँ ह्रीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः

6. सन्तान प्राप्ति के लिए – ॐ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे l धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात् ll

7. व्यवसाय में बढ़त के लिए – ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम

8. आँखों के रोग ठीक करने के लिए | Surya Mantra for eyes in hindi 

ॐ नमो भगवते आदित्य रूपाय आगच्छ आगच्छ अमुकस्य (रोगी का नाम) अक्षिरोगं अक्षिपीड़ा नाशय स्वाहा

इस मंत्र की एक माला (108 बार मन्त्र जप) 21 दिन तक पूर्ण विश्वास के साथ करें, अवश्य लाभ होगा। अगर सुबह स्नान करके सूर्य के सामने जपें तो और भी अच्छा होगा। जाप करते समय सूर्य को घूरना नहीं है, बंद आँखों से सूर्य देव के प्रकाश को अनुभव करना है। 

2) सूर्य गायत्री मंत्र | Surya Gayatri mantra

ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयत्।।

सूर्य गायत्री मंत्र जाप के लाभ | Surya Gayatri mantra benefits 

अगर इस मंत्र का जाप रोज ध्यानपूर्वक और विश्वास के साथ किया जाये तो अद्भुत सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जोकि आपके जीवन को भगवान सूर्य की दिव्य कृपा प्रदान करती है। इस मंत्र के जाप का सबसे अच्छा समय सूर्यग्रहण के दिन और रविवार सुबह सूर्योदय के समय होता है। 

यह मन्त्र शरीर और मन मजबूत बनाता है, विचार और मनोवृति में शुद्धता आती है जोकि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जरुरी है। इस प्रकार यह सूर्य गायत्री मन्त्र प्रसिद्ध बनाने और सफलता दिलाने में असरकारक है। 

3) सूर्य नमस्कार मंत्र, लाभ | Surya Namaskar mantra

सूर्य नमस्कार आसन करते समय सबसे पहले सूर्य मंत्र पढ़े जाते हैं। आज भारत में क्या विदेशों में भी ऐसे लाखों लोग हैं जो नियमित सूर्य नमस्कार कर रहे हैं और इसके फायदों का गुणगान करते फिर रहे हैं। 

वेदों के अनुसार : आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने l आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ll

अर्थ> जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है। 

सूर्य नमस्कार करने से पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है, शरीर स्वस्थ बनता है और चेहरे का तेज बढ़ता है।

सूर्य नमस्कार मंत्र 13 हैं. सूर्य नमस्कार मंत्र पढ़ने से सूर्य नमस्कार करने का लाभ और भी बढ़ जाता जाता है। इससे मन और शरीर की निगेटिविटी दूर होती है और शरीर को पॉजिटिव ऊर्जा, शक्ति मिलती है। 

इन मन्त्रों के जाप का आध्यात्मिक लाभ भी है। इससे आत्मा को बल मिलता है और सूर्यदेवता की शक्ति आत्मसात होती है। 

12 Surya Mantras in sanskrit

1. ॐ मित्राय नमः  (Om Mitray Namah) 

2. ॐ रवये नमः  (Om Ravaye Namah)

3. ॐ सूर्याय नमः  (Om Suryaya Namah)

4. ॐ भानवे नमः  (Om Bhanve Namah)   

5. ॐ खगाय नमः  (Om Khgaya Namah)   

6. ॐ पूष्णे नमः  (Om Pooshne Namah)   

7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः  (Om HiranyaGarbhaya Namah)   

8. ॐ मरीचये नमः  (Om Marichaye Namah)   

9. ॐ आदित्याय नमः  (Om Adityaya Namah)   

10. ॐ सवित्रे नमः  (Om Savitre Namah)   

11. ॐ अर्काय नमः  (Om Arkaya Namah)   

12. ॐ भास्कराय नमः  (Om Bhaskaraya Namah)   

13. ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः  (Om Savit Surya Naraynaya Namah)   

4) आदित्य हृदय स्तोत्र | Aditya Hridaya Stotra

राम-रावण युद्ध के दौरान भगवान राम थकान और निराशा के शिकार होने लगे थे। उसी समय अगस्त्य मुनि वहाँ आये और उन्होंने राम को 3 बार आदित्य हृदय स्तोत्र जाप करने को कहा। 

आदित्य हृदय स्तोत्र के 3 पाठ से भगवान राम की सारी थकान और निराशा जाती रही और शरीर में स्फूर्ति और मन में दिव्य आत्मविश्वास आ गया। इसके पश्चात भगवान राम ने वीरतापूर्वक रावण से युद्ध किया और विजय प्राप्त की। 

आदित्य हृदय स्तोत्र के लाभ | Aditya Hridaya Stotra Benefits

इस स्रोत के नियमित पाठ से संघर्षों, समस्याओं को पार करने की शक्ति और सफलता मिलती है। इसके अतिरिक्त अन्य को जॉब में प्रमोशन और करियर, व्यवसाय में उन्नति का लाभ भी मिला। 

एक प्रयोग में यह पाया गया कि जो भी विद्यार्थी नियमित आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करते थे, उनमें बुद्धि और आत्मविश्वास की निरंतर वृद्धि देखी गयी। 

सर्व कल्याणकारी यह मन्त्र पाप, मानसिक कष्ट, शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है और उर्जा, स्वास्थ्य, विजय का फल प्रदान करता है।

आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप कैसे करें 

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठें. नहा-धोकर, स्वच्छ सफेद या लाल कपड़ा पहनकर ताम्बे के लोटे में जलभर के सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। जल में रोली या लाल चन्दन, लाल फूल डालें। इसके बाद सूर्य के समक्ष आसन बिछाकर बैठें। 

अगर सूर्य के सामने न बैठ पायें तो घर के पूजा-स्थल या किसी मन्दिर में भी बैठ कर पाठ कर सकते हैं। पाठ से पहले भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए 11 बार ऊँ आदित्याय नमः का जाप करें। इसके बाद नीचे दिए गये आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें

आदित्य हृदय स्तोत्र 

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्‌ । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्‌ ॥1॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्‌ । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम्‌ । येन सर्वानरीन्‌ वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्‌ । जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्‌ ॥4॥
सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम्‌ । चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्‌ ॥5॥

रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्‌ । पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्‌ ॥6॥
सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: । एष देवासुरगणांल्लोकान्‌ पाति गभस्तिभि: ॥7॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: । महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥8॥
पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु: । वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर: ॥9॥
आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान्‌ । सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर: ॥10॥

हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान्‌ । तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान्‌ ॥11॥
हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि: । अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन: ॥12॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग: । घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥13॥
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:। कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव: ॥14॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन: । तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्‌ नमोऽस्तु ते ॥15॥

नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम: । ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम: ॥16॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम: । नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम: ॥17॥
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम: । नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥18॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे । भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम: ॥19॥
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने । कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नम: ॥20॥

तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे । नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥21॥
नाशयत्येष वै भूतं तमेष सृजति प्रभु: । पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभि: ॥22॥
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठित: । एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम्‌ ॥23॥
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनां फलमेव च । यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमं प्रभु: ॥24॥
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च । कीर्तयन्‌ पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव ॥25॥

पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगप्ततिम्‌ । एतत्त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥26॥
अस्मिन्‌ क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि । एवमुक्ता ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम्‌ ॥27॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत्‌ तदा ॥ धारयामास सुप्रीतो राघव प्रयतात्मवान्‌ ॥28॥
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान्‌ । त्रिराचम्य शूचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान्‌ ॥29॥
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागतम्‌ । सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत्‌ ॥30॥
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमना: परमं प्रहृष्यमाण: । निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥31॥

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