युधिष्ठिर का श्राप | Yudhisthira curse kunti story :
युधिष्ठिर ने नारी जाति को जो श्राप दिया उसका असर स्त्रियों पर आज भी कायम है। Mahabharata की कहानी में कुंती और कर्ण का सम्बन्ध माँ-बेटा का था। लेकिन इस बात से पांडव और कर्ण अनभिज्ञ थे।
कौरव पांडव युद्ध के समय कुंती कर्ण से मिलने जाती हैं और उसे यह बताती हैं कि वो उनका पुत्र है, इसलिए पांडव उसके भाई हैं. कर्ण दुर्योधन से अपनी मित्रता निभाते हुए किसी भी सहायता से मना कर देता है।
कर्ण की मृत्यु के बाद कुंती पांडवों से यह बताती है कि कर्ण उनका बड़ा भाई था। इस बात को जानकर सभी पांडव खासकर युधिष्ठिर बहुत दुखी और क्रोधित हुए। उन्हें लगा कि अगर कर्ण उनका बड़ा भाई था तो वह भी उचित सम्मान और अधिकार का पात्र था।
उनकी माँ कुंती ने यह बात इतने वर्षों तक उनसे छुपायी रखी, इसी बात से युधिष्ठिर इतना क्रोधित हुए कि उन्होंने सम्पूर्ण स्त्री जाति को ही श्राप (Curse) देने का निश्चय किया।
युधिष्ठिर ने श्राप दिया कि औरतें किसी भी बात को अधिक समय तक गुप्त नहीं रख पायेंगी।
लोग कहते हैं कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती। वो कही न कहीं, किसी न किसी से अवश्य बता देती हैं. वैसे इस बात में कितनी सच्चाई है इसके सम्बन्ध में हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।
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