क्या बच्चों को मोबाइल देना चाहिए | बच्चों के लिए मोबाइल फोन कितना हानिकारक है ?
क्या आप अपने छोटे बच्चे को Mobile या Tablet से खेलने देते हैं ? क्या बच्चों को मोबाइल देना चाहिए ? क्या आप जानते हैं कि ये सारे गैजेट्स हमारे छोटे बच्चों के सीखने की क्षमता और व्यक्तित्व को किस प्रकार से प्रभावित कर रही हैं ?
इस पोस्ट में मैं आपको बताने जा रहा हूं कि 12 साल से छोटे बच्चों के मोबाइल प्रयोग करने के नुकसान क्या हैं. पिछले 2 दशकों में मोबाइल फोन, टैबलेट जैसी डिवाइस ने छोटे बच्चों में टेक्नॉलजी की एक्सेसिबिलिटी और उपयोग को बढ़ा दिया है.
Table of Contents
बच्चों को मोबाइल देखने से क्या होता है –
- डिप्रेशन
- एंज़ाइटी
- अटैचमेंट डिसॉर्डर
- ध्यान नहीं लगना (Attention deficit)
- ऑटिज़्म (Autism)
- बाइपोलर डिसॉर्डर
- उन्माद (Psychosis)
- प्रॉब्लम चाइल्ड बिहेवियर (problematic child behavior) जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं.
बच्चों पर मोबाइल का दुष्प्रभाव निबंध | बच्चों को मोबाइल से नुकसान – 10 Harmful Effects of Mobile Phones
1) मोबाइल देखने से आंखों पर दबाव | Eye strain
बच्चों को मोबाइल देखने से क्या होता है आइए जाने। Smartphone और इसी तरह के Gadgets का दुष्प्रभाव सबसे पहले बच्चों की आंखों पर दिखता है क्योंकि वे Back lit Screen को घंटों तक अपलक देखते रहते हैं. इसे कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम (Computer vision syndrome) भी कह सकते हैं.
यदि आप अपने बच्चों की आंखों की भलाई चाहते हैं तो उन्हें एक बार में 30 मिनट से अधिक समय तक स्क्रीन नहीं देखने दें.
2) शारीरिक विकास धीमा हो जाना | Delayed development
आज हमारे पास जिस प्रकार की टैक्नोलॉजी है वह बच्चों की मूवमेंट्स को सीमित कर देती है जिससे उनका शारीरिक विकास पिछड़ सकता है.
स्कूल जानेवाले 3 बच्चों में से 1 में शारीरिक विकास सुस्त दिखता है जिससे उनकी शैक्षणिक क्षमताएं व योग्यताएं प्रभावित होती हैं. फिज़िकल एक्टिविटी करते रहने से बच्चे फोकस करना सीखते हैं और नई स्किल्स डेवलप करते हैं.
12 साल से कम उम्र के बच्चो के जीवन में टैक्नोलॉजी का दखल उनके विकास व शैक्षणिक प्रगति के लिए दुष्प्रभावी होता है.
3) मोटापा बढ़ना | Epidemic obesity
जिन बच्चों को ये डिवाइसेज़ उनके कमरे में उपयोग करने के लिए दी गईं उनके मोटे होने का रिस्क 30 प्रतिशत तक अधिक पाया गया.
मोटे बच्चों में भी 30 प्रतिशत को डायबिटीज होने का और बड़े होने पर पैरालीसिस व दिल के दौरा आने का खतरा बढ़ जाता है. ये सारे खतरे उनकी लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी को कम करते हैं.
ऐसा कहा जा रहा है कि 21वीं शताब्दी में बच्चों की उम्र उनके माता-पिता की उम्र जितनी लंबी नहीं रह पाएगी.
4) नींद की कमी | Sleep deprivation
60 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों के टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल की निगरानी नहीं करते हैं और 75 प्रतिशत बच्चों को उनके बेडरूम में टैक्नोलॉजी इस्तेमाल करने की खुली छूट मिली है.
नौ से दस साल की उम्र के इन बच्चों की नींद टैक्नोलॉजी के दखल के कारण प्रभावित हो रही है जिससे उनकी स्टडीज़ प्रभावित होती हैं.
5) आक्रामकता | Aggression
मीडिया, टीवी, फिल्मों और गेम्स में हिंसा बहुत अधिक दिखाई जाती है, जिससे बच्चों में आक्रामकता बढ़ रही है.
आजकल छोटे बच्चे शारीरिक और लैंगिक हिंसा के प्रोग्राम और गेम्स के संपर्क में आ जाते हैं जिनमें हत्या, बलात्कार और टॉर्चर के दृश्यों की भरमार होती है.
मीडिया में दिखलाई जानेवाली हिंसा को अमेरिका में पब्लिक हेल्थ रिस्क की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि यह बच्चों के विकास को विकृत करती है.
6) डिजिटल स्मृतिलोप | Digital dementia
हाई-स्पीड मीडिया कंटेंट से बच्चों के फोकस करने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है जिससे वे किसी एक चीज़ पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते और तथ्यों को याद भी नहीं रख पाते.
जो बच्चे ध्यान भटकने की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं उन्हें पढ़ाई करने में दिक्कत आती है.
7) लत लगना | Addictions
जब माता-पिता स्वयं अपने गैजेट्स में खोए रहते हों तो वे अपने बच्चों से भावनात्मक आधार पर दूर होने लगते हैं.
बेहतर विकास के लिए यह ज़रूरी है कि माता-पिता बच्चों को समय दें. जब बच्चे माता-पिता की कमी महसूस करते हैं तो वे टैक्नोलॉजी व इन्फॉर्मेशन के बहाव में खो जाते हैं और इसके लती हो जाते हैं.
टैक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल करनेवाले लगभग 10 प्रतिशत बच्चे इसके इतने लती हो गए हैं कि वे अपना खाना-पीना तक भूल जाते हैं और सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक अपने Gadget से चिपके रहते हैं.
8) रेडिएशन के खतरे | Radiation emission
WHO ने मई, 2011 में सेलफोन के 2B कैटेगरी के रेडिएशन रिस्क को संभावित कैंसरकारक (possible carcinogen) बताया है।
लेकिन वर्ष 2013 में Toronto University के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (University of Toronto’s School of Public Health) के डॉ. एंथोनी मिलर ने अपनी रिसर्च में बताया कि रेडियो फ्रेक्वेंसी एक्सपोज़र के आधार पर 2B कैटेगरी को नहीं बल्कि 2A कैटेगरी को कैंसरकारक मानना चाहिए.
बच्चे हमारा भविष्य हैं लेकिन टैक्नोलॉजी को हद से ज्यादा इस्तेमाल करनेवाले बच्चों का भविष्य धूमिल है.
9) दिमाग का तेज विकास नुकसानदेह | Rapid brain growth
दो साल का होने तक बच्चों के दिमाग का आकार लगभग तीन गुना तक हो जाता है और 21 साल का होने तक इसमें फिज़िकल बदलाव आते रहते हैं.
दिमाग का शुरुआती विकास कई प्रकार के वातावरणीय उद्दीपनों (Environmental Stimuli) के होने या उनकी अनुपस्तिथि पर डिपेंड करता है.
विकसित हो रहे दिमाग पर टैक्नोलॉजी के ओवरएक्सपोज़र से बच्चों में सीखने की क्षमता में बदलाव, ध्यान न लगना, भोजन ठीक से न करना, आंखें खराब होना, हायपरएक्टीविटी और स्वयं को अनुशासित व नियमित न रख पाने की समस्याएं पैदा होने लगती हैं.
बच्चों को मोबाईल से नुकसान | बच्चों को मोबाइल देखना चाहिए कि नहीं
a) हाल में इस विषय पर अनेक रिसर्च हुई हैं जिनसे यह पता चला है कि टैक्नोलॉजी हमारे बच्चों को फायदा पहुंचाने की बजाए लांग-टर्म में नुकसान पहुंचा रही है फिर भी बहुत बड़ी संख्या में माता-पिता बच्चों को बेरोकटोक इनका उपयोग करने दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इनके उपयोग से बच्चे स्मार्ट बन रहे हैं और बिज़ी रहते हैं.
b) अब तो लोग नवजात शिशुओं और टोडलर्स तक के पास इन डिवाइस को रखने लगे हैं जिससे बच्चों का विकास, व्यवहार और सीखने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.
c) टैक्नोलॉजी का प्रभाव छोटे बच्चों पर बड़ों की तुलना में 4-5 गुना अधिक तेजी से होता है और यह उनके स्वाभाविक विकास में कई प्रकार की गड़बड़ियां पैदा कर सकता है.
d) बच्चों को केवल कठोर सुपरवीज़न के तहत ही मोबाइल फोन, टैबलेट और स्मार्टफोन का उपयोग करने देना चाहिए. उनके निजी उपयोग के लिए तो ये हरगिज़ नहीं खरीदना चाहिए.
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