1) Bruhadeshwar Mandir Kahan hai : भगवान शिव का प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर शहर, तमिलनाडु प्रदेश में स्थित है। 1000 वर्ष पुराने बृहदेश्वर मंदिर को UNESCO World Heritage Site लिस्ट में विश्व धरोहर घोषित किया है। यह दुनिया में पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर है जो पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थरों से बना हुआ है। बृहदेश्वर मंदिर को बृहदीस्वरर मंदिर और राजराजेश्वर मन्दिर नाम से भी जाना जाता है।
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2) बृहदेश्वर मंदिर किसने बनवाया | Brihadeshwara Temple
भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण चोल सम्राट राजराज चोल प्रथम ने स्वप्न में दैवीय प्रेरणा प्राप्त होनेपर करवाया था। मंदिर का निर्माण 1003-1010 ईसवी के बीच हुआ। यह मंदिर 13 मंजिल ऊंचा है और इसकी ऊंचाई 66 मीटर है। यह मंदिर 16 फीट ऊँचे ठोस चबूतरे पर बना हुआ है।
बृहदेश्वर मंदिर में उत्कीर्ण लेखों के अनुसार मंदिर के मुख्य वास्तुविद कुंजर मल्लन राजराज पेरुन्थचन थे, जिनके खानदान के लोग आज भी वास्तुशास्त्र, आर्किटेक्चर का कार्य करते हैं।
3) बृहदेश्वर मंदिर का इतिहास | Brihadeshwara Temple history
चोल शासकों ने इस मंदिर को राजराजेश्वर नाम दिया था परंतु तंजौर पर हमला करने वाले मराठा शासकों ने इस मंदिर को बृहदीश्वर नाम दिया।
इस मंदिर के आराध्य देव भगवान शिव हैं। मुख्य मंदिर के अंदर 12 फीट ऊँचा शिवलिंग स्थापित है। यह द्रविड वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। मुख्य मंदिर और गोपुरम निर्माण की शुरु से यानि 11वीं सदी के बने हुए हैं। इसके बाद मंदिर का कई बार निर्माण, जीर्णोद्धार और मरम्मत हुआ है।
युद्ध और मुगल शासकों के आक्रमण और तोड़-फोड़ से हुई मंदिर को क्षति हुई। बाद में जब हिन्दू राजाओं ने पुनः इस क्षेत्र को जीत लिया तो उन्होंने इस मंदिर को ठीक करवाया और कुछ अन्य निर्माण कार्य भी करवाए। बाद के राजाओं ने मंदिर की दीवारों पर पुराने पड़ रहे चित्रों पर पुनः रंग करवाके उसे संवारा।
मंदिर में कार्तिकेय भगवान (मुरूगन स्वामी), माँ पार्वती (अम्मन) के मंदिर और नंदी की मूर्ति का निर्माण 16-17वीं सदी में नायक राजाओं ने करवाया है। मंदिर में संस्कृत भाषा और तमिल भाषा के कई पुरालेख भी उत्कीर्ण हैं।
4) बृहदेश्वर मन्दिर का रहस्य | Mystery of Brihadisvara Temple
बृहदेश्वर मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मंदिर ऐसे बनाया गया है कि इसके शिखर यानि गुंबद की परछाई जमीन पर नहीं पड़ती है। इसके शिखर पर लगे हुए पत्थर कुम्बम का वजन 80,000 किलो है जोकि एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है।
मंदिर के शिखर तक 80 टन वजनी पत्थर कैसे ले जाया गया, यह आज तक एक रहस्य बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि 1.6 किलोमीटर लम्बा एक रैंप बनाया गया था, जिसपर इंच दर इंच खिसकाते हुए इसे मंदिर के शिखर पर ले जाकर लगाया गया।
5) तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर इतना जल्दी कैसे बन गया –
बृहदीस्वरर मंदिर को बनाने में 1,30,000 टन पत्थर का प्रयोग हुआ है. इतने विशाल मंदिर को बनाने में सिर्फ रिकॉर्ड 7 साल लगे थे. आखिर कितने लोगों को इस काम में लगाया गया था और टेक्नॉलजी भी उस जमाने में कैसी थी कि निर्माण इतने कम समय में हो गया जोकि आज भी संभव नहीं है।
जल्दी बना इसका मतलब ये नहीं कि मंदिर निर्माण में कोई कमी की गई या गलती रह गई। ये अद्भुत मंदिर 6 बड़े भूकम्पों का सामना कर चुका है, पर इसे किसी भी प्रकार का नुक्सान नहीं हुआ।
6) नंदी भगवान की अद्भुत मूर्ति –
मंदिर के अंदर गोपुरम में स्थापित नंदी की विशाल मूर्ति भी एक अनोखा आश्चर्य है. नंदी की यह मूर्ति 16 फीट लम्बी, 8.5 फीट चौड़ी और 13 फीट ऊँची है जिसका वजन 20,000 किलो है। खास बात ये है कि मूर्ति को एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है. ये भारत में नंदी की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है।
7) बृहदेश्वर मंदिर के निर्माण के लिये पत्थर कहाँ से आए –
बृहदीस्वरर मंदिर का ज्यादातर भाग कठोर ग्रेनाईट पत्थर से व बाकी हिस्सा सैंडस्टोन की चट्टानों से बनाया गया है. ग्रेनाईट पत्थर का सबसे समीपवर्ती स्रोत मंदिर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
इतनी लम्बी दूरी से इतनी बड़ी मात्रा में और इतने विशाल आकार के पत्थरों को मंदिर निर्माण स्थल तक कैसे लाया गया, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. मंदिर के आस-पास कोई पहाड़ भी नहीं है, जिससे पत्थर लिए जाने की सम्भावना हो.
8) ग्रेनाइट जैसे कठोर पत्थर पर काम कैसे हुआ होगा –
ग्रेनाइट की चट्टानें इतनी कठोर होती हैं कि उन्हें कटाने, छेद करने के लिए खास हीरे के टुकड़े लगे औजार का प्रयोग करना पड़ता है. उस कालखंड में बिना आधुनिक औजारों के मंदिर में लगी चट्टानों को कैसे तराश कर महीन, कलात्मक मूर्तियां बनाई गयी होंगी, यह एक आश्चर्य का विषय है.
9) बृहदेश्वर मन्दिर की वृहद व्यवस्था | Brihadeeswarar Temple
मंदिर में खुदे हुए लेखों से पता चलता है कि Brihadisvara Temple में प्रतिदिन जलने वाले दीयों के लिए घी की अबाधित पूर्ति के हेतु सम्राट राजराज ने मंदिर को 4000 गायें, 7000 बकरियाँ, 30 भैंसे व 2500 एकड़ जमीन दान की थी। मंदिर व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए 192 कर्मचारी रखे गये थे।
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source : https://en.wikipedia.org/wiki/Brihadisvara_Temple,_Thanjavur