समय यात्रा की कहानी | Time travel in Hindu mythology
हिन्दू धर्म ग्रन्थों, कथाओं में समय यात्रा (टाइम ट्रैवल) कोई नयी बात नहीं है। हजारों सालों से ये कहानियाँ हम सुनते चले आ रहे हैं, जबकि Western world में यह नयी बात है। भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम जी की पत्नी का नाम रेवती है। रेवती राजा काकुदमी की पुत्री थीं। महाभारत काल में राजा काकुदमी भारत के कुसस्थली नामक राज्य (आधुनिक द्वारका, गुजरात) में राज करते थे।
राजा की एक अत्यत सुंदर पुत्री थी, जिसका नाम रेवती था। रेवती का जन्म अग्निकुंड की दिव्य अग्नि से हुआ था। रेवती मात्र एक सामान्य सुंदर लड़की न थी, वो शुभलक्षणों युक्त, सदाचारी, शील गुणों से परिपूर्ण प्रतिभावान युवती थी।
जब रेवती विवाह योग्य हुई तो राजा काकुदमी को उसके विवाह की चिंता हुई। अपनी असाधारण कन्या के लिए कोई भी वर उन्हें उपयुक्त न लगता था। अनन्तः राजा काकुदमी ने अपनी कन्या रेवती के साथ ब्रह्मलोक जाने का निश्चय किया। उन्हें आशा थी कि परमपिता ब्रह्मा ही स्वयं रेवती के लिए कोई सुयोग्य वर बता सकते हैं।
जब राजा काकुदमी ब्रह्मलोक पहुंचे तो ब्रह्मा जी की सभा में गन्धर्वो द्वारा नृत्य-संगीत की प्रस्तुति हो रही थी। राजा काकुदमी ने विचार किया कि इस कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद ब्रह्मा जी से वो अपना आशय प्रकट करेंगे।
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद राजा काकुदमी ब्रह्मा जी के समक्ष पहुंचे, उन्हें झुककर प्रणाम किया और उनसे अपने आने का कारण व्यक्त किया। साथ ही राजा काकुदमी ने कुछ सम्भावित वरों की एक सूची भी ब्रह्मदेव को दी।
ब्रह्मा जी उनकी बात और वह सूची देखकर हँसने लगे। ब्रह्देव बोले – हे राजन ! समय की गति अद्भुत होती है। ब्रह्मांड के अलग-अलग स्थानों में समय की गति अलग-अलग होती है। जितनी देर आपने ब्रह्मलोक में प्रतीक्षा की और समय व्यतीत किया, उतने समय में पृथ्वी पर 27 युग बीत चुके हैं। अब ये सूची किसी काम की नहीं क्योंकि ये सभी वर तो पृथ्वी पर वर्षों पूर्व मर चुके हैं।
इसके बाद ब्रह्मदेव बोले – हे राजन ! अब आप पिता-पुत्री ही शेष बचे हो, पृथ्वी पर आपका राजपाट, घर-परिवार, मित्रगण, सेना, धन-सम्पत्ति भी कभी के नष्ट हो चुके हैं। आपको तो अब जल्द ही अपनी कन्या का विवाह करना पड़ेगा नहीं तो कलयुग आने वाला है।
राजा काकुदमी यह सब जानकर दंग रह गये और किंकर्तव्यविमूढ़ से हो गये। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें दिलासा दिया और बताया कि इस समय पृथ्वी पर स्वयं जगतपालन कर्ता भगवान विष्णु कृष्ण और बलराम के रूप में विद्यमान हैं। ब्रह्मदेव ने कहा कि आपकी कन्या रेवती के लिए बलराम जी ही सबसे उपयुक्त वर हैं।
इसके पश्चात राजा काकुदमी कन्या रेवती के साथ पृथ्वी पर आ गये। पृथ्वी पर आकर उन्हें महान आश्चर्य हुआ। उनके अनुसार तो उन्हें आने जाने में केवल कुछ समय ही लगा था लेकिन अब तो पूरी पृथ्वी का स्वरुप ही बदल चुका है।
पृथ्वीलोक का मौसम, वातावरण और बनावट अब पहले जैसे न थी और मनुष्यों के गुणों, आकार और बुद्धि में भी भारी परिवर्तन आ चुका था।
इस विषय में भगवतपुराण में वर्णन है – अब पृथ्वी पर पहले के समान जीव-जन्तु, जानवर और पेड़-पौधे न थे, वर्तमान में तो सभी का आकार पहले से काफी कम हो गया था। मनुष्य भी अब पहले जैसे शक्तिशाली और दीर्घकाया के न थे, साथ ही उनके बुद्धि और आध्यात्मिकता का भी काफी ह्रास हो चुका है।
बलराम और रेवती का विवाह | Balram Revati story
राजा काकुदमी अब बिना देर करते रेवती के साथ बलराम जी से मिलने पहुँचे और उन्हें सब बातों से अवगत कराया। रेवती और बलराम अवश्य ही एक दूसरे के लिए सुयोग्य वर थे, लेकिन एक छोटी सी समस्या थी। रेवती पूर्वयुग में पैदा होने के कारण आकार में बलराम जी से बहुत लम्बी और विशालकाय थीं।
बलराम जी ने इसका भी समाधान निकाल दिया। उन्होंने अपना हल उठाया जोकि उनका प्रमुख अस्त्र है। बलराम जी ने अपने दिव्य हल से राजकुमारी रेवती के सिर और कन्धो को स्पर्श कराया।
क्षण भर में ही रेवती का आकार घटकर बलराम जी के लिए उपयुक्त आकार में हो गया। इसके पश्चात श्री बलराम और रेवती विवाह विधिपूर्वक सम्पन्न हुआ और वो पति-पत्नी सम्बन्ध में बंध गये।
ये पौराणिक समय यात्रा की कहानी (Time travel story) एक आश्चर्यजनक प्रणाम है कि हमारे पूर्वज समयकाल-यात्रा से अनभिज्ञ न थे। ब्रह्मलोक में समय पृथ्वी की अपेक्षा धीमी गति से बढ़ता था। कहा भी गया है कि ब्रह्मा जी का एक दिन और रात 2 कल्प के बराबर होता है। 2 कल्प करीब 8 करोड़ वर्ष के बराबर होता है। कहानी के अनुसार राजा काकुदमी और रेवती ने केवल कुछ क्षण ही व्यतीत किये थे।
आधुनिक विज्ञान में आइंस्टीन के बाद से समय यात्रा (Time Travel) के सिद्धांत को काफी बल मिला। आज के वैज्ञानिकों की टाइम ट्रेवल के सम्बन्ध में कई मान्यताएं हैं।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आप अन्तरिक्ष में ब्लैकहोल में प्रवेश करके वापस आयें तो उतने समय में पृथ्वी पर कई वर्ष बीत चुके होंगे। Einstein कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति अत्यधिक तेजी से ट्रेवल करता है तो वो समय से आगे निकल सकता है।
Astronauts इस तथ्य का सही उदाहरण हैं, वे पृथ्वी से दूर तेजी से घूमते हुए Space Station में काफी समय व्यतीत करते हैं। विज्ञान के अनुसार जब यह Astronauts पृथ्वी पर वापस आते हैं तो उनकी उम्र में कुछ सेकंड का अंतर आ चुका होता है।
ये सब Modern Science की जटिल गणना और Analysis के बाद पता लगा पाया है, जबकि हमारे आदिग्रन्थों में यह कितने सटीक तरीके से Time Travel (टाइम ट्रैवल) कहानी के माध्यम से बताई गयी है। कम से कम अब तो हमें अपने महान इतिहास पर गर्व होना ही चाहिए।
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