आइए तकनीक (टेक्नोलॉजी) के नुकसान पर निबंध पढ़ें। निश्चित रूप से टेक्नोलॉजी के फायदे और नुकसान दोनों ही हैं। टेक्नोलॉजी से हमारा जीवन कैसे बदल गया है और बदलता जा रहा है, आइए इस पर प्रकाश डालते हैं।
टेक्नोलॉजी के नुकसान | Disadvantages of technology
टेक्नोलॉजी यानि ऐसी तकनीक जिससे हमारा जीवन सरल, सुगम बनता है। वैसे तो टेक्नोलॉजी का प्रभाव सभी जगह है लेकिन शहरो में रहने वाले व्यक्ति के जीवन में टेक्नोलॉजी का अधिक असर होता है। Technology ने मनुष्य को दिमागी स्तर पर अति संवेदनशील बना दिया है लेकिन भावुकता कम हो गयी है।
टेक्नोलॉजी की वजह से शहरी जीवन घड़ी की सुइयों पर भागने लगा है। हर आदमी घड़ी के हिसाब से चलता है। टाइम में ट्रेन चलती है, टाइम से ऑफिस शुरू होता है, टाइम पर पानी आता है। Time का गुलाम है बन गया है आदमी। इस भागदौड़ ने व्यक्ति को भावनाशून्य सा बना दिया है।
गाँव में भी लोग समय के पाबंद होते है पर समय सुबह, दोपहर, शाम, रात मुख्यतः इन चार भागो में बटा होता है। गाँव की व्यवस्था पर टेक्नोलॉजी ने इतना गहरा असर नही डाला है, जितना कि शहरों में।
शहरों में समय पर बिल न जमा करने पर बिजली चले जाने का डर, पानी चले जाने का डर, ट्रैफिक में फँसने से समय पर गंतव्य न पहुँच पाने का डर। ऐसे कई बातें आदमी का ध्यान घेरे रहती है। इन सब के बीच खुद के लिए समय नही निकाल पा रहा है, उसके पास ये जानने का समय भी नहीं कि उसके पड़ोस में कौन रहता है ?। टेक्नोलॉजी ने मनुष्य की मानसिक स्थिति को बहुत प्रभावित किया है।
टेक्नोलॉजी के दुष्प्रभाव हैं शहरों का ध्वनि प्रदूषण (गाड़ियों का, मशीनों का, घरेलू उपकरणों का, टीवी का) आर्टिफिशियल लाइट की चकाचौंध, रात जैसा दिन और दिन जैसी रात का माहौल …ये सब हमारी सभी इन्द्रियों को बराबर व्यस्त रखते है।
आजकल गाँव-शहर हर जगह टेक्नोलॉजी का प्रभाव बहुत बढ़ गया है। टेक्नोलॉजी ने एक नई सूचना क्रांति को जन्म दिया है जिसके पीछे मोबाइल, इंटरनेट का बहुत बड़ा हाथ है।
Mobile, कम्प्यूटर, टीवी, Internet बड़े अवरोध हैं। कहते हैं मन की गति प्रकाश से भी तेज होती है। मन अनंत है ये तो सुनामी की लहरों पे भी नाव चलाये लेकिन Internet और Mobile जैसे माध्यमो ने मन की गति को अंतहीन दिशा दे दी है। मन की गति पर सब मौजूद है। उंगली घुमाइए और हाज़िर है जिन्न जैसे हजार उत्तर। मन और इन्टरनेट की गति एक जैसी हो गयी है।
इंटरनेट तो जादूगर के हाथ से निकलते रुमाल जैसा है जिसमे एक लाल रुमाल निकलता है तो उसके अंतिम छोर से पीला रुमाल बंधा हुआ निकलने लगता है जिसके अंतिम छोर पर अगला रुमाल बंधा दीखता है। जादूगर के इस जादू का अंत तो होता है पर इंटरनेट के जादू का सम्मोहन आज के व्यक्ति के दिमाग पर 24 घंटे चलता ही रहता है।
टेक्नोलॉजी ने व्यक्ति के पूरे समय पर कब्ज़ा कर लिया है और ये हाल कब्ज जैसा हो गया है, न मुक्ति मिलती है न चैन आता है। रोज़ रोज़ वही कहानी। मगर जैसे कब्ज ठीक करने के लिए खान-पान का संयम जरुरी है वैसे ही टेक्नोलॉजी संयम जरुरी है।
साधू सन्यासी आदमी पहाड़ो में रहते थे ताकि संसारिकता से दूर रह सके और मन की गति को शांत करके कुछ बातो पर केंद्रित कर सके। इन्टरनेट, कम्प्यूटर बिजली से चल रहे है पर हम नहीं। हम थकते है, भूख लगती है, हमें मानसिक शांति भी चाहिए।
Essay on Disadvantages of technology –
हम टेक्नोलॉजी के मालिक है और टेक्नोलॉजी हमारी गुलाम। हम इनपर इतना अधिक आश्रित हो गए हैं कि टेक्नोलॉजी हमें कंट्रोल करने लगा है। क्या हो अगर मालिक नौकर की गुलामी करने लगे तो ? वो उस से चिपका बैठा रहे बस उसकी सुने तो ? व्यवस्था गडबडा जाएगी। टेक्नोलॉजी से बस काम भर लो, रिश्ता मत जोड़ो ये ऐसे गुलाम है। क्योंकि हम जीते जागते इंसान है रोबोट नहीं।
हम इन सब के इतना अभ्यस्त हो गए हैं कि इनके बिना हमें खालीपन लगता है। किताबें पढना ,खेलना, शौक पूरे करना इत्यादि लोग टीवी, इन्टरनेट से पहले किया करते थे। लोग अब भी करते है पर संख्या कम हो गयी है। पढना, खेलना ये सब कार्य आदमी अपनी शारीरिक शक्ति और इच्छाशक्ति जितना करता है। मोबाइल में क्या है बस उँगलियाँ घुमाते रहो, खेलते रहो दिन रात।
इन्टरनेट ने हमें Jack of all, Master of none बना दिया है। किसी एक चीज़ पर हम रुकते कहाँ है बस यहाँ वहां उड़ते जमते रहते है।
टेक्नोलॉजी का संयमित उपयोग ही सही रास्ता है। जैसे रास्तो में आदमी कान में गाना सुनते, नेट करते आता जाता रहता है बस अपनी दुनिया में खोया हुआ। यह समय वो अपने दोस्तों, प्रियजनों को फोन कर सकता है। न संभव हो तो आत्म चिंतन कर सकता है। जरुरी कामो का हिसाब कर सकता है, लिस्ट बना सकता है।
आप कहेंगे अब इन सब कामों के लिए भी एप्प आते है मोबाइल में। आप विश्वास करिए मैंने खुद पढ़ा है कई बड़ी आईटी कम्पनियों के सीईओ, नामी वेबसाईट्स के जनक अपने जेबों में एक छोटी सी डायरी और पेन रखते है। उनका मानना है ये ज्यादा सरल, आसान तरीका है बजाय मोबाइल में लिखना।
आजकल ध्यान योग में लोगो की बढती दिलचस्पी का कारण है टेक्नोलॉजी के नुकसान से खोई हुई, जीवन में बढ़ता खालीपन, भावनाशून्यता। जीवन में संयम ही शांति देता है आनंद देता है। कहा गया है अति सर्वथा वर्जयते (किसी भी वस्तु की अति अच्छी नही होती)।
टेक्नोलॉजी को सही इस्तेमाल सुख और गलत इस्तेमाल दुखद हो सकता है। Follow knowledge fun will follow, Follow fun misery will follow.
सही जीवन का रहस्य है कर्मो और विचारों में सामंजस्य (बैलन्स) बनाना। इसलिए Technology का सही उपयोग और प्रयोग पर नियंत्रण आवश्यक है। Essay on Technology पर यह लेख अच्छा लगा तो Share और Forward अवश्य करें, जिससे अन्य लोग भी ये जानकारी पढ़ सकें।
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