शादी के सात वचन व सात फेरों मतलब जानें | 7 Vachan of Hindu Marriage

शादी के 7 वचन और 7 फेरों का अर्थ | Shadi ke Saat Vachan

Shadi ke 7 vachan : विवाह में पति पत्नी सात फेरे के साथ सात वचन लेते हैं। हर फेरे का एक वचन होता है जिसे पति-पत्नी जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं। लड़की विवाह के बाद लड़के के वाम अंग (बाई ओर) में बैठने से पहले उससे 7 वचन लेती है। 

हम आपको 7 संस्कृत मंत्र वचन तथा उनका सरल हिंदी अनुवाद (Hindi Translation) बताने जा रहे हैं। 

पंडित की उपस्थिति में मंत्र उच्चारण के साथ अग्नि के सात फेरे लेकर व ध्रुव तारा को साक्षी मान कर दो व्यक्ति तन-मन और आत्मा के साथ एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। 

Saat vachan in Hindu marriage in Hindi

हिन्दू विवाह में कन्या के 7 वचन मंत्र और उनका अर्थ | 7 Vachan of Hindu Marriage

1) प्रथम वचन
तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी !!

यहाँ कन्या वर से पहला वचन मांग रही है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा करने जाएं तो मुझे भी अपने संग लेकर जाइएगा. यदि आप कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धार्मिक कार्य करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग (बांई ओर) में बिठाएं. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ.

2) द्वितीय वचन
पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम !!

दूसरे वचन में कन्या वर से मांग रही है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा परिवार की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहें. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ.

3) तृतीय वचन
जीवनम अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात,
वामांगंयामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृ्तीयं !!

तीसरे वचन में कन्या कहती है कि आप मुझे ये वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ.

Saat vachan in hindu wedding

4) चतुर्थ वचन
कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थं !!

चौथे वचन में वधू ये कहती है कि अब जबकि आप विवाह बंधन में बँधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है. यदि आप इस भार को वहन करने की प्रतिज्ञा करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ.

5) पंचम वचन
स्वसद्यकार्ये व्यवहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या !!

पांचवें वचन में कन्या कहती है कि अपने घर के कार्यों में, विवाह आदि, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी राय लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ.

6)षष्ठम वचन
न मेपमानमं सविधे सखीनां द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्चेत,
वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम !!

छठवें वचन में कन्या कहती है कि यदि मैं कभी अपनी सहेलियों या अन्य महिलाओं के साथ बैठी रहूँ तो आप सामने किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे. इसी प्रकार यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार की बुराइयों अपने आप को दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ.

7) सप्तम वचन
परस्त्रियं मातृसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कुर्या,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तममत्र कन्या !!

आखिरी या सातवें वचन के रूप में कन्या ये वर मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को मां समान समझेंगें और पति-पत्नि के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगें. यदि आप यह वचन मुझे दें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ.

हिन्दू धर्म में विवाह का अर्थ, महत्व | Shadi ka mahatva | Saat vachan saat phere

हिन्दू शादी की परंपरा ये मानती है कि पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। 

विवाह का शाब्दिक अर्थ है वि + वाह = विवाह , अर्थात उत्तरदायित्व का वहन करना या जिम्मेदारी उठाना.

भारत में सनातनी और वैदिक संस्कृति के अनुसार 16 संस्कारों का बड़ा महत्व है और विवाह संस्कार उन्हीं में से एक है. पाणिग्रहण संस्कार को ही सामान्यतः विवाह के नाम से जाना जाता है.

हमारे यहां Husband और Wife के बीच संबंध को शारीरिक संबंध (Physical Relation) से अधिक आत्माओं का संबंध माना गया है. विवाह की रस्मों में सात फेरों का भी एक प्रचलन है जिसके बाद ही विवाह संपूर्ण माना जाता है.

सात फेरों में दूल्हा व दुल्हन दोनों से सात वचन लिए जाते हैं. वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसके चारों ओर घूमकर पति-पत्नी के रूप में एक साथ सुख से जीवन बिताने के लिए प्रण करते हैं और सात फेरे लेते हैं, जिसे सप्तपदी भी कहा जाता है.

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6 thoughts on “शादी के सात वचन व सात फेरों मतलब जानें | 7 Vachan of Hindu Marriage”

  1. Very nice bhai
    Bhai humko ye batao ki sare Vachan aadmiye ke liye kya hai aadmi Tao Vachan Mai bandha hai aur orat koi galt kaam kre Tao jeshe ki ishme diya hai uska ulta

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