पूर्वाग्रह का अर्थ क्या होता है | What is Prejudice in hindi : पूर्वाग्रह का अर्थ है बिना वास्तविकता जाने मन में किसी व्यक्ति, वस्तु, होने वाली घटना के प्रति एक धारणा, एक सोच बना लेना। कई बार लोग किसी के धर्म, जाति या लिंग के लोगों को पसंद नहीं करते या उनपर विश्वास नहीं करते।
पूर्वाग्रह की वजह से कई बार लोग अपने मन में एक अलग ही दुनिया बना लेते हैं जोकि असलियत से एकदम अलग होती है। पूर्वाग्रह एक मित्र और शत्रु दोनों हो सकता है, इसीलिए व्यक्ति को विवेकपूर्ण सोच रखनी चाहिए। पूर्वाग्रह को समझने के लिए पूर्वाग्रह पर कहानी पढ़िए।
1) पूर्वाग्रह पर पहली कहानी : पिता-पुत्र
ट्रेन में एक पिता-पुत्र सफर कर रहे थे।
24 वर्षीय पुत्र खिड़की से बाहर देख रहा था। अचानक वो चिल्लाया – पापा देखो पेड़ पीछे की ओर भाग रहे हैं !
पिता कुछ बोला नहीं, बस सुनकर मुस्कुरा दिया। ये देखकर बगल में बैठे एक युवा दम्पति को अजीब लगा और उस लड़के के बचकाने व्यवहार पर दया भी आई।
तब तक वो लड़का फिर से बोला – पापा देखो बादल हमारे साथ दौड़ रहे हैं !
युवा दम्पति से रहा नहीं गया और वो उसके पिता से बोल पड़े – आप अपने लड़के को किसी अच्छे दिमाग के डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते ?
लड़के का पिता मुस्कुराया और बोला – हमने दिखाया था और हम अभी सीधे हॉस्पिटल से ही आ रहे हैं। मेरा लड़का जन्म से अंधा था और आज वो यह दुनिया पहली बार देख रहा है।
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2) पूर्वाग्रह पर कहानी : एक युवा दम्पति –
एक प्रोफेसर अपनी क्लास में कहानी सुना रहे थे, जोकि इस प्रकार है –
एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो गयी। कप्तान ने शिप खाली करने का आदेश दिया।
जहाज पर एक युवा दम्पति थे। जब लाइफबोट पर चढ़ने का उनका नम्बर आया तो देखा गया नाव पर केवल एक व्यक्ति के लिए ही जगह है। इस मौके पर आदमी ने औरत को धक्का दिया और नाव पर कूद गया।
डूबते हुए जहाज पर खड़ी औरत ने जाते हुए अपने पति से चिल्लाकर एक वाक्य कहा।
अब प्रोफेसर ने रुककर स्टूडेंट्स से पूछा – तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा ?
ज्यादातर विद्यार्थी फ़ौरन चिल्लाये – स्त्री ने कहा – मैं तुमसे नफरत करती हूँ ! I hate you !
प्रोफेसर ने देखा एक स्टूडेंट एकदम शांत बैठा हुआ था, प्रोफेसर ने उससे पूछा कि तुम बताओ तुम्हे क्या लगता है ?
वो लड़का बोला – मुझे लगता है, औरत ने कहा होगा – हमारे बच्चे का ख्याल रखना !
प्रोफेसर को आश्चर्य हुआ, उन्होंने लडके से पूछा – क्या तुमने यह कहानी पहले सुन रखी थी ?
लड़का बोला- जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी माँ ने मेरे पिता से कही थी.
प्रोफेसर ने दुखपूर्वक कहा – तुम्हारा उत्तर सही है !
प्रोफेसर ने कहानी आगे बढ़ाई – जहाज डूब गया, स्त्री मर गयी, पति किनारे पहुंचा और उसने अपना बाकि जीवन अपनी एकमात्र पुत्री के समुचित लालन-पालन में लगा दिया।
कई सालों बाद जब वो व्यक्ति मर गया तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली।
डायरी से उसे पता चला कि जिस समय उसके माता-पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे तो उसकी माँ एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे।
ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया और लाइफबोट पर कूद गया।
उसके पिता ने डायरी में लिखा था – तुम्हारे बिना मेरे जीवन को कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था। लेकिन अपनी संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा।
जब प्रोफेसर ने कहानी समाप्त की तो, पूरी क्लास में शांति थी।
—– जरूरी बात —–
इस संसार में कईयों सही-गलत बातें हैं लेकिन उसके अलावा भी कई जटिलतायें हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं।
इसीलिए ऊपरी सतह से देखकर बिना गहराई को जाने-समझे हर स्थिति का एकदम सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
# झगड़ा होने पर जो पहले माफ़ी मांगे, जरुरी नहीं गलती उसी की हो। बहुत सम्भावना है कि वो रिश्ते को बनाये रखना ज्यादा महत्वपूर्ण समझता हो।
# दोस्तों के साथ खाते-पीते, पार्टी करते समय जो दोस्त बिल पे करता है, जरुरी नहीं उसकी जेब नोटों से ठसाठस भरी हो। शायद ऐसा हो कि उसके लिए दोस्ती के सामने पैसों की अहमियत कम हो।
# जो लोग आपकी मदद करते हैं, जरुरी नहीं वो आपके एहसानों के बोझ तले दबे हों। वो आपकी मदद करते हैं क्योंकि उनके दिलों में दयालुता और करुणा का निवास है।
# आजकल जीवन कठिन इसीलिए हो गया है क्योंकि हमने लोगो को समझना कम कर दिया और तुरंत judge करना शुरू कर दिया है। थोड़ी सी समझ और थोड़ी सी मानवता ही आपको सही रास्ता दिखा सकती है।
आपके जीवन में भी निर्णय लेने के कई ऐसे पल आयेंगे, सो अगली बार किसी पर भी अपने पूर्वाग्रह (Prejudice) का ठप्पा लगाने से पहले विचार अवश्य करें।
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