ये कहानी एक लड़की की है जिसके जीवन में एक अनोखी Situation आती है। जिस चतुराई और सूझ-बूझ से उसने हल खोजा, आप भी पढ़कर बिना दाद दिए और मुस्कराए नहीं रह पायेंगे।
चालाकी की कहानी | सफ़ेद पत्थर काला पत्थर
कई वर्षों पहले एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था. दुर्भाग्य की बात, उसके ऊपर एक साहूकार का काफी कर्ज था. साहूकार अधेड़, बदशक्ल था और किसान की खूबसूरत बेटी पर लट्टू था.
एक दिन उसने किसान के सामने एक प्रस्ताव रखा.
उसने कहा कि अगर किसान अपनी लड़की की Marriage उससे कर देता है, तो वह किसान का सारा कर्ज माफ़ कर देगा.
किसान और उसकी बेटी दोनों यह बात सुनकर सन्न रह गये, पर स्थिति ऐसी थी कि वे मजबूर थे. साहूकार ने कहा वो लड़की को अपनी किस्मत आजमाने का मौका देगा.
उसने कहा वो एक झोले में एक काला और एक सफ़ेद पत्थर डालेगा. लड़की को झोले में हाथ डालकर एक पत्थर निकालना होगा.
- अगर लड़की से काला पत्थर निकला तो उसे साहूकार से Shadi करना होगा.
- अगर सफ़ेद पत्थर निकला तो वो साहूकार से शादी करने से बच जाएगी और साहूकार किसान का पूरा कर्ज भी माफ़ कर देगा.
- अगर लड़की कोई भी पत्थर निकलने से मना करेगी तो उसके पिता को जेल में डाल दिया जायेगा.
जब यह बात साहूकार ने किसान से कही उस समय साहूकार, किसान, उसकी बेटी तीनों लोग किसान के बाग़ में खड़े थे. बगीचे का वह रास्ता ढेर सारे सफ़ेद, काले पत्थरों से भरा हुआ था. साहूकार अपनी बात बोलकर दो पत्थर उठाने को झुका.
जब वो पत्थर उठा रहा था तो लड़की की तेज नजर से यह बात पकड़ ली कि साहूकार ने चालाकी से दो काले पत्थर चुनकर झोले में डाले हैं. साहूकार ने लड़की से झोले में हाथ डालकर एक Stone निकलने को बोला.
अब यह सवाल आपसे है – अगर आप लड़की की जगह होते तो क्या करते ? अगर आपको लड़की को सलाह देनी होती तो आप क्या उपाय उसे बताते ?
ध्यान से देखा जाये तो लड़की के सामने 3 रास्ते थे
– लड़की पत्थर निकालने से मना कर दे
– लड़की दिखा दे कि झोले में दोनों पत्थर काले हैं और साहूकार बेईमान है
– लड़की काला पत्थर निकाले और अपना जीवन पिता को जेल व कर्ज से बचाने के लिए बलिदान कर दे.
अब देखिये उस चालाक लड़की ने क्या किया. लड़की ने झोले में हाथ डाला और एक Stone निकाला.
लड़की ने बिना पत्थर देखे लापरवाही से वह पत्थर जमीन पर गिर जाने दिया. वो पत्थर जमीन पर गिरकर अपने जैसे ही पत्थरों में मिल गया.
अब किसान की लड़की बोली – ओह मैं भी कितनी लापरवाह हूँ ! पर कोई बात नहीं, अगर आप झोले में हाथ डालकर बाकी बचा दूसरा पत्थर निकालेंगे, तो आपको पता चल जायेगा मैंने कौन सा पत्थर निकाला था.
अब चूँकि दूसरा पत्थर तो काला था, इसलिए ये माना जायेगा कि लड़की ने जरूर सफ़ेद पत्थर निकाला होगा. अब चूँकि साहूकार खुद अपनी धोखाधड़ी तो स्वीकार नहीं करेगा, अतः लड़की इस टेढ़ी परिस्थिति से बचकर निकल गयी.
उसने असम्भव सी स्थिति को अपनी चतुराई और Creative सोच से अपने पक्ष में कर लिया और शादी से बच गयी.
लेखक – एडवर्ड डी बोनो
वैसे तो Life में अक्सर हमें अपनी Problems के गिने-चुने ही समाधान नजर आते हैं, लेकिन हमारी सोच से परे भी कई समाधान हो सकते हैं.
जरुरत है कि हम अपनी सोच के दायरे से बाहर निकलकर देखें. कहा गया है –
सोच को बदलो, सितारे बदल जायेंगे
नजर को बदलो, नज़ारे बदल जायेंगे
कश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं यारों,
दिशाओं को बदलो, किनारे बदल जायेंगे
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