हिन्दू शादी की परंपरा ये मानती है कि पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता।
विवाह में पति पत्नी सात फेरे के साथ सात वचन लेते हैं। हर फेरे का एक वचन होता है, जिसे पति-पत्नी जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं।
पंडित की उपस्थिति में मंत्र उच्चारण के साथ अग्नि के सात फेरे लेकर व ध्रुव तारा को साक्षी मान कर
लड़का-लड़की तन-मन और आत्मा के साथ एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं।
लड़की विवाह के बाद लड़के के वाम अंग (बाई ओर) में बैठने से पहले उससे 7 वचन लेती है।
हर फेरे के साथ लड़की अपने होने वाले पति से 1 वचन लेती हैं। ये वचन संस्कृत के श्लोक के रूप में होते हैं।