मेहनत पर मोटिवेशनल कहानी | Mehnat ka Phal Kahani

Mehnat Par Kahani | मेहनत करने का मोटिवेशन कैसे बनाये रखे

हममें से ज्यादातर लोगों की ये प्रॉब्लम है कि हम मेहनत करते हैं, कुछ समय बहुत मोटीवेट रहते हैं लेकिन फिर निराशा घेरने लगती है। लगता है कि मेहनत का क्या फायदा, सही मौका तो मिल ही नहीं रहा जिससे कि सफलता का रास्ता मिले।अगर आप भी ऐसी परिस्थति में हो तो ये Hard work story in hindi पढ़ें जो आपकी हिम्मत बनाये रखेगी और मेहनत करते रहने का Motivation देगी। 

मेहनत का फल कहानी | बारिश आएगी, लेकिन 12 साल बाद

एक बार देवराज इंद्र किसानों से नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि अब अगले 12 वर्षों तक बारिश नहीं होगी. जब बारिश नहीं तो खेती नहीं. किसान बड़े परेशान हुए और उन्होंने इन्द्रदेव से दया के लिए बहुत याचना की.

इंद्रदेव ने आखिरकार किसानों को एक उपाय बताया – अगर भगवान शिव अपना डमरू बजायेंगे तो वर्षा अवश्य होगी.

किसान भागे भागे भगवान शिव के पास पहुँचे और उनसे अपना डमरू बजाने का अनुरोध किया. इंद्र भी कच्चे खिलाड़ी नहीं थे, उन्होंने भगवान शिव से पहले ही यह आश्वासन ले लिया था कि शिव 12 वर्षों तक डमरू नहीं बजायेंगे.

अतः भगवान शिव ने किसानों को वही जवाब दिया कि हम डमरू बजायेंगे तो लेकिन 12 वर्ष बाद ही.

यह सब देखकर माँ पार्वती को किसानों पर दया आई लेकिन वो भी शिव जी के इच्छा के विरुद्ध कुछ नहीं कर सकती थीं.

हर जगह से निराश किसानों ने नियति के सामने हार मान ली और 12 वर्ष तक इंतजार करने का फैसला किया. इन सब किसानों में एक किसान अलग ही सोच का था.

वह प्रतिदिन अपने खेत जाता, वहां खेत जोतता, मेहनत करता. उसके इस परिश्रम का फल कुछ नहीं था लेकिन फिर भी वह प्रतिदिन यही काम करता.

लोग उसका मजाक उड़ाते कि उसे किस चीज़ की उम्मीद है ? क्या वो किसी चमत्कार की उम्मीद में है ?.

सारे किसान सोचते लगते हैं उस किसान का दिमाग खराब हो गया है. ऐसे ही 3 साल बीत गये. एक दिन कुछ किसानों का दल खेत में काम करते उस किसान के पास से गुजरा.

एक वृद्ध किसान से उस किसान से कहा – भाई जब तुझे पता है कि 12 वर्षों तक वर्षा नहीं होने वाली तो तू व्यर्थ ही मेहनत क्यों करता है ?.

काम में लगे हुए उस किसान ने थोड़ी देर के लिए काम रोका और जवाब दिया – मुझे पता है कि 12 वर्ष तक वर्षा नहीं होने वाली, लेकिन मैं तो यह मेहनत खेती का अभ्यास बनाये रखने के लिए करता हूँ.

अगर मैंने 12 वर्षों तक कोई कार्य नहीं किया तो मैं तो सारी खेती-बाड़ी भूल जाउँगा. मेहनत नहीं करूँगा तो 12 वर्षों में मेरा शरीर भी सुस्त हो जायेगा. क्या पता जब बारिश हो तब तक मैं इतना योग्य ही न रहूँ कि खेती कर पाऊँ.

माँ पार्वती यह सब प्रकरण देख रहीं थीं. उन्हें किसान की बात सुनकर बड़ी प्रसन्नता हुई. वो भगवान शिव के समक्ष किसान की बड़ाई करते हुए बोलीं – आप भी तो 12 वर्ष तक डमरू नहीं बजायेंगे, क्या पता आप भी डमरू बजाना ही भूल जाएँ.

भोले शिव भी चक्कर में पड़ गये और उन्होंने जल्दी से डमरू बजाकर देखा कि कहीं वो वाकई में उसे बजाना भूल तो नहीं गए ?.

भगवान शिव का डमरू 12 वर्ष से पहले ही बज गया और डमरू का बजना था कि वर्षा हुई. आश्चर्य की बात यह थी कि वर्षा केवल उस किसान के खेत में ही हुई और उस दैवीय वर्षा के प्रभाव से तत्काल खेत में लहलहाती फसल भी उठ खड़ी हुई.

अन्य किसान यह देखकर दंग रह गए और अपने खेतों की वही दशा देखकर निराश भी हुए.

अब आती है असली बात -> कहानी क्या कहती है ?

ये कहानी बतलाती है कि जीवन में मेहनत का क्या महत्त्व है ? Hard Work जरुरी क्यों है ?.

– खिलाडी खेल के मैदान में नहीं जीतते, असली जीत उनकी कड़ी Practice में छुपी होती है. अगर आप में मेहनत करने का अभ्यास और जज़्बा नहीं होगा तो आप किसी जबर्दस्त अवसर का भी पूरा लाभ नहीं उठा पाएंगे.

– मंजे हुए खिलाड़ी जब मैदान पर खेलते हैं तो हम कहते हैं भाई मजा आ गया. हम यह भूल जाते हैं कि खिलाड़ी के उत्कृष्ट प्रदर्शन के पीछे एकांत में लम्बे समय तक की गयी, काफी हद तक नियमित उबाऊ मेहनत और अभ्यास है.

– Olympic Games में Swimming के 23 गोल्ड जीतने वाले Michael Phelps को कौन नहीं जानता. उन्होंने एक अतिमानवीय रिकॉर्ड स्थापित किया है जिसे शायद ही कोई आने वाले दशकों में तोड़ पाए.

mehnat ki kahani

लेकिन क्या आप जानते है कि माइकल फेल्प्स साल के हर दिन कम से कम 11 किलोमीटर तैरकर अभ्यास करते थे. यहाँ तक कि साल की सबसे बड़े Christmas Holiday के दिन भी जब हर कोई मजे कर रहा होता था, फेल्प्स अपना नियमित अभ्यास कर रहे होते थे.

अगर फेल्प्स पानी के धुरंधर थे तो Usain Bolt जमीन पर दौड़ के रिकॉर्ड होल्डर हैं. उसेन बोल्ट ने 3 ओलिंपिक गेम्स में कुल 9 गोल्ड मैडल हासिल किये हैं. उसेन ने इन तीनों ओलिंपिक दौड़ में कुल 115 सेकंड की दौड़ लगायी थी.

इन दौड़ों से उसेन बोल्ट ने कुल (119 मिलियन डॉलर) 807 करोड़ रुपयों की कमाई की. गणना की जाये तो पता चलता है कि दौड़ के हर एक सेकंड उन्होंने 6 करोड़ रुपयों से अधिक की कमाई की. लेकिन इन बहुमूल्य 2 मिनट की रेस के पीछे उनकी 20 वर्षों की मेहनत छुपी हुई थीं.

धैर्य के साथ की गयी Hard Work का फल अवश्य मिलता है. मेहनत और अभ्यास ही आपको इस लायक बनाये रखेगी कि आप लाख बार गिरेंगे तो भी फिर से शीर्ष पर पहुँच सकेंगे.

इन विचारों से खुद को motivate रखें और लक्ष्य पर दृष्टि जमाकर आगे बढ़ते रहें. मेहनत की कहानी को आप Whatsapp, Facebook पर शेयर और फ़ॉरवर्ड जरुर करें, जिससे अन्य लोग भी ये जानकारी पढ़ सकें.

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