डियोड्रेंट के नुकसान | Deodorant Side Effects

डिओडोरेंट लगाने के नुकसान : मुझे यह देखकर अचंभा होता है कि पृथ्वी पर रहनेवाले सभी प्राणियों में केवल हम ही एकमात्र ऐसे हैं जो अपने ही शरीर से उठती गंध को बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसी के चलते Synthetic fragrance और डिओडोरेंट (Deodorant) इंडस्ट्री पिछले एक दशक में ही Multi Billion Dollar का बिजनेस करने लगी हैं. जबकि Deodorant का उपयोग सेहत के लिए अच्छा नहीं है और पसीना आने के कई फायदे हैं।

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डिओडोरेंट का उपयोग बंद करें

अब मेट्रो, सड़क, लिफ्ट कहीं ऐसी कोई जगह नहीं बची जहां हमारा सामना अपने ऊपर तीखी अननेचुरल महक का कई बार स्प्रे किए हुए व्यक्ति से न हो। अधिकांश लोगों ने मार्केट और एडवरटाइज़िंग के दबाव में आकर Deodorant को जीवन के लिए उपयोगी वस्तु मान लिया है। किशोर और युवा लोगों का बड़ा तबका इसे सोशल एक्सेपटेंस और ग्रोइंग अप के लिए अनिवार्य वस्तु मानता है।

मैं आपको उन तीन बातों के बारे में बताने जा रहा हूं जिनके आधार पर मैं सिंथेटिक फ्रेगरेंस और डिओडोरेंट के उपयोग को हमारे स्वास्थ्य और जीवनशैली के लिए उचित नहीं मानता।

1) पसीना बहाना ज़रूरी है | Disadvantages of Roll-on deodorant

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का यह मानना है कि पसीना आने (Sweating) का एकमात्र उद्देश्य हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करना है, लेकिन प्राचीन पद्धतियां इस तथ्य को स्वीकार नहीं करतीं और इस फील्ड में हुई रिसर्च उनका समर्थन करती हैं। हजारों सालों से लोग यह जानते हैं कि पसीने के माध्यम से हमारे शरीर की गंदगी बाहर निकलती है और डिटॉक्सीफिकेशन (Detoxification) होता है। इसी सिद्धांत के आधार पर लोग सौना बाथ लेते हैं।

– नई रिसर्च यह बताती हैं कि पसीने के द्वारा हमारे शरीर के अनेक हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. इन टॉक्सिन्स में पारा, कैडमियम और फ्थैलेट्स (Mercury, Cadmium, and Phthalates) शामिल हैं।

– रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि कुछ विशेष टॉक्सिन्स पेशाब के रास्ते न निकलकर पसीने के रास्ते ही बेहतर तरीके से बाहर निकलते हैं।

– वैज्ञानिकों का यह अनुमान है कि मानव शरीर में लगभग 700 प्रकार के अवांछित रासायनिक पदार्थ उपस्थित होते हैं जिनका बाहर निकलते रहना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी होता है।

Deodorant upyog ke bure asar

2) एंटी-बैक्टीरियल (Anti-Bacterial) लाभ

हमारी स्वेद ग्रंथियां (sweat glands) एक प्रकार का एंटी-बायोटिक बनाती हैं जिसे डर्मीसाइडिन (Dermcidin) कहते हैं. ये पसीने के माध्यम से हमारी स्किन में फैलता है. बैक्टीरिया और फंगस की रोकथाम करनें मे डर्मीसाइडिन बहुत प्रभावी है। वास्तव में हमारा शरीर हमारे जाने-अनजाने अपने स्तर पर ही हमें स्वस्थ बनाए रखने के लिए बहुत कुछ करता रहता है।

3) डिओडोरेंट विषैले होते हैं | Deodorant side effects

डिओडोरेंट हमारी कांख (armpits) और शरीर के अन्य स्थानों पर एल्यूमीनियम के बहुत ही बारीक कणों की बौछार करके स्किन के छिद्र (pores) को ब्लॉक कर देते हैं. इनमें मौजूद सिंथेटिक केमिकल फ्रेगरेंस दुर्गंध को छिपाने का काम करती है।

आप ही सोचिए, क्या प्रकृति की व्यवस्था के विपरीत जाकर अपने शरीर पर रोजाना एल्यूमीनियम का स्प्रे करना वाकई बुद्धिमानी भरा काम है?

डिओडोरेंट के विकल्प | Deodorant natural substitutes

– डिओडोरेंट (Deodorant) के बहुत से प्राकृतिक विकल्प जैसे चंदन तेल व गुलाब जल आदि मौजूद हैं और वे उनसे बहुत सस्ते भी होते हैं।

– सादा व कम मसाले का सात्विक भोजन लेने से पसीने में दुर्गंध भी नहीं आती है और शरीर को इसके अन्य लाभ भी मिलते हैं। कुछ लोग नारियल तेल और Apple Cider Vinegar  का उपयोग भी पसीने की दुर्गंध को ढकने के लिए करते हैं।

हजारों सालों से मनुष्य पसीना बहाकर स्वस्थ बने रहे हैं लेकिन हाल ही में यह हमें बुरी तरह से खलने लगा है। प्रकृति ने हमारे शरीर में पसीना आने की व्यवस्था यूं ही नहीं बनाई है। अतः Deodorant का उपयोग न करें और पसीना आने के उपयोगी फंक्शन को न रोकें।

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