दूसरों की मदद करने पर अनोखी कहानी पढ़ें | Story of Smart Help

मदद की अनोखी कहानी | Short story on helping others

ये मदद की कहानी जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड के CFO, VP finance विवेक अग्रवाल जी ने शेयर की है. किसी की मदद करने की ये सरल सी कहानी कितनी खूबसूरत है, इसका अनुभव आपको कहानी पढ़ने पर हो  जायेगा.

मेरे 50 रुपये इस सड़क पर कहीं गिर गये हैं | Helping story

एक दिन घर आते समय मैंने एक खम्भे पर हाथ से लिखा एक नोटिस लगा देखा. उत्सुकतावश मैं पास गया और वह notice पढ़ने लगा.

नोटिस में लिखा था – मेरे 50 रुपये इस सडक पर कहीं गिरकर खो गए हैं. अगर किसी को वो नोट मिल जाये तो मुझे इस पते पर आकर दे दें. मुझे आँखों से ठीक से दिखाई नहीं देता, आपकी बड़ी मेहरबानी होगी.

नोटिस पढ़कर मैंने सोचा – देखो तो दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जिनके लिए 50 रुपये इतना महत्व रखते हैं. खोजते हुए मैं नोटिस पर लिखे पते तक पहुँचा तो टूटी झोंपड़ी के बाहर एक कमजोर सी बुढ़िया को बैठे देखा.

मेरे कदमों की आवाज़ सुनकर उस अशक्त बुढ़िया ने पूछा कौन है ?. मैंने कहा – अम्मा मैं आपको वो 50 रुपये देने आया हूँ, जो आपके सड़क पर गिर गये थे.

बुढ़िया ये सुनकर रोने लगी और बोली – बेटा ! करीब 30-40 लोग तुम्हारे पहले भी आ चुके हैं और मुझे 50 रुपये देकर बोलते हैं कि ये आपके सड़क पर गिरे 50 रूपये हैं.

पर मैंने कोई नोटिस नहीं लिखा, न खम्बे पर चिपकाया. मुझे ठीक से दिखता नहीं और पढ़ना-लिखना भी नहीं आता.

Short story on helping others in hindi

मैंने कहा – कोई बात नहीं अम्मा ! आप यह रूपया रख लो. फिर बुढ़िया ने मुझसे कहा कि मैं वापस जाते समय वो नोटिस वहाँ से हटाकर फाड़ दूँ.

वहाँ से लौटते समय मेरे मन में कई विचार चल रहे थे. जैसे कि आखिर वो नोटिस किसने लिखकर लगाया होगा ?

बुढ़िया ने और लोगों से सभी Notice फाड़ने को कहा होगा, लेकिन किसी ने भी उसे हाथ नहीं लगाया.

मैंने मन ही मन उस भले आदमी का धन्यवाद किया, जिसने वो नोटिस लिखकर वहां खम्भे पर लगाया होगा.

मुझे एहसास हुआ कि हमारे मन में Help की भावना होनी चाहिए, उसे पूरा करने के कई रास्ते निकाले जा सकते हैं. वो भला आदमी भी बस उस बुढ़िया की मदद करना चाहता होगा.

अपने ख्यालों में खोया मैं जा ही रहा था कि किसी ने मुझे रोका और कहा – भाई ये पता तो बताना जरा, मुझे किसी के गिरे हुए 50 रुपये देने हैं.

कहानी से शिक्षा –

दूसरों की मदद करने पर जो सुकून मिलता है वो मज़ा अपने मन की इच्छा पूरी होने में भी नहीं. क्योंकि खुद की तो एक  इच्छा जैसे ही पूरी होती है, उसकी जगह नयी इच्छाएं ले लेती है और पहले वाली ख़ुशी हमेशा बनी नहीं रह पाती. लेकिन किसी की मदद करने पर मिला संतोष हमेशा शांति देता है.

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